पलामू: मई के महीने में ही पलामू टाइगर रिजर्व के जल स्रोतों में बचा हुआ पानी खत्म हो सकता है. यह वक्त वन्यजीवों के लिए संकट भरा शुरू होने वाला है. दरअसल मार्च के अंतिम सप्ताह में पलामू प्रमंडल का तापमान 36 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक पहुंच चुका है. लगातार इलाके में झारखंड में सबसे अधिक तापमान को रिकॉर्ड किया जा रहा है.
पलामू टाइगर रिजर्व झारखंड छत्तीसगढ़ सीमा पर सबसे बड़ा वन्य जीवों के लिए सबसे बड़ा केंद्र है. पीटीआर में बाघ, तेंदुआ, हाथी, बायसन, भालू, भेड़िया, हिरण, चीतल समेत कई प्रकार के वन्य जीव मौजूद है. पलामू टाइगर रिजर्व में वन्यजीव पानी के लिए प्राकृतिक और कृत्रिम जल स्रोत पर निर्भर है. पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके से ही कोयल, औरंगा और बूढ़ा समेत आधा दर्जन छोटी बड़ी नदियां गुजरती हैं. जबकि 150 से अधिक प्राकृतिक जल स्रोत हैं. वहीं 250 के करीब कृत्रिम जल स्रोत भी हैं. बूढ़ा नदी सूख चुकी है जबकि कोयल और औरंगाबाद नदी अगले कुछ सप्ताह में पूरी तरह से सूख जाएगी. चेक डैम एवं तालाब भी सूखने की कगार पर पहुंचने वाले हैं.
विभाग ने अलर्ट मोड पर शुरू किया है काम, सोलर सिस्टम से हालात से निपटने की तैयारी
जल संकट शुरू होने से पहले पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने अलर्ट मोड पर काम करना शुरू कर दिया है. पलामू टाइगर रिजर्व के वितरण नेशनल पार्क के इलाके में शुरुआती तौर पर विभाग ने सोलर सिस्टम से पानी को उपलब्ध कराने की योजना तैयार की थी. सोलर सिस्टम की सफलता के बाद पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन पूरे इलाके में वन्य जीवों के लिए पानी उपलब्ध करवाने को योजना तैयार की है.
दरअसल, पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में डीप बोर को सोलर सिस्टम से जोड़ा गया है और 24 घंटे पानी सप्लाई की व्यवस्था की गई है. पूरे पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में 15 जगह पर सोलर सिस्टम से पानी की व्यवस्था की गई है. पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में 50 से अधिक चेकडैम हैं, जबकि 200 से अधिक कृत्रिम जल स्रोत भी हैं. पलामू टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक प्रदेशकांत जेना बताते है कि सोलर सिस्टम को एक्टिवेट किया गया है और कई योजनाओं पर काम किया जा रहा है. वन्य जीव के लिए पानी के संकट को दूर किया जाएगा.
पीटीआर में एक दशक के बाद बाघों ने बनाया है अपना ठिकाना, गर्मियों में होता है संकट
पलामू टाइगर रिजर्व में एक दशक के बाद तीन से अधिक बाघों ने अपना ठिकाना बनाया है. प्रबंधन लगातार सभी बाघों की गतिविधि को मॉनिटर कर रहा है. पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में तापमान को देखते हुए विभाग कई पहल भी कर रहा है, ताकि बाघ इलाके को छोड़कर नहीं जाए.
दरअसल गर्मियों के दिनों में बाघ के अलावा अन्य वन्यजीवों पर भी संकट शुरू हो जाते हैं. पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में मौजूद बाघ मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की इलाके से दाखिल हुए हैं. पानी की तलाश में हिरण और चीतल पीटीआर से बाहर निकाल कर ग्रामीण इलाकों में पहुंच जाते हैं. ग्रामीण इलाकों में हिरण का कुत्ता समेत अन्य लोग भी शिकार करने की कोशिश करते हैं. पिछले 5 वर्षों की आंकड़ों पर गौर करें तो 20 से भी अधिक हिरण पीटीआर के बाहरी क्षेत्रों में मृत मिली हैं. गर्मी के दिनों में जल स्रोत सीमित होने के कारण शिकारी भी अपना ठिकाना बनाने की कोशिश करते है. वन विभाग के ऐसे इलाकों में अपनी मॉनिटरिंग को तेज करते हैं और अतिरिक्त कर्मियों की तैनाती की जाती है.
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