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बिहार को स्पेशल पैकेज तो मिल गया.. अब क्या चाहिए? - Niti Aayog meeting

NITI AAYOG MEETING: बिहार विकास के दौड़ में कहीं ना कहीं पिछड़ गया है और नीति आयोग की रिपोर्ट भी इस बात की तस्दीक करती है. राज्य के 33% से अधिक लोग अब भी गरीबी रेखा से नीचे हैं. आज दिल्ली में नीति आयोग की महत्वपूर्ण बैठक है, जिसमें बिहार कोटे के तीन केंद्रीय मंत्री के अलावा वित्त मंत्री शामिल होने जा रहे हैं. केंद्र से पैकेज मिलने के बाद भी बिहार को नीति आयोग की बैठक से बहुत कुछ उम्मीदें हैं.

दिल्ली में नीति आयोग की बैठक
दिल्ली में नीति आयोग की बैठक (Photo Credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 27, 2024, 9:59 AM IST

Updated : Jul 27, 2024, 10:27 AM IST

अर्थशास्त्री डॉक्टर अमित बक्शी (Video Credit: ETV Bharat)

पटना: बिहार में डबल इंजन की सरकार है और बिहार को केंद्र से काफी उम्मीदें हैं. केंद्र की ओर से आम बजट में बिहार की चिंता की गई और बिहार को ग्रोइंग स्टेट माना गया. पूर्वी भारत के विकास में बिहार की भूमिका और महत्ता को देखते हुए केंद्र सरकार ने स्पेशल पैकेज की घोषणा भी की. इन सब के बीच दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में होने वाली नीति आयोग की महत्वपूर्ण बैठक पर भी बिहारवासियों के निगाहें टिकी हैं.

पीएम मोदी की अध्यक्षता में बैठक
पीएम मोदी की अध्यक्षता में बैठक (Photo Credit: ETV Bharat)

बैठक में तीन क्षेत्रीय दलों के नेता ले रहे हिस्सा: पहली बार इस बैठक में बिहार से तीन केंद्रीय मंत्री विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में हिस्सा ले रहे हैं. इसके अलावा वित्त मंत्री सम्राट चौधरी भी बैठक में हिस्सा लेंगे. केंद्रीय मंत्री और जदयू नेता ललन सिंह के अलावा केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान बैठक में बिहार के विकास को लेकर अपनी राय रखने वाले हैं.

केंद्रीय मंत्री ललन सिंह बैठक में शामिल
केंद्रीय मंत्री ललन सिंह बैठक में शामिल (Photo Credit: ETV Bharat)

डबल डिजिट में है बिहार का ग्रोथ रेट: आपको बता दें कि पिछले डेढ़ दशक से बिहार का विकास डबल डिजिट रहा है. 2010-11 में 15.03%, 2011-12 में 10.29%, 2018-19 में 10.86%, 2019-20 में 10.5% और 2021-22 में 10.98% इसका उदाहरण है. साल 2022-23 की बात कर ले तो बिहार का विकास दर 10.64 प्रतिशत रहा.

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान बैठक में शामिल
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान बैठक में शामिल (Photo Credit: ETV Bharat)

एक तिहाई से अधिक आबादी गरीबी रेखा से नीचे: देश में राष्ट्रीय वृद्धि दर डबल डिजिट में नहीं रहा है. बिहार अपने संसाधनों के बूते गरीबी कम की है. बावजूद इसके बिहार में गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों की संख्या 33.5% है. बिहार उन राज्यों में शामिल है, जहां सबसे अधिक लोग गरीबी रेखा की सीमा से बाहर निकले हैं. बावजूद इसके बिहार की एक तिहाई से अधिक आबादी गरीबी रेखा से नीचे है. यह सरकार के लिए चिंता का सबब है.

गरीबी कम होने वाले राज्यों में टॉप पर बिहार: आयोग ने बहुआयामी गरीबी सूचकांक जारी किया है. उसके मुताबिक वर्ष 2015-16 से वर्ष 2019-21 की अवधि में पूरे भारत में ऐसे तो 13.51 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं, लेकिन पूरे देश में बिहार में अकेले 2.25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं. जो 16.6 5% के करीब है. इसके बाद भी बिहार में गरीबी 33.7% है जो पूरे देश में सबसे अधिक है. जिन प्रमुख राज्यों में गरीबी कम हुई है उसमें बिहार टॉप पर है.

