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'जितनी भागीदारी, उतनी हिस्सेदारी' बिहार जीत का 'PK फॉर्मूला' तैयार, आरजेडी और NDA दोनों पर पड़ेगी मार ! - PRASHANT KISHOR

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 13, 2024, 7:43 PM IST

PRASHANT KISHOR CAST FORMULA: बिहार में पिछले तीन दशकों की सियासत पर नजर डालें तो यहां NDA और महागठबंधन के बीच सीधी टक्कर रही है, लेकिन बिहार के गांव-गांव घूम रहे जन सुराज के संयोजक प्रशांत किशोर जिस तरह से बिहार की सियासत में तेजी से पैठ बना रहे हैं उससे साफ दिख रहा है कि 2025 का विधानसभा चुनाव बेहद ही दिलचस्प होनेवाला है. खास कर जितनी भागीदारी, उतनी हिस्सेदारी वाले PK के फॉर्मूले ने NDA और आरजेडी की टेंशन बढ़ा दी है, आप भी जानिए ! आखिर क्या है जीत का PK फॉर्मूला,

बिहार की सियासत में खलबली है
बिहार की सियासत में खलबली है (ETV BHARAT)
PK फॉर्मूले ने बढ़ाई टेंशन (ETV BHARAT)

पटनाः आनेवाले 2 अक्टूबर यानी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर बिहार के सियासी पंडितों की नजर टिकी हुई है. दरअसल पूरे बिहार में घूम-घूम कर नये सियासी जागरण का दावा करनेवाले जन सुराज पदयात्रा के संयोजक प्रशांत किशोर 2 अक्टूबर को ही अपनी पार्टी की विधिवत घोषणा करेंगे. दावा तो ये भी है कि पार्टी की घोषणा से पहले ही प्रशांत किशोर ने 2025 में होनेवाले बिहार विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने का फॉर्मूला भी तैयार कर लिया है.

'जितनी भागीदारी, उतनी हिस्सेदारी': चुनावी इतिहास इस बात का गवाह है कि बिहार की सियासत पर जातियों का गहरा प्रभाव रहा है.लगता है कि बिहार के गांव-गांव घूम कर प्रशांत किशोर ने इस बात को अच्छी तरह जान-समझ लिया है. तभी तो उन्होंने जो अपना फॉर्मूला तैयार किया है वो जाति पर ही आधारित है. यानी जितनी भागीदारी, उतनी हिस्सेदारी के आधार पर प्रशांत किशोर की पार्टी जातियों की जनसंख्या के अनुपात में ही अपने प्रत्याशी उतारेगी.

महिलाओं पर भी रहेगा खास फोकसः सियासत में महिलाओं की तरक्की को लेकर सियासी दल बड़ी-बड़ी बात जरूर करते हैं लेकिन जब टिकट देने की बारी आती है तो महिलाओं की अनदेखी की जाती है. इस बात को भी प्रशांत किशोर ने समझा है और तय किया है कि एक लोकसभा क्षेत्र में एक महिला कैंडिडेट उतारेंगे. इस तरह बिहार की 40 लोकसभा क्षेत्रों के अनुसार कुल 40 महिला कैंडिडेट इस विधानसभा चुनाव में जन सुराज पार्टी उतारेगी.

"मान्यवर प्रशांत किशोर जी ने ये घोषणा कर रखी है कि संगठन में, टिकट में, शासन में, जहां भी आवश्यकता है, जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी हिस्सेदारी दी जाएगी.आनेवाले बिहार विधानसभा चुनाव में बिहार की सभी 243 सीटों पर जन सुराज पार्टी चुनाव लड़ेगी और जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी के आधार पर टिकट देगी."- संजय ठाकुर, राष्ट्रीय प्रवक्ता, जन सुराज

'जाति में जीत है'
'जाति में जीत है' (GFX ETV BHARAT)

बिहार में जातिगत समीकरणः अब बात करें बिहार में जातिगत समीकरण की तो बिहार सरकार की ओर से करवाई गई जातिगत जनगणना के आधार पर फिलहाल पूरे बिहार की आबादी 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार से ज्यादा है. बिहार सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक इनमें सबसे ज्यादा आबादी अति पिछड़े वर्ग की है जो 36 फीसदी से ज्यादा है. वहीं दूसरे नंबर पर 27.12 फीसदी के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग है.

तीसरे नंबर पर अनुसूचित जाति, चौथे पर मुस्लिमः इसके अलावा 19.65 फीसदी की भागीदारी के साथ अनुसूचित जाति तीसरे नंबर पर है और 17.7 फीसदी की भागीदारी के साथ मुस्लिम चौथे नंबर पर हैं. बात सामान्य वर्ग यानी सवर्णों की करें तो उनकी कुल आबादी 15.52 फीसदी है और अनुसूचित जाति की आबादी 1.68 फीसदी है.

