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देशभर में लागू हुए नए आपराधिक कानून, जानकारों से समझिये क्या आएगा बदलाव? - Experts opinion New Criminal Laws

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 1, 2024, 3:45 PM IST

Updated : Jul 1, 2024, 5:35 PM IST

New Criminal Laws, Experts opinion New Criminal Laws देशभर में आज तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गये हैं. इन तीन नये आपराधिक कानूनों को लेकर देश की जनता उत्सुक है. हर कोई कानून में हुए बदलावों और नये कानूनों के बारे में विस्तार से जानना चाहता है. इसके लिए ईटीवी भारत ने कानून के जानकारों से बात की.

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देशभर में लागू हुए नए आपराधिक कानून (Etv Bharat)

देशभर में लागू हुए नए आपराधिक कानून (Etv Bharat)

देहरादून: 1 जुलाई से केंद्र सरकार ने कई नए कानून को आईपीसी की धारा में शामिल किया है. कई ऐसे कानून हैं जिनको हटा दिया गया है या फिर उनमें संशोधन हुआ है. इन सारे कानून को आसान भाषा में समझने के लिए ईटीवी भारत ने कानून के जानकारों से बात की. उत्तराखंड हाई कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे युवा एडवोकेट शिव वर्मा ने बताया आजादी के बाद से लेकर आईपीसी में कुछ खास बदलाव नहीं हुए थे, अब तक ब्रिटिश कालीन कानून की झलक हमारे आईपीसी में देखी जाती थी. अब बड़े स्तर पर इसमें बदलाव किया गया है.

NEW CRIMINAL LAWS
क्या हैं नये कानून (Etv bharat)

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए एडवोकेट शिव वर्मा ने बताया ब्रिटिश कालीन पुलिस कानून में तकरीबन 576 अलग-अलग तरह के सेक्शन थे, जिन्हें अब संशोधित कर के 356 कर दिया गया है. इसके अलावा 175 धाराएं ऐसी थी जिनमें रिफॉर्म की जरूरत थी. इन्हें संशोधित करके आज के समय के अनुसार रेलीवेंट बनाया गया है. वहीं इसके अलावा आठ नहीं महत्वपूर्ण धाराएं आईपीसी कानून में जोड़ी गई हैं, 22 सेक्शन हटाए गए हैं.

कानून की जानकारों का कहना है कि आज के दौर को देखते हुए कुछ ऐसे कानून थे जो रेलीवेंट नहीं थे, उन्हें हटाया गया है. वहीं, कुछ ऐसे महत्वपूर्ण प्रावधान हैं जिनकी आज के समय के अनुसार जरूरत है, जिनमें स्नैचिंग, मॉब लिंचिंग, नकल कानून, नेशनल सिक्योरिटी के कई मामले हैं, जिसके लिए नए कानून लाये गये हैं.

NEW CRIMINAL LAWS
कौन कानून किसकी जगह लेगा (Etv bharat)

महिला सुरक्षा के लिए खास तौर से कई नए सख्त प्रावधान किए गए हैं, जिन पर ध्यान देने की जरूरत है. इसके अलावा अगर सामाजिक रिश्तों की बात करें तो फॉल्स प्रोमाइजेज और रिलेशनशिप संबंधित भी कई नए प्रावधान किए गए हैं. उन्होंने कहा अभी यह नए कानून आए हैं. धीरे-धीरे इनको ज्यूडिशरी में फिट करना है. पुराने मामले पुराने कानूनों के साथ चलेंगे. नए मामलों को इन कानूनों के हिसाब से हेंडल किया जाएगा.

नये कानून आने के बाद आएंगे बदलाव

  • नए कानून के मुताबिक, आपराधिक मामलों में सुनवाई समाप्त होने के 45 दिनों के भीतर फैसला.
  • पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय किए जाएंगे. सभी राज्य सरकारों को गवाहों की सुरक्षा और सहयोग सुनिश्चित करने के लिए गवाह सुरक्षा योजनाएं लागू करना होगा.
  • बलात्कार पीड़िताओं के बयान महिला पुलिस अधिकारी की ओर से पीड़िता के अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज किए जाएंगे. मेडिकल रिपोर्ट सात दिनों के भीतर पूरी होनी चाहिए.
  • कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है. इसमें बच्चे को खरीदना या बेचना एक जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा गया है, जिसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान है.
  • नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है.
  • नए कानून में अब उन मामलों के लिए सजा का प्रावधान शामिल है, जिसके तहत महिलाओं को शादी का झूठा वादा करके या गुमराह करके छोड़ दिया जाता है.
  • इसके अलावा नए कानून में महिलाओं के खिलाफ अपराध के पीड़ितों को 90 दिनों के भीतर अपने मामलों पर नियमित अपडेट प्राप्त करने का अधिकार होगा. सभी अस्पतालों को महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराध के मामले में मुफ्त इलाज करना जरूरी होगा.
  • आरोपी और पीड़ित दोनों को 14 दिनों के भीतर एफआईआर, पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट, बयान, इकबालिया बयान और अन्य दस्तावेजों की कॉपी प्राप्त करने का अधिकार है.
  • इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से घटनाओं की रिपोर्ट की जा सकेगी, जिससे पुलिस स्टेशन जाने की जरूरत समाप्त हो सकेगी. साथ ही व्यक्ति FIR को अपने अधिकार क्षेत्र वाले थाने के बजाए भी दर्ज करा सकता है.
  • अब गंभीर अपराधों के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों का घटनास्थल पर जाना और साक्ष्य एकत्र करना अनिवार्य होगा.
  • लिंग की परिभाषा में अब ट्रांसजेंडर लोग भी शामिल होंगे, जो समानता को बढ़ावा देता है. महिलाओं के खिलाफ कुछ अपराधों के लिए जब भी संभव हो, पीड़ित के बयान महिला मजिस्ट्रेट की ओर से ही दर्ज किए जाने का प्रावधान है.