सम्राट चौधरी बैठक में शामिल
सम्राट चौधरी बैठक में शामिल (Photo Credit: ETV Bharat)

ड्रॉप आउट सरकार के लिए चिंता का सबब: उच्च शिक्षा की बात कर लें तो यहां भी हालत चिंताजनक है. मात्र 17.01% छात्र ही उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं, बाकी के 83% बच्चों को उच्च शिक्षा नहीं मिल पा रही है. ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो के मामले में 36 राज्यों की सूची में इस मामले में बिहार 33 वें स्थान पर है. इस श्रेणी में 18 वर्ष से 23 वर्ष के बीच के छात्र आते हैं.

केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी बैठक में शामिल
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी बैठक में शामिल (Photo Credit: ETV Bharat)

भुखमरी के मामले में बिहार की स्थिति चिंताजनक: बिहार में स्वास्थ्य और स्वच्छता के क्षेत्र में कुछ काम हुए हैं. 16 इंडेक्स के आधार पर राज्यों के परफॉर्मेंस को आंका गया था जिसमें बिहार को बेहतर स्वास्थ्य के गोल में 66 अंक मिले थे. इसी तरह स्वच्छता और पेयजल के गोल में बिहार को 100 में 91 अंक मिले हैं. भुखमरी के मामले में 31 अंक के साथ बिहार राज्यों की श्रेणी में नीचे से दूसरे स्थान पर है इस मामले में झारखंड सबसे नीचे है.

'बिहार के विकास के लिए रोड मैप की दरकार': अर्थशास्त्री डॉक्टर अमित बक्शी का मानना है कि ग्रोइंग स्टेट होने के बावजूद बिहार जैसे राज्य के समक्ष कई चुनौतियां हैं. हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में बहुत कुछ करने की जरूरत है. जनसंख्या के अनुपात में राज्य के अंदर अस्पताल कम है. न्यूट्रिशन भी सरकार के लिए चिंता का सबब है. इसके अलावा शिक्षा के क्षेत्र में क्वालिटी एजूकेशन और ड्रॉप आउट अनुपात को ठीक करने की जरूरत है, इसके लिए नीति आयोग पहल कर सकती है.

रोजगार के लिए 50% से अधिक आबादी कृषि पर निर्भर: कृषि के क्षेत्र में आज भी 50% से अधिक लोग रोजगार के लिए निर्भर हैं. रोजगार के लिए कृषि पर निर्भरता कम करने की जरूरत है. उत्पादकता के मामले में भी बिहार कम है. सिंचाई व्यवस्था को ठीक करने के लिए नदियों को जोड़ना जरूरी है. इसके अलावा व्यावसायिक फसल की ओर किसानों को रुख करना होगा.

फूड प्रोसेसिंग यूनिट के जरिए मिल सकता है रोजगार: औद्योगीकरण के लिए बिहार को अतिरिक्त मदद की जरूरत होगी. स्थानीय उद्योगपतियों को बढ़ावा देना होगा. लैंड रिकॉर्ड को ठीक करने के अलावा बैंकों के रवैया में भी सुधार अपेक्षित है. स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज को और मजबूत करने की जरूरत है. फूड प्रोसेसिंग यूनिट बिहार जैसे राज्य की जरूरत है. इस सेक्टर में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं.

पब्लिक प्राइवेट इन्वेस्टमेंट पर जोर देने की जरूरत: बिहार में पब्लिक इन प्राइवेट इन्वेस्टमेंट में कमी है और इसके लिए भारत सरकार को टैक्स में रिबेट देने की जरूरत है. ज्यादातर योजनाओं में बिहार को 60% शेयर देना पड़ता है, इस अनुपात को कम करने की जरूरत है. पूर्वी राज्यों में बिहार को ग्रोथ स्टेट के रूप में चिह्नित भी किया गया है.

"पूरे देश में गरीबी दर में सबसे अधिक गिरावट बिहार में आई है, लेकिन फिर भी गरीबों को कम करने में काफी समय लग रहा है. नीति आयोग गरीबी को कम करने में अहम भूमिका निभा सकती है. जब तक शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और उद्योग के क्षेत्र में बिहार के लिए अलग रोड मैप की जरूरत है. नीति आयोग इस पर भी सुझाव दे सकती है. उम्मीद की जाती है कि बिहार से शामिल होने वाले प्रतिनिधि इस मुद्दे को बेहतर तरीके से उठाएंगे."- डॉक्टर अमित बक्शी, अर्थशास्त्री

'हमारी उम्मीद बरकरार'-JDU: जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि नीति आयोग एक महत्वपूर्ण संस्था है, जो देश के समावेशी विकास का मानक तय करता है. राज्य अपने हित के बारे में अपने सामाजिक और आर्थिक सवालों को मजबूती से रखता है. इस बैठक में बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, ललन सिंह भाग ले रहे हैं. बिहार को विशेष पैकेज मिला है. स्वाभाविक है कि हमारी उम्मीद अभी भी बरकरार है.