47 सीटों पर मुस्लिमों का दबदबाः बिहार की कुल 243 विधानसभा सीटों में 47 सीटों पर मुस्लिम वोटर्स का खासा दबदबा है या यूं कहें कि मुस्लिम मतदाता ही इन 47 सीटों पर हार जीत तय करते हैं. इनमें सीमांचल के 4 जिले कटिहार, पूर्णिया, अररिया और किशनगंज के अलावा दरभंगा जिले में मुस्लिम आबादी ही राजनीति की दिशा तय करती है, क्योंकि इन जिलों में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 20 फीसदी से लेकर 60 फीसदी तक है.

28 फीसदी सीटों पर अति पिछड़ों का प्रभावः वहीं अति पिछड़ों की बात करें तो बिहार की 28 फीसदी सीटों पर इनका खासा प्रभाव है. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी सुपौल, मधेपुरा, झंझारपुर, भागलपुर, बांका, खगड़िया, पूर्णिया, जहानाबाद, काराकाट, उजियारपुर लोकसभा सीटों पर अति पिछड़ों के वोट ने ही निर्णायक भूमिका निभाई.

संख्या के अनुपात में मिलेंगे टिकट
संख्या के अनुपात में मिलेंगे टिकट (GFX ETV BHARAT)

जन सुराज की रणनीतिः टिकट बंटवारे को लेकर जन सुराज की रणनीतियों का खुलासा करते हुए पार्टी के मुख्य प्रवक्ता संजय ठाकुर ने बताया कि "बिहार में सबसे ज्यादा 35 % अति पिछड़ा समाज है तो उन्हें 243 के 35 फीसदी सीटों पर यानी 75 से अधिक सीटें दी जाएंगी. उसी फॉर्मूले के तहत करीब 50 टिकट मुस्लिमों को दिए जाएंगे. सवर्णों को भी 15 फीसदी के हिसाब से हिस्सेदारी दी जाएगी. इसके अलावा 40 लोकसभा सीटों पर एक-एक महिला के हिसाब से कुल 40 महिलाओं को टिकट दिया जाएगा."

PK फॉर्मूले से बिहार में सियासी खलबली
PK फॉर्मूले से बिहार में सियासी खलबली (GFX ETV BHARAT)

किसको नुकसान पहुंचाएगा PK का फॉर्मूलाः ? 'जितनी भागीदारी, उतनी हिस्सेदारी' वाले प्रशांत किशोर के फॉर्मूले ने बिहार के बड़े सियासी दलों में खलबली मचा दी है. आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं को लिखा गया चेतावनी भरा खत इस बेचैनी का प्रमाण भी है. दरअसल बिहार की सियासत में मुस्लिम और यादवों को आरजेडी का कोर वोट बैंक माना जाता है. ऐसे में PK के मुस्लिम वाले फॉर्मूले से आरजेडी को अपना सियासी समीकरण ध्वस्त होने का खतरा दिख रहा है.इसलिए ही आरजेडी नेता लगातार ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि प्रशांत किशोर तो बीजेपी की B टीम हैं.

"प्रशांत किशोर ये सारी बातें बीजेपी के लिए कर रहे हैं जिससे वो भारी मुनाफा कमाते हैं. जिसके लिए वो A टू Z की टीम हैं. बीजेपी की विचारधारा पर चलनेवाले लोग, उनके हाथों को मजबूत करनेवाले लोग, पीआर एजेंसी को चलानेवाले लोग, जिनका बिहार की मिट्टी और गिट्टी से कोई सरोकार नहीं है वो यही सब काम कर सकते हैं."- आरजू खान, प्रदेश प्रवक्ता, आरजेडी

अति पिछड़ों पर NDA का दावाः पिछले 20 सालों से बिहार की सियासत में जिस तरह से NDA का दबदबा कायम है उसके पीछे सबसे बड़ा हाथ है अति पिछड़े वर्ग का मजबूती से NDA के साथ खड़ा होना. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी अति पिछड़ा बहुल अधिकांश सीटों पर NDA प्रत्याशियों की ही जीत देखने को मिली. ऐसे में PK का अति पिछड़ा कार्ड निश्चित तौर पर NDA के लिए नुकसानदायक हो सकता है. ऐसे में बीजेपी प्रशांत किशोर पर उसी जातीय राजनीति का आरोप लगा रही है जिसके खिलाफ प्रशांत किशोर हमेशा मुखर रहे हैं.

"बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि प्रशांत किशोर जैसे लोग आज इस तरह के फॉर्मूले की बात करते हैं. यही प्रशांत किशोर कुछ दिनों पहले तक दूसरी बात किया करते थे. जो युवाओं को आगे बढ़ाने की बात करते थे, शिक्षा को लेकर बात करते थे वो लोग भी उसी फॉर्मूले पर आ गये जिस फॉर्मूले पर लालू प्रसाद या अन्य लोग चलते थे. जितनी भागीदारी, उतनी हिस्सेदारी वाले फॉर्मूले में तो वो ही मजबूत होता जाएगा जिसकी संख्या ज्यादा है. ऐसे में तेजस्वी यादव को सीएम बना दीजिए, क्योंकि यादवों की संख्या सबसे ज्यादा है."- मनीष पांडेय, प्रवक्ता, बीजेपी

क्या कहते हैं सियासी पंडित ?: 'जितनी भागीदारी, उतनी हिस्सेदारी' वाले प्रशांत किशोर के फॉर्मूले पर वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि "प्रशांत किशोर का मुस्लिम एवं अति पिछड़ा कार्ड NDA और आरजेडी दोनों के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है. मुस्लिम कार्ड से जहां आरजेडी को नुकसान हो सकता है वहीं पिछड़ा कार्ड NDA के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है, क्योंकि पिछड़ा वोट बैंक पर नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी दोनों अपना दावा करते हैं."

क्या मुकाबले को त्रिकोणीय बना पाएंगे PK ?: पिछले कई चुनावों से बिहार की जनता के पास दो विकल्प रहे हैं NDA या फिर महागठबंधन.2020 में चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा ने अपने-अपने दम पर कुछ करने की कोशिश की थी लेकिन वे पूरी तरह नाकाम रहे. इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं कि यहां तीसरा विकल्प खड़ा नहीं किया जा सकता है. पूरे बिहार के दौरे के बाद प्रशांत किशोर जो आत्मविश्वास दिखा रहे हैं उससे बिहार के बड़े सियासी दलों में बेचैनी साफ देखी जा रही है. यानी तीसरा विकल्प खड़ा करने के प्रशांत किशोर के दावों में कुछ न कुछ दम तो जरूर है.

ये भी पढ़ेंः'नया विकल्प चाहती है बिहार की जनता', प्रशांत किशोर का दावा- NDA और महागठबंधन से जनमानस त्रस्त - Prashant Kishor

क्या PK को लेकर RJD खेमे में है घबराहट?... प्रदेश अध्यक्ष के पत्र के बाद उठ रहे सवाल - Jagdanand Singh letter

PK ने मचा डाली खलबली ! आरजेडी को सताने लगा किस बात का डर ? आखिर जगदानंद को क्यों लिखना पड़ा खत - PRASHANT KISHOR

PK फॉर्मूले ने बढ़ाई टेंशन (ETV BHARAT)

पटनाः आनेवाले 2 अक्टूबर यानी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर बिहार के सियासी पंडितों की नजर टिकी हुई है. दरअसल पूरे बिहार में घूम-घूम कर नये सियासी जागरण का दावा करनेवाले जन सुराज पदयात्रा के संयोजक प्रशांत किशोर 2 अक्टूबर को ही अपनी पार्टी की विधिवत घोषणा करेंगे. दावा तो ये भी है कि पार्टी की घोषणा से पहले ही प्रशांत किशोर ने 2025 में होनेवाले बिहार विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने का फॉर्मूला भी तैयार कर लिया है.

'जितनी भागीदारी, उतनी हिस्सेदारी': चुनावी इतिहास इस बात का गवाह है कि बिहार की सियासत पर जातियों का गहरा प्रभाव रहा है.लगता है कि बिहार के गांव-गांव घूम कर प्रशांत किशोर ने इस बात को अच्छी तरह जान-समझ लिया है. तभी तो उन्होंने जो अपना फॉर्मूला तैयार किया है वो जाति पर ही आधारित है. यानी जितनी भागीदारी, उतनी हिस्सेदारी के आधार पर प्रशांत किशोर की पार्टी जातियों की जनसंख्या के अनुपात में ही अपने प्रत्याशी उतारेगी.

