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हाईकोर्ट का आदेश, संगठित अपराध में BNS कानून लागू होने की तारीख से पहले के क्राइम भी शामिल होंगे

संगठित अपराध में वह क्राइम भी शामिल माने जाएंगे जो इस कानून के लागू होने की तिथि (1 जुलाई 2024) से पहले किये गए थे.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 3 hours ago

Photo Credit: ETV Bharat
इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश (Photo Credit: ETV Bharat)

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि भारतीय न्याय संहिता की संगठित अपराध की धारा 111 का पूर्ववर्ती प्रभाव भी होगा. अर्थात इसमें वह अपराध भी शामिल माने जाएंगे, जो इस कानून के लागू होने की तिथि (1 जुलाई 2024 ) से पूर्व में संगठित अपराध के रूप में किए गए हैं. कोर्ट ने कहा कि यदि अभियुक्त पर यह साबित होता है कि वह लगातार अपराध में शामिल है और उसके विरुद्ध पूर्व में किन्ही अपराधों में आरोप पत्र दाखिल हो चुका है, तो यह माना जाएगा कि वह लगातार अपराध कर रहा है. इस स्थिति में वह भारतीय न्याय संहिता की धारा 111 (संगठित अपराध) के दायरे में आएगा.

कानपुर के हरेंद्र कुमार मसीह और जितेश झा आदि की याचिकाएं खारिज करते हुए न्यायमूर्ति बीके बिरला और न्यायमूर्ति अरुण सिंह देशवाल की खंडपीठ ने यह आदेश दिया. याची के खिलाफ कानपुर के कोतवाली थाने में नजूल भूमि पर कब्जा करने का प्रयास करने का मुकदमा दर्ज कराया गया था. विवेचना के दौरान इसमें अन्य अपराधों के अलावा संगठित अपराध की धारा 111 को भी जोड़ा गया.

याची के अधिवक्ता का कहना था कि बीएनएस की धारा 111 इस मामले में लागू नहीं होगी क्योंकि याची के खिलाफ जिन चार मुकदमों में चार्ज शीट दाखिल की गई है वह बीएनएस लागू होने अर्थात 1 जुलाई 2024 के पूर्व की है. याची के विरुद्ध ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि वह संगठित आपराधिक गिरोह का सदस्य है और लगातार अपराध में शामिल है. जैसा की धारा 111 का प्रावधान लागू करने के लिए आवश्यक है.

याचिका का विरोध करते हुए अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कहा कि याची के विरुद्ध दर्ज प्राथमिकी से संज्ञेय अपराध बनता है. जिस नजूल भूमि पर कब्जे का प्रयास किया गया, वह सरकार में निहित हो चुकी है. याची हरेंद्र के खिलाफ 12 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें से चार मुकदमों में आरोप पत्र दाखिल हो चुका है. दो आरोप पत्रों पर न्यायालय द्वारा संज्ञान भी लिया जा चुका है. इसलिए धारा 111 के तहत उसके लगातार अपराध में लिप्त होने की शर्त पूरी होती है. वह भगोड़ा है और उसके ऊपर सरकार ने 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है .

कोर्ट ने कहा की धारा 111 के प्रावधानों से स्पष्ट है कि इसका पूर्ववर्ती प्रभाव भी होगा. याची के विरुद्ध पहले ही चार्ज शीट दाखिल हो चुकी है और दो में कोर्ट ने संज्ञान ले लिया है. कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी.

ये भी पढ़ें- मिल्कीपुर में अभी उपचुनाव नहीं होने का असली कारण आया सामने, जानिए किसने अटकाया रोड़ा?

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि भारतीय न्याय संहिता की संगठित अपराध की धारा 111 का पूर्ववर्ती प्रभाव भी होगा. अर्थात इसमें वह अपराध भी शामिल माने जाएंगे, जो इस कानून के लागू होने की तिथि (1 जुलाई 2024 ) से पूर्व में संगठित अपराध के रूप में किए गए हैं. कोर्ट ने कहा कि यदि अभियुक्त पर यह साबित होता है कि वह लगातार अपराध में शामिल है और उसके विरुद्ध पूर्व में किन्ही अपराधों में आरोप पत्र दाखिल हो चुका है, तो यह माना जाएगा कि वह लगातार अपराध कर रहा है. इस स्थिति में वह भारतीय न्याय संहिता की धारा 111 (संगठित अपराध) के दायरे में आएगा.

कानपुर के हरेंद्र कुमार मसीह और जितेश झा आदि की याचिकाएं खारिज करते हुए न्यायमूर्ति बीके बिरला और न्यायमूर्ति अरुण सिंह देशवाल की खंडपीठ ने यह आदेश दिया. याची के खिलाफ कानपुर के कोतवाली थाने में नजूल भूमि पर कब्जा करने का प्रयास करने का मुकदमा दर्ज कराया गया था. विवेचना के दौरान इसमें अन्य अपराधों के अलावा संगठित अपराध की धारा 111 को भी जोड़ा गया.

याची के अधिवक्ता का कहना था कि बीएनएस की धारा 111 इस मामले में लागू नहीं होगी क्योंकि याची के खिलाफ जिन चार मुकदमों में चार्ज शीट दाखिल की गई है वह बीएनएस लागू होने अर्थात 1 जुलाई 2024 के पूर्व की है. याची के विरुद्ध ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि वह संगठित आपराधिक गिरोह का सदस्य है और लगातार अपराध में शामिल है. जैसा की धारा 111 का प्रावधान लागू करने के लिए आवश्यक है.

याचिका का विरोध करते हुए अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कहा कि याची के विरुद्ध दर्ज प्राथमिकी से संज्ञेय अपराध बनता है. जिस नजूल भूमि पर कब्जे का प्रयास किया गया, वह सरकार में निहित हो चुकी है. याची हरेंद्र के खिलाफ 12 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें से चार मुकदमों में आरोप पत्र दाखिल हो चुका है. दो आरोप पत्रों पर न्यायालय द्वारा संज्ञान भी लिया जा चुका है. इसलिए धारा 111 के तहत उसके लगातार अपराध में लिप्त होने की शर्त पूरी होती है. वह भगोड़ा है और उसके ऊपर सरकार ने 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है .

कोर्ट ने कहा की धारा 111 के प्रावधानों से स्पष्ट है कि इसका पूर्ववर्ती प्रभाव भी होगा. याची के विरुद्ध पहले ही चार्ज शीट दाखिल हो चुकी है और दो में कोर्ट ने संज्ञान ले लिया है. कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी.

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