"हमें उम्मीद है कि बिहार के हितों का ध्यान विशेष रूप से रखा जाएगा. विपक्ष के कुछ राजनीतिक दल नीति आयोग की बैठक का भी बहिष्कार कर रहे हैं. द्वेष की बुनियाद पर जनता के हितों की बलि नहीं दी जा सकती है."- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जेडीयू

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अर्थशास्त्री डॉक्टर अमित बक्शी (Video Credit: ETV Bharat)

पटना: बिहार में डबल इंजन की सरकार है और बिहार को केंद्र से काफी उम्मीदें हैं. केंद्र की ओर से आम बजट में बिहार की चिंता की गई और बिहार को ग्रोइंग स्टेट माना गया. पूर्वी भारत के विकास में बिहार की भूमिका और महत्ता को देखते हुए केंद्र सरकार ने स्पेशल पैकेज की घोषणा भी की. इन सब के बीच दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में होने वाली नीति आयोग की महत्वपूर्ण बैठक पर भी बिहारवासियों के निगाहें टिकी हैं.

पीएम मोदी की अध्यक्षता में बैठक
पीएम मोदी की अध्यक्षता में बैठक (Photo Credit: ETV Bharat)

बैठक में तीन क्षेत्रीय दलों के नेता ले रहे हिस्सा: पहली बार इस बैठक में बिहार से तीन केंद्रीय मंत्री विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में हिस्सा ले रहे हैं. इसके अलावा वित्त मंत्री सम्राट चौधरी भी बैठक में हिस्सा लेंगे. केंद्रीय मंत्री और जदयू नेता ललन सिंह के अलावा केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान बैठक में बिहार के विकास को लेकर अपनी राय रखने वाले हैं.

केंद्रीय मंत्री ललन सिंह बैठक में शामिल
केंद्रीय मंत्री ललन सिंह बैठक में शामिल (Photo Credit: ETV Bharat)

डबल डिजिट में है बिहार का ग्रोथ रेट: आपको बता दें कि पिछले डेढ़ दशक से बिहार का विकास डबल डिजिट रहा है. 2010-11 में 15.03%, 2011-12 में 10.29%, 2018-19 में 10.86%, 2019-20 में 10.5% और 2021-22 में 10.98% इसका उदाहरण है. साल 2022-23 की बात कर ले तो बिहार का विकास दर 10.64 प्रतिशत रहा.

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान बैठक में शामिल
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान बैठक में शामिल (Photo Credit: ETV Bharat)

एक तिहाई से अधिक आबादी गरीबी रेखा से नीचे: देश में राष्ट्रीय वृद्धि दर डबल डिजिट में नहीं रहा है. बिहार अपने संसाधनों के बूते गरीबी कम की है. बावजूद इसके बिहार में गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों की संख्या 33.5% है. बिहार उन राज्यों में शामिल है, जहां सबसे अधिक लोग गरीबी रेखा की सीमा से बाहर निकले हैं. बावजूद इसके बिहार की एक तिहाई से अधिक आबादी गरीबी रेखा से नीचे है. यह सरकार के लिए चिंता का सबब है.

गरीबी कम होने वाले राज्यों में टॉप पर बिहार: आयोग ने बहुआयामी गरीबी सूचकांक जारी किया है. उसके मुताबिक वर्ष 2015-16 से वर्ष 2019-21 की अवधि में पूरे भारत में ऐसे तो 13.51 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं, लेकिन पूरे देश में बिहार में अकेले 2.25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं. जो 16.6 5% के करीब है. इसके बाद भी बिहार में गरीबी 33.7% है जो पूरे देश में सबसे अधिक है. जिन प्रमुख राज्यों में गरीबी कम हुई है उसमें बिहार टॉप पर है.

सम्राट चौधरी बैठक में शामिल
सम्राट चौधरी बैठक में शामिल (Photo Credit: ETV Bharat)

ड्रॉप आउट सरकार के लिए चिंता का सबब: उच्च शिक्षा की बात कर लें तो यहां भी हालत चिंताजनक है. मात्र 17.01% छात्र ही उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं, बाकी के 83% बच्चों को उच्च शिक्षा नहीं मिल पा रही है. ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो के मामले में 36 राज्यों की सूची में इस मामले में बिहार 33 वें स्थान पर है. इस श्रेणी में 18 वर्ष से 23 वर्ष के बीच के छात्र आते हैं.

केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी बैठक में शामिल
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी बैठक में शामिल (Photo Credit: ETV Bharat)

भुखमरी के मामले में बिहार की स्थिति चिंताजनक: बिहार में स्वास्थ्य और स्वच्छता के क्षेत्र में कुछ काम हुए हैं. 16 इंडेक्स के आधार पर राज्यों के परफॉर्मेंस को आंका गया था जिसमें बिहार को बेहतर स्वास्थ्य के गोल में 66 अंक मिले थे. इसी तरह स्वच्छता और पेयजल के गोल में बिहार को 100 में 91 अंक मिले हैं. भुखमरी के मामले में 31 अंक के साथ बिहार राज्यों की श्रेणी में नीचे से दूसरे स्थान पर है इस मामले में झारखंड सबसे नीचे है.

'बिहार के विकास के लिए रोड मैप की दरकार': अर्थशास्त्री डॉक्टर अमित बक्शी का मानना है कि ग्रोइंग स्टेट होने के बावजूद बिहार जैसे राज्य के समक्ष कई चुनौतियां हैं. हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में बहुत कुछ करने की जरूरत है. जनसंख्या के अनुपात में राज्य के अंदर अस्पताल कम है. न्यूट्रिशन भी सरकार के लिए चिंता का सबब है. इसके अलावा शिक्षा के क्षेत्र में क्वालिटी एजूकेशन और ड्रॉप आउट अनुपात को ठीक करने की जरूरत है, इसके लिए नीति आयोग पहल कर सकती है.

रोजगार के लिए 50% से अधिक आबादी कृषि पर निर्भर: कृषि के क्षेत्र में आज भी 50% से अधिक लोग रोजगार के लिए निर्भर हैं. रोजगार के लिए कृषि पर निर्भरता कम करने की जरूरत है. उत्पादकता के मामले में भी बिहार कम है. सिंचाई व्यवस्था को ठीक करने के लिए नदियों को जोड़ना जरूरी है. इसके अलावा व्यावसायिक फसल की ओर किसानों को रुख करना होगा.

फूड प्रोसेसिंग यूनिट के जरिए मिल सकता है रोजगार: औद्योगीकरण के लिए बिहार को अतिरिक्त मदद की जरूरत होगी. स्थानीय उद्योगपतियों को बढ़ावा देना होगा. लैंड रिकॉर्ड को ठीक करने के अलावा बैंकों के रवैया में भी सुधार अपेक्षित है. स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज को और मजबूत करने की जरूरत है. फूड प्रोसेसिंग यूनिट बिहार जैसे राज्य की जरूरत है. इस सेक्टर में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं.

पब्लिक प्राइवेट इन्वेस्टमेंट पर जोर देने की जरूरत: बिहार में पब्लिक इन प्राइवेट इन्वेस्टमेंट में कमी है और इसके लिए भारत सरकार को टैक्स में रिबेट देने की जरूरत है. ज्यादातर योजनाओं में बिहार को 60% शेयर देना पड़ता है, इस अनुपात को कम करने की जरूरत है. पूर्वी राज्यों में बिहार को ग्रोथ स्टेट के रूप में चिह्नित भी किया गया है.

"पूरे देश में गरीबी दर में सबसे अधिक गिरावट बिहार में आई है, लेकिन फिर भी गरीबों को कम करने में काफी समय लग रहा है. नीति आयोग गरीबी को कम करने में अहम भूमिका निभा सकती है. जब तक शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और उद्योग के क्षेत्र में बिहार के लिए अलग रोड मैप की जरूरत है. नीति आयोग इस पर भी सुझाव दे सकती है. उम्मीद की जाती है कि बिहार से शामिल होने वाले प्रतिनिधि इस मुद्दे को बेहतर तरीके से उठाएंगे."- डॉक्टर अमित बक्शी, अर्थशास्त्री

'हमारी उम्मीद बरकरार'-JDU: जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि नीति आयोग एक महत्वपूर्ण संस्था है, जो देश के समावेशी विकास का मानक तय करता है. राज्य अपने हित के बारे में अपने सामाजिक और आर्थिक सवालों को मजबूती से रखता है. इस बैठक में बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, ललन सिंह भाग ले रहे हैं. बिहार को विशेष पैकेज मिला है. स्वाभाविक है कि हमारी उम्मीद अभी भी बरकरार है.

"हमें उम्मीद है कि बिहार के हितों का ध्यान विशेष रूप से रखा जाएगा. विपक्ष के कुछ राजनीतिक दल नीति आयोग की बैठक का भी बहिष्कार कर रहे हैं. द्वेष की बुनियाद पर जनता के हितों की बलि नहीं दी जा सकती है."- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जेडीयू

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Last Updated : Jul 27, 2024, 10:27 AM IST
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