महिलाओं पर भी रहेगा खास फोकसः सियासत में महिलाओं की तरक्की को लेकर सियासी दल बड़ी-बड़ी बात जरूर करते हैं लेकिन जब टिकट देने की बारी आती है तो महिलाओं की अनदेखी की जाती है. इस बात को भी प्रशांत किशोर ने समझा है और तय किया है कि एक लोकसभा क्षेत्र में एक महिला कैंडिडेट उतारेंगे. इस तरह बिहार की 40 लोकसभा क्षेत्रों के अनुसार कुल 40 महिला कैंडिडेट इस विधानसभा चुनाव में जन सुराज पार्टी उतारेगी.

"मान्यवर प्रशांत किशोर जी ने ये घोषणा कर रखी है कि संगठन में, टिकट में, शासन में, जहां भी आवश्यकता है, जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी हिस्सेदारी दी जाएगी.आनेवाले बिहार विधानसभा चुनाव में बिहार की सभी 243 सीटों पर जन सुराज पार्टी चुनाव लड़ेगी और जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी के आधार पर टिकट देगी."- संजय ठाकुर, राष्ट्रीय प्रवक्ता, जन सुराज

'जाति में जीत है'
'जाति में जीत है' (GFX ETV BHARAT)

बिहार में जातिगत समीकरणः अब बात करें बिहार में जातिगत समीकरण की तो बिहार सरकार की ओर से करवाई गई जातिगत जनगणना के आधार पर फिलहाल पूरे बिहार की आबादी 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार से ज्यादा है. बिहार सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक इनमें सबसे ज्यादा आबादी अति पिछड़े वर्ग की है जो 36 फीसदी से ज्यादा है. वहीं दूसरे नंबर पर 27.12 फीसदी के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग है.

तीसरे नंबर पर अनुसूचित जाति, चौथे पर मुस्लिमः इसके अलावा 19.65 फीसदी की भागीदारी के साथ अनुसूचित जाति तीसरे नंबर पर है और 17.7 फीसदी की भागीदारी के साथ मुस्लिम चौथे नंबर पर हैं. बात सामान्य वर्ग यानी सवर्णों की करें तो उनकी कुल आबादी 15.52 फीसदी है और अनुसूचित जाति की आबादी 1.68 फीसदी है.

47 सीटों पर मुस्लिमों का दबदबाः बिहार की कुल 243 विधानसभा सीटों में 47 सीटों पर मुस्लिम वोटर्स का खासा दबदबा है या यूं कहें कि मुस्लिम मतदाता ही इन 47 सीटों पर हार जीत तय करते हैं. इनमें सीमांचल के 4 जिले कटिहार, पूर्णिया, अररिया और किशनगंज के अलावा दरभंगा जिले में मुस्लिम आबादी ही राजनीति की दिशा तय करती है, क्योंकि इन जिलों में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 20 फीसदी से लेकर 60 फीसदी तक है.

28 फीसदी सीटों पर अति पिछड़ों का प्रभावः वहीं अति पिछड़ों की बात करें तो बिहार की 28 फीसदी सीटों पर इनका खासा प्रभाव है. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी सुपौल, मधेपुरा, झंझारपुर, भागलपुर, बांका, खगड़िया, पूर्णिया, जहानाबाद, काराकाट, उजियारपुर लोकसभा सीटों पर अति पिछड़ों के वोट ने ही निर्णायक भूमिका निभाई.

संख्या के अनुपात में मिलेंगे टिकट
संख्या के अनुपात में मिलेंगे टिकट (GFX ETV BHARAT)

जन सुराज की रणनीतिः टिकट बंटवारे को लेकर जन सुराज की रणनीतियों का खुलासा करते हुए पार्टी के मुख्य प्रवक्ता संजय ठाकुर ने बताया कि "बिहार में सबसे ज्यादा 35 % अति पिछड़ा समाज है तो उन्हें 243 के 35 फीसदी सीटों पर यानी 75 से अधिक सीटें दी जाएंगी. उसी फॉर्मूले के तहत करीब 50 टिकट मुस्लिमों को दिए जाएंगे. सवर्णों को भी 15 फीसदी के हिसाब से हिस्सेदारी दी जाएगी. इसके अलावा 40 लोकसभा सीटों पर एक-एक महिला के हिसाब से कुल 40 महिलाओं को टिकट दिया जाएगा."

PK फॉर्मूले से बिहार में सियासी खलबली
PK फॉर्मूले से बिहार में सियासी खलबली (GFX ETV BHARAT)

किसको नुकसान पहुंचाएगा PK का फॉर्मूलाः ? 'जितनी भागीदारी, उतनी हिस्सेदारी' वाले प्रशांत किशोर के फॉर्मूले ने बिहार के बड़े सियासी दलों में खलबली मचा दी है. आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं को लिखा गया चेतावनी भरा खत इस बेचैनी का प्रमाण भी है. दरअसल बिहार की सियासत में मुस्लिम और यादवों को आरजेडी का कोर वोट बैंक माना जाता है. ऐसे में PK के मुस्लिम वाले फॉर्मूले से आरजेडी को अपना सियासी समीकरण ध्वस्त होने का खतरा दिख रहा है.इसलिए ही आरजेडी नेता लगातार ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि प्रशांत किशोर तो बीजेपी की B टीम हैं.

