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दिल्ली विधानसभा सत्र: CAG की 12 पेंडिंग रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करने की मांग को लेकर LG से मिले भाजपा विधायक

-भाजपा विधायकों ने एलजी वीके सक्सेना से मुलाकात कर दिल्ली विधानसभा में लंबित 12 सीएजी रिपोर्ट पेश करने की मांग की.

दिल्ली CAG रिपोर्ट लंबित मामला
दिल्ली CAG रिपोर्ट लंबित मामला (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : 3 hours ago

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा का सत्र शुरू होने से ठीक एक दिन पहले नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता बीजेपी विधायकों के साथ उपराज्यपाल वीके सक्सेना से मुलाकात की. उन्होंने उपराज्यपाल से निवेदन किया कि वह विधानसभा के पटल पर सरकार के कामकाज को लेकर कैग (CAG) की लंबित 12 रिपोर्ट को पेश करने का आदेश दें. इससे पहले भी विधानसभा सत्र में कैग की रिपोर्ट पेश करने को लेकर उपराज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल व दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव धर्मेंद्र कुमार को पत्र लिखा था. मगर दिल्ली सरकार ने कैग की रिपोर्ट को टेबल नहीं किया.

इसके साथ ही बीजेपी विधायकों ने दिल्ली में रोहिंग्याओं के फर्जी वोटर कार्ड बनाने के संबंध में भी शिकायत की. आप सरकार ने वर्ष 2017-18 से लेकर 2021-22 तक की कैग की 12 रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर प्रस्तुत नहीं किया है. बीजेपी विधायकों ने उपराज्यपाल से आग्रह किया है कि चूंकि 29 नवंबर से शुरू हो रहा यह 'आप' सरकार के कार्यकाल का आखिरी सत्र होगा, इसलिए जीएनसीटीडी के रूल-253 के अंतर्गत संविधान द्वारा प्रदत्त विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए वे सरकार को लिखित आदेश देकर कैग की लंबित सभी रिपोर्ट्स को विधानसभा में प्रस्तुत करवाने का कष्ट करें, ताकि सरकार की कार्यप्रणाली की पारदर्शिता और खर्च किये गए पैसों का हिसाब किताब जनता के सामने आ सके.

12 CAG रिपोर्ट पर जानिए नेता विपक्ष ने क्या कहा.....

नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने बताया कि जो 12 रिपोर्ट वित्तमंत्री आतिशी के पास पेंडिंग पड़ी हैं उनमें स्टेट फाइनेंस ऑडिट रिपोर्ट, वाहनों के धुएं से होने वाले प्रदूषण को कम और नियंत्रित करने के उपायों की परफॉर्मेस ऑडिट रिपोर्ट, फाइनेंस सेक्टर और PSU की ऑडिट रिपोर्ट, जरूरतमंद बच्चों की देखभाल, सुरक्षा और सहायता के विषय पर परफॉर्मेस ऑडिट रिपोर्ट समेत कुछ अन्य महत्वपूर्ण रिपोर्ट्स शामिल हैं.

विजेंद्र गुप्ता ने आगे कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में वित्तीय और प्रशासनिक स्थितियों का आकलन करने के लिए कैग की 12 रिपोर्ट्स एक महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं और इन्हें संवैधानिक नियमों के अनुसार उपराज्यपाल की अनुमति लेकर विधानसभा में प्रस्तुत किया जाना आवश्यक होता है.

उपराज्यपाल से मुलाकात के बाद गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार पिछले लंबे समय से वित्त मंत्री के पास पेंडिंग पड़ी कैग की 12 रिपोर्ट को विधानसभा में पेश नहीं कर रही है. ताकि आम आदमी पार्टी सरकार में भ्रष्टाचार उजागर हो जाएगा. उन्होंने कहा कि इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री आतिशी को पत्र लिखकर कहा था कि आम आदमी पार्टी सरकार कैग की 12 लंबित रिपोर्ट को पेश करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए और उसमें प्रश्नकाल भी रखा जाए जो कि 2024 के सत्रों में एक बार भी नहीं रखा गया है.

नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में वित्तीय और प्रशासनिक स्थितियों का आकलन करने के लिए कैग की 12 रिपोर्ट्स एक महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं और इन्हें संवैधानिक नियमों के अनुसार उपराज्यपाल की अनुमति लेकर विधानसभा में प्रस्तुत किया जाना आवश्यक होता है. लेकिन दिल्ली सरकार अपनी भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए इन्हें जान बूझकर सदन में प्रस्तुत नहीं कर रही है.

बीजेपी विधायक अजय महावर ने कहा कि उपराज्यपाल से मुलाकात से पहले पिछले महीने दिल्ली के मुख्य सचिव के निर्देश पर दिल्ली सरकार के प्रधान लेखा कार्यालय द्वारा मुख्यमंत्री आतिशी को एक पत्र भेजा गया था. पत्र में संविधान के अनुच्छेद 151, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 की धारा 411 और लेखा परीक्षा एवं लेखा विनियमन, 2007 के विनियमन 210 के तहत दिल्ली सरकार द्वारा भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की लेखापरीक्षा रिपोर्ट को अनिवार्य रूप से दिल्ली विधानसभा में प्रस्तुत करने के प्रावधान का उल्लेख किया गया था. संवैधानिक और वैधानिक प्रावधानों के अनुसार कैग कार्यालय द्वारा 12 रिपोर्ट्स दिल्ली सरकार को इस आशय के साथ भेजी गई, ताकि वो इन्हें विधानसभा में प्रस्तुत करने के लिए उपराज्यपाल को प्रस्ताव बनाकर भेजें, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया.

