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जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव, विपक्षी दलों ने लगाया पक्षपात का आरोप - NO CONFIDENCE AGAINST DHANKHAR

No Confidence Motion against Jagdeep Dhankhar: इस प्रस्ताव पर 60 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं. विस्तार से पढ़ें.

NO CONFIDENCE AGAINST DHANKHAR
जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 10, 2024, 3:00 PM IST

Updated : Dec 10, 2024, 3:09 PM IST

नई दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र हंगामे की भेंट चढ़ रहा है. हर दिन दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित हो रही है. इस बीच विपक्षी दल राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ के विरोध में खड़ा हो गया है. विपक्षी दल जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया है. विपक्षी दलों ने उच्च सदन के महासचिव को यह अविश्वास प्रस्ताव सौंपा है.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए लिखा कि इंडिया गठबंधन राज्यसभा के सभापति के पक्षपातपूर्ण रवैया के खिलाफ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव पेश कर रहा है. इसके अलावा कोई और विकल्प नहीं था. जानकारी के मुताबिक दोपहर करीब 1 बजकर 37 मिनट के आसपास राज्यसभा के जनरल सेक्रेटरी को यह प्रस्ताव सौंपा. बता दें, विपक्षी दलों के करीब 60 सांसदों ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं. वहीं, इस प्रस्ताव पर सोनिया गांधी समेत किसी भी दल के नेता के हस्ताक्षर नहीं हैं.

कांग्रेस की बात करें तो जयराम रमेश के अलावा प्रमोद तिवारी और टीएमसी के नदीम उल हक और सागरिका घोष ने यह प्रस्ताव सौंपा. सभापति पर आरोप लगाते हुए कहा गया कि ये हमलोगों को बोलने नहीं देते. पक्षपातपूर्ण रवैया करते हैं. तृणमूल कांग्रेस की सांसद सागरिका घोष ने कहा कि टीएमसी ने राज्यसभा से वॉकआउट किया है. अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए, संवैधानिक संसदीय लोकतंत्र की रक्षा के लिए, हमने अपना अविश्वास प्रस्ताव दिया है. हमने यह इसलिए दिया है क्योंकि मोदी सरकार संसद की हत्या कर रही है. विपक्ष को लोगों के मुद्दे उठाने नहीं दिए जा रहे हैं.

वहीं, टीएमसी सांसद सुष्मिता देव ने कहा कि विपक्ष द्वारा राज्यसभा के सभापति के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव संविधान के तहत जायज है.

जानें अविश्वास प्रस्ताव लाने की क्या है प्रक्रिया
उपराष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं. यह आर्टिकल 67-बी के तहत होता है. वहीं, नियमों के मुताबिक यह प्रस्ताव 14 दिन पहले सदन के महासचिव को सौंपा जाता है. अगर राज्यसभा से यह पास हो जाता है तो इसे लोकसभा में भेजा जाता है. बता दें, लोकसभा की सहमति जरूरी होती है.

पढ़ें: मोदी-अडाणी भाई-भाई लिखा हुआ बैग लेकर संसद पहुंचीं प्रियंका, भाजपा बोली- फैशन शो नहीं चल रहा यहां

नई दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र हंगामे की भेंट चढ़ रहा है. हर दिन दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित हो रही है. इस बीच विपक्षी दल राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ के विरोध में खड़ा हो गया है. विपक्षी दल जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया है. विपक्षी दलों ने उच्च सदन के महासचिव को यह अविश्वास प्रस्ताव सौंपा है.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए लिखा कि इंडिया गठबंधन राज्यसभा के सभापति के पक्षपातपूर्ण रवैया के खिलाफ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव पेश कर रहा है. इसके अलावा कोई और विकल्प नहीं था. जानकारी के मुताबिक दोपहर करीब 1 बजकर 37 मिनट के आसपास राज्यसभा के जनरल सेक्रेटरी को यह प्रस्ताव सौंपा. बता दें, विपक्षी दलों के करीब 60 सांसदों ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं. वहीं, इस प्रस्ताव पर सोनिया गांधी समेत किसी भी दल के नेता के हस्ताक्षर नहीं हैं.

कांग्रेस की बात करें तो जयराम रमेश के अलावा प्रमोद तिवारी और टीएमसी के नदीम उल हक और सागरिका घोष ने यह प्रस्ताव सौंपा. सभापति पर आरोप लगाते हुए कहा गया कि ये हमलोगों को बोलने नहीं देते. पक्षपातपूर्ण रवैया करते हैं. तृणमूल कांग्रेस की सांसद सागरिका घोष ने कहा कि टीएमसी ने राज्यसभा से वॉकआउट किया है. अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए, संवैधानिक संसदीय लोकतंत्र की रक्षा के लिए, हमने अपना अविश्वास प्रस्ताव दिया है. हमने यह इसलिए दिया है क्योंकि मोदी सरकार संसद की हत्या कर रही है. विपक्ष को लोगों के मुद्दे उठाने नहीं दिए जा रहे हैं.

वहीं, टीएमसी सांसद सुष्मिता देव ने कहा कि विपक्ष द्वारा राज्यसभा के सभापति के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव संविधान के तहत जायज है.

जानें अविश्वास प्रस्ताव लाने की क्या है प्रक्रिया
उपराष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं. यह आर्टिकल 67-बी के तहत होता है. वहीं, नियमों के मुताबिक यह प्रस्ताव 14 दिन पहले सदन के महासचिव को सौंपा जाता है. अगर राज्यसभा से यह पास हो जाता है तो इसे लोकसभा में भेजा जाता है. बता दें, लोकसभा की सहमति जरूरी होती है.

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Last Updated : Dec 10, 2024, 3:09 PM IST
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