लखनऊ : हाईकोर्ट लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश में जातीय रैलियों पर रोक लगाने की मांग वाली जनहित याचिका पर भाजपा, कांग्रेस, सपा व बसपा को भेजी गई नोटिस के सम्बंध में रिपोर्ट तलब की है. पिछली सुनवाई पर न्यायालय ने पाया था कि 11 नवंबर 2022 के आदेश के अनुपालन में भेजी गई नोटिस इन राजनीतिक दलों को प्राप्त नहीं हो सकी थीं. लिहाजा नई नोटिसें भेजने का आदेश दिया गया था. मामले की अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होगी.
यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने स्थानीय अधिवक्ता मोतीलाल यादव द्वारा वर्ष 2013 में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया. पिछली सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की ओर से न्यायालय को बताया गया कि उसने ऑनलाइन जवाबी हलफनामा दाखिल कर दिया है. हालांकि न्यायालय के रिकॉर्ड पर उक्त हलफनामा नहीं पाया गया था. इस पर न्यायालय ने आयोग को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का अंतिम अवसर देते हुए, मामले की अग्रिम सुनवाई के लिए नियत कर दिया था.
याची के अनुसार न्यायालय ने पूर्व के आदेश में चुनाव आयोग समेत केंद्र व राज्य सरकारों को जातीय रैलियों के विरुद्ध गाइडलाइंस बनाने का आदेश दिया था. याची ने बताया कि इस बार न्यायालय ने अपने इसी आदेश के अनुपालन के संबंध में चुनाव आयोग को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का अंतिम अवसर दिया है. इसके पूर्व न्यायालय इस मामले में प्रदेश के चार प्रमुख दलों भाजपा, कांग्रेस, सपा व बसपा को नोटिस जारी करने का आदेश 11 नवंबर 2022 दे चुकी है. हालांकि इन दलों को नोटिस न मिलने के कारण पुनः नई नोटिस जारी करने का आदेश दिया जा चुका है.
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