बता दें कि पिछले महीने संपन्न हुए विधानसभा के विशेष सत्र से पहले भी विपक्ष ने कैग की रिपोर्ट टेबल करने की मांग की थी. उससे पहले उपराज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को भी इस विषय पर पत्र लिखा था. नेता विपक्ष ने कहा कि इन रिपोर्ट को विधानसभा में प्रस्तुत करने का मुद्दा अनेक बार वित्त विभाग, विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के समक्ष उठाया गया. लेकिन अभी तक दिल्ली सरकार की ओर से इन सीएजी रिपोर्ट को विधानसभा में प्रस्तुत करने का कोई भी प्रस्ताव उपराज्यपाल को नहीं भेजा गया है.

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इसके साथ ही बीजेपी विधायकों ने दिल्ली में रोहिंग्याओं के फर्जी वोटर कार्ड बनाने के संबंध में भी शिकायत की. आप सरकार ने वर्ष 2017-18 से लेकर 2021-22 तक की कैग की 12 रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर प्रस्तुत नहीं किया है. बीजेपी विधायकों ने उपराज्यपाल से आग्रह किया है कि चूंकि 29 नवंबर से शुरू हो रहा यह 'आप' सरकार के कार्यकाल का आखिरी सत्र होगा, इसलिए जीएनसीटीडी के रूल-253 के अंतर्गत संविधान द्वारा प्रदत्त विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए वे सरकार को लिखित आदेश देकर कैग की लंबित सभी रिपोर्ट्स को विधानसभा में प्रस्तुत करवाने का कष्ट करें, ताकि सरकार की कार्यप्रणाली की पारदर्शिता और खर्च किये गए पैसों का हिसाब किताब जनता के सामने आ सके.

12 CAG रिपोर्ट पर जानिए नेता विपक्ष ने क्या कहा.....

नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने बताया कि जो 12 रिपोर्ट वित्तमंत्री आतिशी के पास पेंडिंग पड़ी हैं उनमें स्टेट फाइनेंस ऑडिट रिपोर्ट, वाहनों के धुएं से होने वाले प्रदूषण को कम और नियंत्रित करने के उपायों की परफॉर्मेस ऑडिट रिपोर्ट, फाइनेंस सेक्टर और PSU की ऑडिट रिपोर्ट, जरूरतमंद बच्चों की देखभाल, सुरक्षा और सहायता के विषय पर परफॉर्मेस ऑडिट रिपोर्ट समेत कुछ अन्य महत्वपूर्ण रिपोर्ट्स शामिल हैं.

विजेंद्र गुप्ता ने आगे कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में वित्तीय और प्रशासनिक स्थितियों का आकलन करने के लिए कैग की 12 रिपोर्ट्स एक महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं और इन्हें संवैधानिक नियमों के अनुसार उपराज्यपाल की अनुमति लेकर विधानसभा में प्रस्तुत किया जाना आवश्यक होता है.

उपराज्यपाल से मुलाकात के बाद गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार पिछले लंबे समय से वित्त मंत्री के पास पेंडिंग पड़ी कैग की 12 रिपोर्ट को विधानसभा में पेश नहीं कर रही है. ताकि आम आदमी पार्टी सरकार में भ्रष्टाचार उजागर हो जाएगा. उन्होंने कहा कि इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री आतिशी को पत्र लिखकर कहा था कि आम आदमी पार्टी सरकार कैग की 12 लंबित रिपोर्ट को पेश करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए और उसमें प्रश्नकाल भी रखा जाए जो कि 2024 के सत्रों में एक बार भी नहीं रखा गया है.

नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में वित्तीय और प्रशासनिक स्थितियों का आकलन करने के लिए कैग की 12 रिपोर्ट्स एक महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं और इन्हें संवैधानिक नियमों के अनुसार उपराज्यपाल की अनुमति लेकर विधानसभा में प्रस्तुत किया जाना आवश्यक होता है. लेकिन दिल्ली सरकार अपनी भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए इन्हें जान बूझकर सदन में प्रस्तुत नहीं कर रही है.

बीजेपी विधायक अजय महावर ने कहा कि उपराज्यपाल से मुलाकात से पहले पिछले महीने दिल्ली के मुख्य सचिव के निर्देश पर दिल्ली सरकार के प्रधान लेखा कार्यालय द्वारा मुख्यमंत्री आतिशी को एक पत्र भेजा गया था. पत्र में संविधान के अनुच्छेद 151, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 की धारा 411 और लेखा परीक्षा एवं लेखा विनियमन, 2007 के विनियमन 210 के तहत दिल्ली सरकार द्वारा भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की लेखापरीक्षा रिपोर्ट को अनिवार्य रूप से दिल्ली विधानसभा में प्रस्तुत करने के प्रावधान का उल्लेख किया गया था. संवैधानिक और वैधानिक प्रावधानों के अनुसार कैग कार्यालय द्वारा 12 रिपोर्ट्स दिल्ली सरकार को इस आशय के साथ भेजी गई, ताकि वो इन्हें विधानसभा में प्रस्तुत करने के लिए उपराज्यपाल को प्रस्ताव बनाकर भेजें, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया.

बता दें कि पिछले महीने संपन्न हुए विधानसभा के विशेष सत्र से पहले भी विपक्ष ने कैग की रिपोर्ट टेबल करने की मांग की थी. उससे पहले उपराज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को भी इस विषय पर पत्र लिखा था. नेता विपक्ष ने कहा कि इन रिपोर्ट को विधानसभा में प्रस्तुत करने का मुद्दा अनेक बार वित्त विभाग, विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के समक्ष उठाया गया. लेकिन अभी तक दिल्ली सरकार की ओर से इन सीएजी रिपोर्ट को विधानसभा में प्रस्तुत करने का कोई भी प्रस्ताव उपराज्यपाल को नहीं भेजा गया है.

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