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पाताल लोक जाने का रास्ता क्या आप जानते है? बेहद रहस्यमयी है गुफा वाला मंदिर - Bettiah Sofa Mandir

Sofa temple in Bettiah : बिहार में सोफा मंदिर अपने रहस्यों को समेटे हुए हैं. इसकी प्राचीनता इसको और 'स्वयं-भू' बनाती है. इस मंदिर को लेकर मान्यता प्रचलित है कि इसके चबूतरे के नीचे से होकर पाताल लोक जाने का रास्ता है. ये भी कहा जाता है कि ये वही रास्ता है जिससे होकर खुद भगवान विश्वकर्मा 'मंदिर' के निर्माण के वक्त सुबह होते ही जिस हालत में मंदिर तैयार था उसे छोड़कर पाताल की ओर चले गए. पढ़ें पूरी खबर-

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रहस्यमयी गुफा वाला मंदिर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 3, 2024, 6:03 AM IST

बेतिया : प्रकृति की गोद में बसा सोफा मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. सोफा मंदिर का इतिहास आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि इस मंदिर में एक ऐसी गुफा है, जिसका रास्ता सीधा पाताल लोक जाता है. यह मंदिर पंडई नदी के तट पर स्थित है. बताया जाता है कि मंदिर व उसके चबूतरे तक का निर्माण भगवान विश्वकर्मा के द्वारा किया गया था.

मंदिर का रहस्यमयी इतिहास : इस मंदिर के रहस्यमई इतिहास के कारण लोगों में बहुत गहरी आस्था हैं. वहां के लोग बताते हैं कि खुद देवलोक से भगवान विश्वकर्मा आए थे और मंदिर का निर्माण कर रहे थे. चबूतरा भगवान के द्वारा बनाया गया था और जैसे ही सुबह हुई इसी रास्ते से भगवान विश्वकर्मा और उनके गण पाताल लोक में चले गए.

मंदिर से जाता है पाताल लोक का रास्ता? (ETV Bharat)

'भगवान विश्वकर्मा ने बनाया है मंदिर' : इस मंदिर की प्राचीनता को लेकर मान्यता है कि इसका निर्माण 6ठी शताब्दी में हुआ. मंदिर के नीचे का हिस्सा मुगलकाल के पहले का बना हुआ है. यहां मान्यता है कि खुद भगवान विश्वकर्मा ने अपने हाथों से इस मंदिर का निर्माण करवाया. मंदिर की बनावट रहस्यमयी है. मंदिर की मूर्तियों के पास एक चबूतरा है जिसके नीचे बनी सीढ़ी पाताल लोक जाती है. हालांकि आज तक इस रहस्य से पर्दा उठाने का काम किसी ने नहीं किया.

मिल गया पाताल लोक जाने का रास्ता! : पश्चिमी चंपारण जिले के गौनाहा प्रखंड के दोमाठ गांव में सोफा मंदिर स्थित है. यह मंदिर भारत नेपाल के सीमा के पास पड़ता है. शिवालिक की गोद व पंडई नदी के तट पर स्थित सोफा मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. स्थानीय लोगों की माने तो मंदिर व उसके चबूतरे तक का निर्माण भगवान विश्वकर्मा द्वारा किया गया है. इसे सेतुकुंवरगढ़ का गढ़ भी कहा जाता है. मंदिर के परिक्षेत्र की मिट्टी एकदम लाल है.

सोफा मंदिर
सोफा मंदिर (ETV Bharat)

"मंदिर के बारे में कहा जाता है कि ये बहुत पुराना मंदिर है. इसको भगवान विश्वकर्मा और उनके लोगों द्वारा बनाया गया था. एक ही रात में जितना मंदिर तैयार हुआ, सुबह होते ही मंदिर के नीचे रखी मूर्तियों से एक रास्ता पाताल लोक जाता है. उसी रास्ते ये सभी पाताल लोक को चले गए."- स्थानीय निवासी

चमत्कारी है मंदिर : बताया जाता है कि कालांतर में मंदिर के ठीक सामने पूरब दक्षिण में एक तालाब हुआ करता था. जिसमें हंस की एक जोड़ी अठखेलियां करती थी. हालांकि अभी इस जगह पर अब किसानों द्वारा खेती किया जाता है. इस मंदिर की मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी श्रद्धालु भगवान शिव की आराधना करते हैं उनकी हर मुराद पूरी होती है. चारों तरफ जंगल होने के बावजूद श्रद्धालुओं के जत्थे में कभी कमी नहीं आती है.

भगवान विश्वकर्मा द्वारा बनवाया गया मंदिर
भगवान विश्वकर्मा द्वारा बनवाया गया मंदिर (ETV Bharat)

सीएम नीतीश भी आ चुके हैं यहां : 2016 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यहां पहुंचे तो मंदिर चर्चा का विषय बन गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां पर भगवान शिव की पूजा अर्चना की और मंदिर के आसपास के वातावरण और उसकी सुंदरता को देखकर काफी प्रसन्न हुए थे. उन्होंने कहा भी था कि बिहार में इससे सुंदर जगह कही और नहीं.

बाढ़ में हो रहा था मंदिर में कटाव : दरअसल 2016 में बाढ़ की विभिषीका ने पूरे चंपारण को तबाह कर रखा था और यह सोफा मंदिर कटाव की भेंट चढ़ने वाला था. मंदिर के नीचे तेजी से कटाव हो रहा था. जब इसकी जानकारी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मिली तो वह बिना देरी किए इस सोफा मंदिर को बचाने गौनाहा के दोमाठ पहुंच गए.

