नई दिल्ली: कोलकाता की मेडिकल छात्रा के साथ हुए ब्रूटल (क्रूर) रेप और हत्या की घटना को लेकर देशभर में भारी आक्रोश का माहौल है. इन सबके बीच राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) द्वारा गठित एक टास्क फोर्स ने सुझाव दिया कि, सभी मेडिकल संस्थानों में मेडिकल छात्रों के लिए उचित बुनियादी ढांचे और सुविधाएं होनी चाहिए, साथ ही उनके लिए "सुरक्षित और संरक्षित वातावरण" भी होना चाहिए.
मनोचिकित्सा के प्रोफेसर और निमहंस डिजिटल अकादमी, बैंगलोर के प्रभारी अधिकारी डॉ. सुरेश बड़ा मठ की अध्यक्षता में टास्क फोर्स ने छात्रों के लिए ड्यूटी के घंटों के विनियमन पर भी प्रकाश डाला.
टास्क फोर्स ने सुझाव दिया कि, मेडिकल छात्रों के शारीरिक स्वास्थ्य और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए उचित बुनियादी ढांचे और सुविधाएं आवश्यक हैं. इसमें अच्छी तरह से बनाए गए छात्रावास, साफ-सुथरे शौचालय, सुरक्षित पेयजल, गुणवत्तापूर्ण भोजन, सुरक्षा उपाय, मनोरंजन सुविधाएं और उचित शुल्क शामिल हैं. ये बुनियादी सुविधाएं उचित शारीरिक स्वास्थ्य बनाए रखने, सुरक्षित और संरक्षित महसूस करने और गहन और मांग वाले मेडिकल पाठ्यक्रम पर ध्यान केंद्रित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं."
टास्क फोर्स ने आगे कहा कि,मेडिकल छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण पर राष्ट्रीय टास्क फोर्स को भारत में मेडिकल छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण का आकलन करने और उपचारात्मक उपाय सुझाने के लिए एनएमसी द्वारा स्थापित किया गया था. अध्ययन को संकलित करते समय, टास्क फोर्स ने पाया कि मेडिकल कॉलेजों का वातावरण छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए एक स्वस्थ शैक्षणिक और कार्य संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है.
टास्क फोर्स ने यह भी कहा कि, प्रशासन का एक सक्रिय और दृष्टिकोण मेडिकल छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है. मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देकर, संस्थान भविष्य के स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की सफलता और लचीलेपन में योगदान करते हैं.
टास्क फोर्स ने मेडिकल छात्रों में मानसिक विकार की एक खतरनाक दर पाई है... "अत्यधिक उच्च 27.8 फीसदी स्नातक (UG) छात्रों और 15.3 प्रतिशत स्नातकोत्तर (PG) छात्रों में मानसिक स्वास्थ्य विकार से पीड़ित होने की बात सामने आई. वहीं, 16.2 प्रतिशत यूजी छात्रों और 31.2 फीसदी पीजी छात्रों में सुसाइड के विचार मन में उत्पन्न होने की भी बात सामने आई.
टास्क फोर्स ने कहा, मेडिकल कॉलेजों में छात्रों, शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों के लिए एक स्वस्थ शैक्षणिक और कार्य संस्कृति का वातावरण का निर्माण करना महत्वपूर्ण है. प्रशासन की ओर से सक्रिय और सकारात्मक दृष्टिकोण मेडिकल छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है. मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देकर, संस्थान भविष्य के स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की सफलता और तन्यकता में अधिक योगदान दे सकते हैं.
टास्क फोर्स ने ड्यूटी के घंटों के विनियमन का भी सुझाव दिया. टास्क फोर्स ने व्यवहार्यता, संसाधनों और प्रासंगिकता के आधार पर सिफारिश की है कि डॉक्टर प्रति सप्ताह 74 घंटे से अधिक काम न करें. उन्होंने कहा कि, चिकित्सक को एक बार में 24 घंटे से अधिक काम नहीं करना चाहिए. इस शेड्यूल में प्रति सप्ताह एक दिन की छुट्टी, एक 24 घंटे की ड्यूटी और शेष पांच दिनों के लिए 10 घंटे की शिफ्ट शामिल है. मेडिकल छात्रों के लिए अच्छे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए प्रतिदिन कम से कम 7-8 घंटे सोना भी महत्वपूर्ण है. विभाग प्रमुख (HOD), संकाय सदस्य, वरिष्ठ निवासी और जूनियर निवासी (JR) मिलकर ड्यूटी के घंटों की योजना बना सकते हैं और मानव संसाधन की उपलब्धता के आधार पर ड्यूटी को तीन शिफ्ट, या दो शिफ्ट, या एक शिफ्ट में रोस्टर कर सकते हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि, इसके अतिरिक्त, साप्ताहिक एक दिन की छुट्टी के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के नियमों का सख्ती से पालन करना महत्वपूर्ण है. इन उपायों को लागू करने से, जहां संभव हो, मेडिकल छात्रों के स्वास्थ्य की रक्षा करने और रोगी सुरक्षा में सुधार करने में मदद मिलेगी. यह पहचानना जरूरी है कि स्नातकोत्तर और ट्रेनी मुख्य रूप से स्वास्थ्य सेवा स्टाफिंग में अंतराल को भरने के बजाय शैक्षिक उद्देश्यों को पूरा करते हैं. इसने यह भी सुझाव दिया कि एनएमसी को शिकायत निवारण के लिए 'ई-शिकायत' नामक एक राष्ट्रीय पोर्टल स्थापित करना चाहिए, जिससे छात्र, संकाय और अन्य हितधारक कुशलतापूर्वक शिकायत दर्ज कर सकें.
टास्क फोर्स ने सिफारिश की है कि, "वेब और मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से सुलभ इस उपयोगकर्ता के अनुकूल पोर्टल में सुरक्षित लॉगिन, मानकीकृत शिकायत प्रस्तुतीकरण फॉर्म और सहायक दस्तावेज अपलोड करने के विकल्प होने चाहिए. एनएमसी के भीतर एक समर्पित शिकायत निवारण प्रकोष्ठ, पर्याप्त कर्मचारियों द्वारा समर्थित, वर्कफ़्लो का प्रबंधन करेगा और शिकायतों से निपटेगा. टॉस्क फोर्स की सिफिरिश में शिकायतों को 3 कार्य दिवसों के भीतर स्वीकार किए जाने की बात कही गई है और 14 कार्य दिवसों के भीतर समीक्षा किए जाने के साथ-साथ 30 वर्किंग डे के भीतर हल किया जाएगा. साथ ही शिकायतकर्ता को नियमित अपडेट प्रदान भी किए जाएंगे.
यह प्रणाली गोपनीयता बनाए रखते हुए आवधिक रिपोर्टों के माध्यम से पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगी. इसमें कहा गया है कि प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रमों सहित निरंतर सुधार के प्रयासों से यह सुनिश्चित होगा कि ई-शिकायत प्रणाली प्रभावी बनी रहे और उभरती जरूरतों के प्रति उत्तरदायी बनी रहे, जिससे चिकित्सा संस्थानों में विश्वास और जवाबदेही बढ़े.
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