देशभर में लागू हुए नए आपराधिक कानून (Etv Bharat)

देहरादून: 1 जुलाई से केंद्र सरकार ने कई नए कानून को आईपीसी की धारा में शामिल किया है. कई ऐसे कानून हैं जिनको हटा दिया गया है या फिर उनमें संशोधन हुआ है. इन सारे कानून को आसान भाषा में समझने के लिए ईटीवी भारत ने कानून के जानकारों से बात की. उत्तराखंड हाई कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे युवा एडवोकेट शिव वर्मा ने बताया आजादी के बाद से लेकर आईपीसी में कुछ खास बदलाव नहीं हुए थे, अब तक ब्रिटिश कालीन कानून की झलक हमारे आईपीसी में देखी जाती थी. अब बड़े स्तर पर इसमें बदलाव किया गया है.

NEW CRIMINAL LAWS
क्या हैं नये कानून (Etv bharat)

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए एडवोकेट शिव वर्मा ने बताया ब्रिटिश कालीन पुलिस कानून में तकरीबन 576 अलग-अलग तरह के सेक्शन थे, जिन्हें अब संशोधित कर के 356 कर दिया गया है. इसके अलावा 175 धाराएं ऐसी थी जिनमें रिफॉर्म की जरूरत थी. इन्हें संशोधित करके आज के समय के अनुसार रेलीवेंट बनाया गया है. वहीं इसके अलावा आठ नहीं महत्वपूर्ण धाराएं आईपीसी कानून में जोड़ी गई हैं, 22 सेक्शन हटाए गए हैं.

कानून की जानकारों का कहना है कि आज के दौर को देखते हुए कुछ ऐसे कानून थे जो रेलीवेंट नहीं थे, उन्हें हटाया गया है. वहीं, कुछ ऐसे महत्वपूर्ण प्रावधान हैं जिनकी आज के समय के अनुसार जरूरत है, जिनमें स्नैचिंग, मॉब लिंचिंग, नकल कानून, नेशनल सिक्योरिटी के कई मामले हैं, जिसके लिए नए कानून लाये गये हैं.

NEW CRIMINAL LAWS
कौन कानून किसकी जगह लेगा (Etv bharat)

महिला सुरक्षा के लिए खास तौर से कई नए सख्त प्रावधान किए गए हैं, जिन पर ध्यान देने की जरूरत है. इसके अलावा अगर सामाजिक रिश्तों की बात करें तो फॉल्स प्रोमाइजेज और रिलेशनशिप संबंधित भी कई नए प्रावधान किए गए हैं. उन्होंने कहा अभी यह नए कानून आए हैं. धीरे-धीरे इनको ज्यूडिशरी में फिट करना है. पुराने मामले पुराने कानूनों के साथ चलेंगे. नए मामलों को इन कानूनों के हिसाब से हेंडल किया जाएगा.

नये कानून आने के बाद आएंगे बदलाव

  • नए कानून के मुताबिक, आपराधिक मामलों में सुनवाई समाप्त होने के 45 दिनों के भीतर फैसला.
  • पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय किए जाएंगे. सभी राज्य सरकारों को गवाहों की सुरक्षा और सहयोग सुनिश्चित करने के लिए गवाह सुरक्षा योजनाएं लागू करना होगा.
  • बलात्कार पीड़िताओं के बयान महिला पुलिस अधिकारी की ओर से पीड़िता के अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज किए जाएंगे. मेडिकल रिपोर्ट सात दिनों के भीतर पूरी होनी चाहिए.
  • कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है. इसमें बच्चे को खरीदना या बेचना एक जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा गया है, जिसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान है.
  • नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है.
  • नए कानून में अब उन मामलों के लिए सजा का प्रावधान शामिल है, जिसके तहत महिलाओं को शादी का झूठा वादा करके या गुमराह करके छोड़ दिया जाता है.
  • इसके अलावा नए कानून में महिलाओं के खिलाफ अपराध के पीड़ितों को 90 दिनों के भीतर अपने मामलों पर नियमित अपडेट प्राप्त करने का अधिकार होगा. सभी अस्पतालों को महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराध के मामले में मुफ्त इलाज करना जरूरी होगा.
  • आरोपी और पीड़ित दोनों को 14 दिनों के भीतर एफआईआर, पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट, बयान, इकबालिया बयान और अन्य दस्तावेजों की कॉपी प्राप्त करने का अधिकार है.
  • इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से घटनाओं की रिपोर्ट की जा सकेगी, जिससे पुलिस स्टेशन जाने की जरूरत समाप्त हो सकेगी. साथ ही व्यक्ति FIR को अपने अधिकार क्षेत्र वाले थाने के बजाए भी दर्ज करा सकता है.
  • अब गंभीर अपराधों के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों का घटनास्थल पर जाना और साक्ष्य एकत्र करना अनिवार्य होगा.
  • लिंग की परिभाषा में अब ट्रांसजेंडर लोग भी शामिल होंगे, जो समानता को बढ़ावा देता है. महिलाओं के खिलाफ कुछ अपराधों के लिए जब भी संभव हो, पीड़ित के बयान महिला मजिस्ट्रेट की ओर से ही दर्ज किए जाने का प्रावधान है.
Last Updated : Jul 1, 2024, 5:35 PM IST
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