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सिर तन से जुदा नाराः कोर्ट से खादिम समेत 6 हो गए बरी, पुलिस पेश नहीं कर पाई प्रमाण - Ajmer Dargah Controversy

Sar Tan Se Juda Slogan Case, राजस्थान में अजमेर दरगाह के बाहर सिर तन से जुदा का नारा लगाने और भड़काऊ भाषण देने के मामले में कोर्ट ने खादिम समेत 6 आरोपियों को बरी कर दिया. इस मामले में अजमेर पुलिस इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य का प्रमाणीकरण पेश नहीं कर पाई, जिसका लाभ सभी आरोपियों को मिला.

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 16, 2024, 3:49 PM IST

Ajmer Dargah Sar Tan Se Juda Slogan
भड़काऊ भाषण देने के मामले में 6 आरोपी बरी (ETV Bharat Ajmer)
किसने क्या कहा, सुनिए (ETV Bharat Ajmer)

अजमेर. सिर तन से जुदा के नारे लगाने और भड़काऊ भाषण देने के मामले में अजमेर पुलिस को करारा झटका लगा है. प्रकरण में मुख्य आरोपी खादिम सैयद गौहर चिश्ती समेत 6 आरोपियों को अपर जिला एवं सेशन न्यायालय ने मंगलवार को बरी कर दिया, जबकि 7वें आरोपी को पुलिस नहीं पकड़ पाई थी. लिहाजा उसे भगौड़ा घोषित किया गया था. पुलिस की जांच में तकनीकी खामियों का फायदा आरोपियों को मिला है. पुलिस घटना के वीडियो और उससे संबंधित उपकरणों का प्रमाणीकरण कोर्ट में पेश नहीं कर पाई.

अजमेर दरगाह के मुख्य दरवाजे निजाम गेट की सीढ़ियों पर 17 जून 2023 को सिर तन से जुदा का नारा लगाने और भड़काऊ भाषण देने की घटना को वीडियो फुटेज के माध्यम से पूरी दुनिया ने देखा और सुना. बावजूद इसके, प्रकरण में आरोपी सैयद गौहर चिश्ती समेत 6 आरोपी मंगलवार को कोर्ट से बरी हो गए. प्रकरण में आरोपियों के बरी होने से पुलिस को न केवल करारा झटका लगा, बल्कि पुलिस के अनुसंधान पर भी सवाल उठ रहे हैं. 'स्मार्ट शहर की स्मार्ट' पुलिस के दावे और आरोप कोर्ट में आरोपी पक्ष की दलीलों के सामने टिक नहीं पाए, लिहाजा कोर्ट ने आरोपी पक्ष की ओर से दी गई दलीलों को मजबूत माना और प्रकरण से संबंधित सभी 6 आरोपियों को दोष मुक्त करते हुए बरी कर दिया.

बता दें कि 22 जून 2023 को प्रकरण दरगाह थाने में दर्ज किया गया था. प्रकरण में मुख्य आरोपी सैयद गौहर चिश्ती, फकर जमाली, ताजीम सिद्दीकी, रियाज हसन और मोइन शेख को बरी किया गया है. एडीजे संख्या 4 के विशिष्ट लोक अभियोजक गुलाम नजमी फारुकी ने बताया कि सिर तन से जुदा का नारा लगाने और भड़काऊ भाषण देने के प्रकरण में कोर्ट ने अपना निर्णय सुना दिया है. कोर्ट निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की जाएगी. कोर्ट के निर्णय का अध्ययन करने के बाद ही प्रकरण में कुछ कहा जा सकता है. प्रकरण में सात आरोपी थे. इनमें से एक फरार है, जबकि 6 आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है.

पढ़ें : राहुल गांधी के 'अभय मुद्रा' बयान पर भड़के अजमेर दरगाह के चिश्ती, बोले- इस्लाम में ऐसा कुछ भी नहीं - AISSC Chairman

आरोपी पक्ष की ओर से पुलिस के अनुसंधान की कोर्ट में कलई खोलने वाले वकील अजय प्रताप वर्मा ने बताया कि दरगाह के बाहर से मौन जुलूस निकालने की सशर्त मंजूरी प्रशासन ने दी थी. जुलूस में खादिम समुदाय को भी शरीक होना था. जुलूस के आयोजकों ने प्रशासन और पुलिस को लड़ाई-झगड़ा नहीं करने और किसी तरह का उन्माद नहीं फैलाएंगे की शर्त लिखकर दी थी. पुलिस के मुताबिक आरोपियों ने शर्तों का उल्लंघन किया और दरगाह की सीढ़ियों से 'गुस्ताख रसूल की एक ही सजा, सिर तन से जुदा सिर तन से जुदा' के नारे लगाए और भाणकाऊ भाषण दिए. इस मामले में धारा 15 में प्रकरण दर्ज किया गया. इस घटना के बाद उदयपुर में कन्हैया लाल हत्याकांड हुआ. इस हत्याकांड को अजमेर में हुई इस घटना से जोड़कर पुलिस ने प्रकरण में धारा 302, 115, 117 को जोड़ा और सभी आरोपियों की गिरफ्तारी की. प्रकरण में मुख्य आरोपी खादिम सैयद गौहर चिश्ती तब से न्यायिक अभिरक्षा में था. गौहर चिश्ती ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी जमानत अर्जी लगाई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था. अजमेर में एडीजे कोर्ट संख्या 4 ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है.

