डीडवाना. राज्य सरकार भले ही राजस्थान के अस्पतालों के हालात सुधारने के दावे करती हो, लेकिन हकीकत यह है कि धरातल पर सरकार के ये दावे खोखले साबित हो रहे हैं. मरीजों को अव्यवस्थाओं से जूझना पड़ता है. मरीजों को ना तो माकूल इलाज मिलता है, ना ही उन्हें कोई सुविधाएं दी जाती हैं. ऐसा ही एक मामला डीडवाना जिले के परबतसर में सामने आया है, जिसमें सरकारी अस्पताल में व्याप्त लापरवाही और सरकारी दावों की पोल खुल गई. इस अस्पताल में नसबंदी ऑपरेशन करवाने आई महिलाओं को ऑपरेशन के बाद बेड तक नहीं दिया गया. उल्टे उन्हें फर्श पर बिस्तर बिछाकर लिटा दिया गया.
यही नहीं, तपती गर्मी में राहत देने के लिए पंखा या कूलर का भी कोई इंतजाम नहीं किया गया. इस मामले में अब चिकित्सा विभाग हरकत में आया है और सीएमएचओ अनिल कुमार ने अस्पताल प्रशासन को नोटिस देकर जांच के आदेश दिए हैं. वहीं, अतिरिक्त जिला कलक्टर श्योराम वर्मा ने भी नाराजगी जताते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है.
बता दें कि परबतसर के राजकीय उप जिला चिकित्सालय में सोमवार को महिलाओं का नसबंदी शिविर का आयोजन किया गया था. शिविर में 58 महिलाओं का पंजीयन हुआ, जिनमें से 38 महिलाओं की नसबंदी की गई, लेकिन जिन महिलाओं की नसबंदी की गई, उनको नीचे फर्श पर ही बिस्तर बिछाकर लेटा दिया गया. तपती गर्मी में महिलाओं के लिए पंखे या कूलर की भी माकूल व्यवस्था नहीं की गई थी. इस कारण नसबंदी करवाने वाली महिलाएं परेशान होती नजर आईं. कुछ महिलाओं ने अस्पताल प्रशासन से उन्हें बेड पर लेटाने की मांग भी की, लेकिन उनके सुनवाई करने वाला कोई नजर नहीं आया.
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ADM बोले- की जाएगी जांच : इस संबंध में अस्पताल प्रशासन का कहना है कि अस्पताल में 100 बेड स्वीकृत है, जो पर्याप्त भी है. लेकिन स्टाफ की कमी और मौसमी बीमारियों के कारण बेड भरे होने के कारण इन महिलाओं को अलग-अलग वार्ड में शिफ्ट नहीं किया जा सका. जबकि सीएमएचओ डॉक्टर अनिल जुनोदिया का कहना है कि इस मामले को लेकर उन्होंने परबतसर अस्पताल के पीएमओ को आवश्यक निर्देश दिए है. साथ ही यह हिदायत दी है कि भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही की पुनरावृत्ति ना हो. वहीं, अतिरिक्त जिला कलेक्टर श्योराम वर्मा ने कहा कि इस मामले की जांच करवाई जाएगी और जो दोषी होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी.