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छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के आरोपी पूर्व IAS अनिल टुटेजा को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने से इनकार किया.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 2 hours ago

Photo Credit- ETV Bharat
हाईकोर्ट ने अनिल टुटेजा व अन्य की याचिकाओं को खारिज कर दिया (Photo Credit- ETV Bharat)

प्रयागराज: गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में छत्तीसगढ़ के पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर और दो अन्य के खिलाफ उत्तर प्रदेश में शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया. सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा एवं न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित मामले में धन शोधन का मामला रद्द भी कर दिया है, तो भी इससे टुटेजा और अन्य के खिलाफ उत्तर प्रदेश में शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को जारी रखने से नहीं रोका जा सकेगा. यह आदेश अनिल टुटेजा व अन्य की याचिकाओं को खारिज करते हुए दिया.

न्यायालय ने कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) की धारा 50 के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा एकत्र किए गए और उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ साझा किए गए गवाहों के बयान उत्तर प्रदेश (यूपी) में शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही का आधार बने रह सकते हैं. टुनेजा और अन्य के खिलाफ मामला छत्तीसगढ़ में 2,000 करोड़ रुपये के शराब सिंडिकेट रैकेट के संचालन के आरोपों से जुड़ा है. ईडी ने 4 जुलाई 2023 को इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था. जांच के दौरान ईडी को यह भी पता चला कि इस मामले का यूपी से भी संबंध है.

Photo Credit- ETV Bharat
पूर्व IAS अनिल टुटेजा (Photo Credit- ETV Bharat)

ईडी द्वारा दर्ज किए गए गवाहों के बयानों से नोएडा की एक कंपनी के बारे में जानकारी मिली है, जो छत्तीसगढ़ के आबकारी विभाग को होलोग्राम (जो शराब की बोतलों पर प्रमाणीकरण और उत्पाद शुल्क भुगतान की पुष्टि के लिए लगाए जाते हैं) की आपूर्ति के लिए अवैध रूप से निविदाएं दे रही थी. ईडी द्वारा 28 जुलाई, 2023 को भेजे गए संचार के आधार पर, उत्तर प्रदेश द्वारा 30 जुलाई, 2023 को टुटेजा और अन्य के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) थाना - कासना, ग्रेटर नोएडा में दर्ज की गई.

बाद में इस साल 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की जुलाई 2023 की धन शोधन शिकायत को इस आधार पर खारिज कर दिया कि इसमें कोई पूर्व निर्धारित अपराध नहीं था. मामले के चार आरोपियों - अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, अरुण पति त्रिपाठी और निरंजन दास - ने उत्तर प्रदेश पुलिस की एफआईआर को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.

हाईकोर्ट के समक्ष प्रश्न यह था कि क्या उत्तर प्रदेश में दर्ज प्राथमिकी, पीएमएलए की धारा 50 के तहत ईडी द्वारा दर्ज गवाहों के बयानों के आधार पर जारी रह सकती है, जबकि सुप्रीम कोर्ट पहले ही ईडी की जुलाई 2023 की अभियोजन शिकायत को खारिज कर चुका है. हाईकोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस की प्राथमिकी बरकरार रहेगी और टुटेजा तथा अन्य याचिकाकर्ताओं के खिलाफ उत्तर प्रदेश में मामला रद्द करने से इनकार कर दिया.


ये भी पढ़ें- IIT कानपुर में पीएचडी की छात्रा ने किया सुसाइड, मौके से मिला सुसाइड नोट

प्रयागराज: गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में छत्तीसगढ़ के पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर और दो अन्य के खिलाफ उत्तर प्रदेश में शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया. सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा एवं न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित मामले में धन शोधन का मामला रद्द भी कर दिया है, तो भी इससे टुटेजा और अन्य के खिलाफ उत्तर प्रदेश में शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को जारी रखने से नहीं रोका जा सकेगा. यह आदेश अनिल टुटेजा व अन्य की याचिकाओं को खारिज करते हुए दिया.

न्यायालय ने कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) की धारा 50 के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा एकत्र किए गए और उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ साझा किए गए गवाहों के बयान उत्तर प्रदेश (यूपी) में शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही का आधार बने रह सकते हैं. टुनेजा और अन्य के खिलाफ मामला छत्तीसगढ़ में 2,000 करोड़ रुपये के शराब सिंडिकेट रैकेट के संचालन के आरोपों से जुड़ा है. ईडी ने 4 जुलाई 2023 को इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था. जांच के दौरान ईडी को यह भी पता चला कि इस मामले का यूपी से भी संबंध है.

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पूर्व IAS अनिल टुटेजा (Photo Credit- ETV Bharat)

ईडी द्वारा दर्ज किए गए गवाहों के बयानों से नोएडा की एक कंपनी के बारे में जानकारी मिली है, जो छत्तीसगढ़ के आबकारी विभाग को होलोग्राम (जो शराब की बोतलों पर प्रमाणीकरण और उत्पाद शुल्क भुगतान की पुष्टि के लिए लगाए जाते हैं) की आपूर्ति के लिए अवैध रूप से निविदाएं दे रही थी. ईडी द्वारा 28 जुलाई, 2023 को भेजे गए संचार के आधार पर, उत्तर प्रदेश द्वारा 30 जुलाई, 2023 को टुटेजा और अन्य के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) थाना - कासना, ग्रेटर नोएडा में दर्ज की गई.

बाद में इस साल 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की जुलाई 2023 की धन शोधन शिकायत को इस आधार पर खारिज कर दिया कि इसमें कोई पूर्व निर्धारित अपराध नहीं था. मामले के चार आरोपियों - अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, अरुण पति त्रिपाठी और निरंजन दास - ने उत्तर प्रदेश पुलिस की एफआईआर को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.

हाईकोर्ट के समक्ष प्रश्न यह था कि क्या उत्तर प्रदेश में दर्ज प्राथमिकी, पीएमएलए की धारा 50 के तहत ईडी द्वारा दर्ज गवाहों के बयानों के आधार पर जारी रह सकती है, जबकि सुप्रीम कोर्ट पहले ही ईडी की जुलाई 2023 की अभियोजन शिकायत को खारिज कर चुका है. हाईकोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस की प्राथमिकी बरकरार रहेगी और टुटेजा तथा अन्य याचिकाकर्ताओं के खिलाफ उत्तर प्रदेश में मामला रद्द करने से इनकार कर दिया.


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