"प्रशांत किशोर ये सारी बातें बीजेपी के लिए कर रहे हैं जिससे वो भारी मुनाफा कमाते हैं. जिसके लिए वो A टू Z की टीम हैं. बीजेपी की विचारधारा पर चलनेवाले लोग, उनके हाथों को मजबूत करनेवाले लोग, पीआर एजेंसी को चलानेवाले लोग, जिनका बिहार की मिट्टी और गिट्टी से कोई सरोकार नहीं है वो यही सब काम कर सकते हैं."- आरजू खान, प्रदेश प्रवक्ता, आरजेडी

अति पिछड़ों पर NDA का दावाः पिछले 20 सालों से बिहार की सियासत में जिस तरह से NDA का दबदबा कायम है उसके पीछे सबसे बड़ा हाथ है अति पिछड़े वर्ग का मजबूती से NDA के साथ खड़ा होना. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी अति पिछड़ा बहुल अधिकांश सीटों पर NDA प्रत्याशियों की ही जीत देखने को मिली. ऐसे में PK का अति पिछड़ा कार्ड निश्चित तौर पर NDA के लिए नुकसानदायक हो सकता है. ऐसे में बीजेपी प्रशांत किशोर पर उसी जातीय राजनीति का आरोप लगा रही है जिसके खिलाफ प्रशांत किशोर हमेशा मुखर रहे हैं.

"बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि प्रशांत किशोर जैसे लोग आज इस तरह के फॉर्मूले की बात करते हैं. यही प्रशांत किशोर कुछ दिनों पहले तक दूसरी बात किया करते थे. जो युवाओं को आगे बढ़ाने की बात करते थे, शिक्षा को लेकर बात करते थे वो लोग भी उसी फॉर्मूले पर आ गये जिस फॉर्मूले पर लालू प्रसाद या अन्य लोग चलते थे. जितनी भागीदारी, उतनी हिस्सेदारी वाले फॉर्मूले में तो वो ही मजबूत होता जाएगा जिसकी संख्या ज्यादा है. ऐसे में तेजस्वी यादव को सीएम बना दीजिए, क्योंकि यादवों की संख्या सबसे ज्यादा है."- मनीष पांडेय, प्रवक्ता, बीजेपी

क्या कहते हैं सियासी पंडित ?: 'जितनी भागीदारी, उतनी हिस्सेदारी' वाले प्रशांत किशोर के फॉर्मूले पर वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि "प्रशांत किशोर का मुस्लिम एवं अति पिछड़ा कार्ड NDA और आरजेडी दोनों के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है. मुस्लिम कार्ड से जहां आरजेडी को नुकसान हो सकता है वहीं पिछड़ा कार्ड NDA के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है, क्योंकि पिछड़ा वोट बैंक पर नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी दोनों अपना दावा करते हैं."

क्या मुकाबले को त्रिकोणीय बना पाएंगे PK ?: पिछले कई चुनावों से बिहार की जनता के पास दो विकल्प रहे हैं NDA या फिर महागठबंधन.2020 में चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा ने अपने-अपने दम पर कुछ करने की कोशिश की थी लेकिन वे पूरी तरह नाकाम रहे. इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं कि यहां तीसरा विकल्प खड़ा नहीं किया जा सकता है. पूरे बिहार के दौरे के बाद प्रशांत किशोर जो आत्मविश्वास दिखा रहे हैं उससे बिहार के बड़े सियासी दलों में बेचैनी साफ देखी जा रही है. यानी तीसरा विकल्प खड़ा करने के प्रशांत किशोर के दावों में कुछ न कुछ दम तो जरूर है.

ये भी पढ़ेंः'नया विकल्प चाहती है बिहार की जनता', प्रशांत किशोर का दावा- NDA और महागठबंधन से जनमानस त्रस्त - Prashant Kishor

क्या PK को लेकर RJD खेमे में है घबराहट?... प्रदेश अध्यक्ष के पत्र के बाद उठ रहे सवाल - Jagdanand Singh letter

PK ने मचा डाली खलबली ! आरजेडी को सताने लगा किस बात का डर ? आखिर जगदानंद को क्यों लिखना पड़ा खत - PRASHANT KISHOR

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