आरोपी पक्ष के वकील अजय प्रताप वर्मा ने बताया कि पुलिस की ओर से घटना के वीडियो साक्ष्य के रूप में कोर्ट में पेश किए गए थे, लेकिन पुलिस इन वीडियो का प्रमाणीकरण नहीं कर पाई. पुलिस की ओर से पेश धारा 65बी के विपरीत थे. इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य को गवाह के तौर पर रिकॉर्ड पर नहीं लिया गया. उन्होंने बताया कि घटना के वक्त मौजूद पुलिसकर्मियों और अधिकारियों की मौजूदगी के दस्तावेज भी जांच अधिकारी ने कोर्ट में प्रस्तुत नहीं किए. कोर्ट ने पुलिस के साक्ष्य को प्रमाणिक नहीं माना. वर्मा ने बताया कि अनुसंधान में लापरवाही रहती ही है. आज के वक्त इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को रिकॉर्ड पर लाना उसे साबित करने के लिए प्रमाणिक करना काफी मुश्किल हो गया है. इसमें अलग-अलग प्रक्रियाएं होती हैं. उन्होंने कहा कि अजमेर में पुलिस के पास हाईटेक तकनीकी व्यवस्था और उपकरण नहीं हैं. इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य को प्रमाणिक करने की प्रक्रिया अलग और काफी लंबी है. इसकी पालन करना आसान नहीं होता है, जितना कि इसको आसान समझा जाता है.

पढ़ें : दरगाह के बाहर 'सिर तन से जुदा' नारा लगाने के मामले में सुनवाई पूरी, 12 जुलाई को आएगा फैसला - decision will come on July 12

यह था मामला : 17 जून 2023 को दोपहर 3 बजे कांस्टेबल नारायण जाट दरगाह के निजाम गेट पर ड्यूटी दे रहा था. इस दौरान कुछ खादिमों की ओर से निजाम गेट पर मोहन जुलूस की शर्तों का उल्लंघन करते हुए लाउडस्पीकर पर भड़काऊ भाषण और सिर तन से जुदा के नारे लगाए गए. कांस्टेबल जय नारायण जाट ने इस आशा से दरगाह थाने में मुकदमा दर्ज करवाया. कांस्टेबल जयनारायण जाट ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि ढाई हजार से 3000 लोगों की भीड़ उस वक्त दरगाह के सामने थी, जब भड़काऊ भाषण और सिर तन से जुदा के नारे लगाए जा रहे थे. भड़काऊ भाषण और नारे लगाने वालों में सैयद गौहर चिश्ती भी था. हालांकि, इस घटना से पहले सैयद गौहर चिश्ती को समझाया भी गया था.

किसने क्या कहा, सुनिए (ETV Bharat Ajmer)

अजमेर. सिर तन से जुदा के नारे लगाने और भड़काऊ भाषण देने के मामले में अजमेर पुलिस को करारा झटका लगा है. प्रकरण में मुख्य आरोपी खादिम सैयद गौहर चिश्ती समेत 6 आरोपियों को अपर जिला एवं सेशन न्यायालय ने मंगलवार को बरी कर दिया, जबकि 7वें आरोपी को पुलिस नहीं पकड़ पाई थी. लिहाजा उसे भगौड़ा घोषित किया गया था. पुलिस की जांच में तकनीकी खामियों का फायदा आरोपियों को मिला है. पुलिस घटना के वीडियो और उससे संबंधित उपकरणों का प्रमाणीकरण कोर्ट में पेश नहीं कर पाई.

अजमेर दरगाह के मुख्य दरवाजे निजाम गेट की सीढ़ियों पर 17 जून 2023 को सिर तन से जुदा का नारा लगाने और भड़काऊ भाषण देने की घटना को वीडियो फुटेज के माध्यम से पूरी दुनिया ने देखा और सुना. बावजूद इसके, प्रकरण में आरोपी सैयद गौहर चिश्ती समेत 6 आरोपी मंगलवार को कोर्ट से बरी हो गए. प्रकरण में आरोपियों के बरी होने से पुलिस को न केवल करारा झटका लगा, बल्कि पुलिस के अनुसंधान पर भी सवाल उठ रहे हैं. 'स्मार्ट शहर की स्मार्ट' पुलिस के दावे और आरोप कोर्ट में आरोपी पक्ष की दलीलों के सामने टिक नहीं पाए, लिहाजा कोर्ट ने आरोपी पक्ष की ओर से दी गई दलीलों को मजबूत माना और प्रकरण से संबंधित सभी 6 आरोपियों को दोष मुक्त करते हुए बरी कर दिया.