मिल गया पाताल लोक जाने का रास्ता
मिल गया पाताल लोक जाने का रास्ता (ETV Bharat)

दर्शनीय स्थल बन चुका है सोफा बाबा मंदिर : नीतीश कुमार ने मंदिर का निरीक्षण किया और वहां मौजूद लोगों से वादा किया कि किसी भी कीमत पर इस सोफा मंदिर को कटने नहीं देंगे. सोफा मंदिर में स्थित भगवान शिव के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. पहाड़ों, जंगलों और नदी के बीच यह सोफा मंदिर दर्शनीय है. जो भी पश्चिम चंपारण जिले के गौनाहा आते हैं वह प्रकृति की गोद में बसे सोफा मंदिर आकर भोलेनाथ का दर्शन करना नहीं भूलते.

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मंदिर का रहस्यमयी इतिहास : इस मंदिर के रहस्यमई इतिहास के कारण लोगों में बहुत गहरी आस्था हैं. वहां के लोग बताते हैं कि खुद देवलोक से भगवान विश्वकर्मा आए थे और मंदिर का निर्माण कर रहे थे. चबूतरा भगवान के द्वारा बनाया गया था और जैसे ही सुबह हुई इसी रास्ते से भगवान विश्वकर्मा और उनके गण पाताल लोक में चले गए.

मंदिर से जाता है पाताल लोक का रास्ता? (ETV Bharat)

'भगवान विश्वकर्मा ने बनाया है मंदिर' : इस मंदिर की प्राचीनता को लेकर मान्यता है कि इसका निर्माण 6ठी शताब्दी में हुआ. मंदिर के नीचे का हिस्सा मुगलकाल के पहले का बना हुआ है. यहां मान्यता है कि खुद भगवान विश्वकर्मा ने अपने हाथों से इस मंदिर का निर्माण करवाया. मंदिर की बनावट रहस्यमयी है. मंदिर की मूर्तियों के पास एक चबूतरा है जिसके नीचे बनी सीढ़ी पाताल लोक जाती है. हालांकि आज तक इस रहस्य से पर्दा उठाने का काम किसी ने नहीं किया.

मिल गया पाताल लोक जाने का रास्ता! : पश्चिमी चंपारण जिले के गौनाहा प्रखंड के दोमाठ गांव में सोफा मंदिर स्थित है. यह मंदिर भारत नेपाल के सीमा के पास पड़ता है. शिवालिक की गोद व पंडई नदी के तट पर स्थित सोफा मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. स्थानीय लोगों की माने तो मंदिर व उसके चबूतरे तक का निर्माण भगवान विश्वकर्मा द्वारा किया गया है. इसे सेतुकुंवरगढ़ का गढ़ भी कहा जाता है. मंदिर के परिक्षेत्र की मिट्टी एकदम लाल है.

सोफा मंदिर
सोफा मंदिर (ETV Bharat)

"मंदिर के बारे में कहा जाता है कि ये बहुत पुराना मंदिर है. इसको भगवान विश्वकर्मा और उनके लोगों द्वारा बनाया गया था. एक ही रात में जितना मंदिर तैयार हुआ, सुबह होते ही मंदिर के नीचे रखी मूर्तियों से एक रास्ता पाताल लोक जाता है. उसी रास्ते ये सभी पाताल लोक को चले गए."- स्थानीय निवासी

चमत्कारी है मंदिर : बताया जाता है कि कालांतर में मंदिर के ठीक सामने पूरब दक्षिण में एक तालाब हुआ करता था. जिसमें हंस की एक जोड़ी अठखेलियां करती थी. हालांकि अभी इस जगह पर अब किसानों द्वारा खेती किया जाता है. इस मंदिर की मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी श्रद्धालु भगवान शिव की आराधना करते हैं उनकी हर मुराद पूरी होती है. चारों तरफ जंगल होने के बावजूद श्रद्धालुओं के जत्थे में कभी कमी नहीं आती है.

भगवान विश्वकर्मा द्वारा बनवाया गया मंदिर
भगवान विश्वकर्मा द्वारा बनवाया गया मंदिर (ETV Bharat)

सीएम नीतीश भी आ चुके हैं यहां : 2016 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यहां पहुंचे तो मंदिर चर्चा का विषय बन गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां पर भगवान शिव की पूजा अर्चना की और मंदिर के आसपास के वातावरण और उसकी सुंदरता को देखकर काफी प्रसन्न हुए थे. उन्होंने कहा भी था कि बिहार में इससे सुंदर जगह कही और नहीं.

बाढ़ में हो रहा था मंदिर में कटाव : दरअसल 2016 में बाढ़ की विभिषीका ने पूरे चंपारण को तबाह कर रखा था और यह सोफा मंदिर कटाव की भेंट चढ़ने वाला था. मंदिर के नीचे तेजी से कटाव हो रहा था. जब इसकी जानकारी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मिली तो वह बिना देरी किए इस सोफा मंदिर को बचाने गौनाहा के दोमाठ पहुंच गए.

मिल गया पाताल लोक जाने का रास्ता
मिल गया पाताल लोक जाने का रास्ता (ETV Bharat)

दर्शनीय स्थल बन चुका है सोफा बाबा मंदिर : नीतीश कुमार ने मंदिर का निरीक्षण किया और वहां मौजूद लोगों से वादा किया कि किसी भी कीमत पर इस सोफा मंदिर को कटने नहीं देंगे. सोफा मंदिर में स्थित भगवान शिव के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. पहाड़ों, जंगलों और नदी के बीच यह सोफा मंदिर दर्शनीय है. जो भी पश्चिम चंपारण जिले के गौनाहा आते हैं वह प्रकृति की गोद में बसे सोफा मंदिर आकर भोलेनाथ का दर्शन करना नहीं भूलते.

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