बता दें कि 22 जून 2023 को प्रकरण दरगाह थाने में दर्ज किया गया था. प्रकरण में मुख्य आरोपी सैयद गौहर चिश्ती, फकर जमाली, ताजीम सिद्दीकी, रियाज हसन और मोइन शेख को बरी किया गया है. एडीजे संख्या 4 के विशिष्ट लोक अभियोजक गुलाम नजमी फारुकी ने बताया कि सिर तन से जुदा का नारा लगाने और भड़काऊ भाषण देने के प्रकरण में कोर्ट ने अपना निर्णय सुना दिया है. कोर्ट निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की जाएगी. कोर्ट के निर्णय का अध्ययन करने के बाद ही प्रकरण में कुछ कहा जा सकता है. प्रकरण में सात आरोपी थे. इनमें से एक फरार है, जबकि 6 आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है.

पढ़ें : राहुल गांधी के 'अभय मुद्रा' बयान पर भड़के अजमेर दरगाह के चिश्ती, बोले- इस्लाम में ऐसा कुछ भी नहीं - AISSC Chairman

आरोपी पक्ष की ओर से पुलिस के अनुसंधान की कोर्ट में कलई खोलने वाले वकील अजय प्रताप वर्मा ने बताया कि दरगाह के बाहर से मौन जुलूस निकालने की सशर्त मंजूरी प्रशासन ने दी थी. जुलूस में खादिम समुदाय को भी शरीक होना था. जुलूस के आयोजकों ने प्रशासन और पुलिस को लड़ाई-झगड़ा नहीं करने और किसी तरह का उन्माद नहीं फैलाएंगे की शर्त लिखकर दी थी. पुलिस के मुताबिक आरोपियों ने शर्तों का उल्लंघन किया और दरगाह की सीढ़ियों से 'गुस्ताख रसूल की एक ही सजा, सिर तन से जुदा सिर तन से जुदा' के नारे लगाए और भाणकाऊ भाषण दिए. इस मामले में धारा 15 में प्रकरण दर्ज किया गया. इस घटना के बाद उदयपुर में कन्हैया लाल हत्याकांड हुआ. इस हत्याकांड को अजमेर में हुई इस घटना से जोड़कर पुलिस ने प्रकरण में धारा 302, 115, 117 को जोड़ा और सभी आरोपियों की गिरफ्तारी की. प्रकरण में मुख्य आरोपी खादिम सैयद गौहर चिश्ती तब से न्यायिक अभिरक्षा में था. गौहर चिश्ती ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी जमानत अर्जी लगाई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था. अजमेर में एडीजे कोर्ट संख्या 4 ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है.

आरोपी पक्ष के वकील अजय प्रताप वर्मा ने बताया कि पुलिस की ओर से घटना के वीडियो साक्ष्य के रूप में कोर्ट में पेश किए गए थे, लेकिन पुलिस इन वीडियो का प्रमाणीकरण नहीं कर पाई. पुलिस की ओर से पेश धारा 65बी के विपरीत थे. इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य को गवाह के तौर पर रिकॉर्ड पर नहीं लिया गया. उन्होंने बताया कि घटना के वक्त मौजूद पुलिसकर्मियों और अधिकारियों की मौजूदगी के दस्तावेज भी जांच अधिकारी ने कोर्ट में प्रस्तुत नहीं किए. कोर्ट ने पुलिस के साक्ष्य को प्रमाणिक नहीं माना. वर्मा ने बताया कि अनुसंधान में लापरवाही रहती ही है. आज के वक्त इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को रिकॉर्ड पर लाना उसे साबित करने के लिए प्रमाणिक करना काफी मुश्किल हो गया है. इसमें अलग-अलग प्रक्रियाएं होती हैं. उन्होंने कहा कि अजमेर में पुलिस के पास हाईटेक तकनीकी व्यवस्था और उपकरण नहीं हैं. इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य को प्रमाणिक करने की प्रक्रिया अलग और काफी लंबी है. इसकी पालन करना आसान नहीं होता है, जितना कि इसको आसान समझा जाता है.

पढ़ें : दरगाह के बाहर 'सिर तन से जुदा' नारा लगाने के मामले में सुनवाई पूरी, 12 जुलाई को आएगा फैसला - decision will come on July 12

यह था मामला : 17 जून 2023 को दोपहर 3 बजे कांस्टेबल नारायण जाट दरगाह के निजाम गेट पर ड्यूटी दे रहा था. इस दौरान कुछ खादिमों की ओर से निजाम गेट पर मोहन जुलूस की शर्तों का उल्लंघन करते हुए लाउडस्पीकर पर भड़काऊ भाषण और सिर तन से जुदा के नारे लगाए गए. कांस्टेबल जय नारायण जाट ने इस आशा से दरगाह थाने में मुकदमा दर्ज करवाया. कांस्टेबल जयनारायण जाट ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि ढाई हजार से 3000 लोगों की भीड़ उस वक्त दरगाह के सामने थी, जब भड़काऊ भाषण और सिर तन से जुदा के नारे लगाए जा रहे थे. भड़काऊ भाषण और नारे लगाने वालों में सैयद गौहर चिश्ती भी था. हालांकि, इस घटना से पहले सैयद गौहर चिश्ती को समझाया भी गया था.

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