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चेकिंग के नाम पर पुलिसवाले ने फोड़ दी थी वकील की आंख, NHRC ने लगाया जुर्माना - NHRC IMPOSED FINE IN MUZAFFARPUR

मुजफ्फरपुर में वकील की आंख फोड़ने पर NHRC ने सरकार पर जुर्माना लगाया है. अधिवक्ता को 25 हजार मुआवजा देने का आदेश दिया है.

बिहार पुलिस की रंगदारी
बिहार पुलिस की रंगदारी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 15, 2024, 10:04 PM IST

मुजफ्फपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर सिविल कोर्ट के वकील पंकज कुमार का बिहार पुलिस के द्वारा आंख फोड़े जाने के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) का बिहार सरकार पर कड़ा एक्शन हुआ है. एनएचआरसी ने बिहार राज्य सरकार के मुख्य सचिव को अब पीड़ित अधिवक्ता को 25 हजार रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है. पीड़ित अधिवक्ता की ओर से मानवाधिकार अधिवक्ता एसके झा मामले की पैरवी कर रहे हैं.

एनएचआरसी ने 25 हजार का लगाया जुर्माना: एनएचआरसी ने मामले में मुख्य सचिव के विरुद्ध 'कारण बताओ' नोटिस भी जारी किया था और मामले में दो सप्ताह के भीतर जबाव मांगा था, लेकिन मुख्य सचिव द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया. आयोग ने विगत 21 अगस्त को मामले की सुनवाई की और कहा कि ''सरकार अपनी मुआवजा देने की जवाबदेही से नहीं भाग सकती है, क्योंकि यहां एक लोक सेवक ने मानवाधिकार का उल्लंघन किया है.'' आयोग ने मुख्य सचिव को पीड़ित को 25 हजार रुपये मुआवजे के रूप में देने का आदेश दिया है. आदेश के अनुपालन हेतु चार सप्ताह का समय दिया है.

वाहन चेकिंग में पुलिस वालों की करतूत: बता दें कि सात फरवरी को अधिवक्ता पंकज कुमार रात्रि के लगभग 11:40 बजे पटना से अपने आवास मुजफ्फरपुर लौट रहे थे, तब पावर हाउस चौक पर पहले से मौजूद काजी मोहम्मदपुर थाने के पुलिसकर्मी वाहन जांच के लिए खड़े थे. आरोप है कि पुलिसकर्मियों द्वारा उनकी गाड़ी को रोका गया और पूछा गया कि वे कहां से आ रहे हैं? जबतक अधिवक्ता कुछ बोल पाते तब तक पुलिस पदाधिकारी द्वारा उन्हें गाली देते हुए पुलिसकर्मियों को उन्हें मारने का आदेश दे दिया गया.

वकील के आंख की चली गई रोशनी: आदेश मिलते ही पुलिस वालों ने अधिवक्ता पंकज कुमार की एक आंख को डंडे से भोंक दिया गया. वह दर्द से कराहते हुए जमीन पर गिर गए. तब सभी पुलिसकर्मी वहां से भाग गए. अधिवक्ता पंकज कुमार का इलाज शंकर नेत्रालय कोलकाता में हुआ. उनकी एक आंख की रोशनी खत्म हो चुकी है.

20 लाख रुपये मुआवजे की मांग: इस पूरे मामले की जानकारी पीड़ित अधिवक्ता पंकज कुमार ने मानवाधिकार के अधिवक्ता एसके झा के माध्यम से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली और बिहार मानवाधिकार आयोग पटना को दी थी. इसपर सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मुआवजे के लिए कार्रवाई की है.

"यह पूरा प्रकरण मानवाधिकार उल्लंघन के अतिगंभीर श्रेणी का मामला है. आयोग मामले को लेकर शुरू से ही काफी सख्त है और आयोग के द्वारा मामले को काफी गंभीरता से लिया गया है." - एसके झा, अधिवक्ता मानवाधिकार आयोग

8 नवंबर को होगी सुनवाई: मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा ने बताया कि मामले में अगली सुनवाई आठ नवंबर को होगी. जिसमें पीड़ित अधिवक्ता को 20 लाख रुपये मुआवजा दिलाने के लिए और दोषी पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कराने के लिए अनुरोध किया जायेगा. उन्होंने बताया कि अधिवक्ता पर हमला कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. इसके लिए दोषी पुलिसकर्मी को कानून का एहसास कराना जरुरी है.

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एनएचआरसी ने 25 हजार का लगाया जुर्माना: एनएचआरसी ने मामले में मुख्य सचिव के विरुद्ध 'कारण बताओ' नोटिस भी जारी किया था और मामले में दो सप्ताह के भीतर जबाव मांगा था, लेकिन मुख्य सचिव द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया. आयोग ने विगत 21 अगस्त को मामले की सुनवाई की और कहा कि ''सरकार अपनी मुआवजा देने की जवाबदेही से नहीं भाग सकती है, क्योंकि यहां एक लोक सेवक ने मानवाधिकार का उल्लंघन किया है.'' आयोग ने मुख्य सचिव को पीड़ित को 25 हजार रुपये मुआवजे के रूप में देने का आदेश दिया है. आदेश के अनुपालन हेतु चार सप्ताह का समय दिया है.

वाहन चेकिंग में पुलिस वालों की करतूत: बता दें कि सात फरवरी को अधिवक्ता पंकज कुमार रात्रि के लगभग 11:40 बजे पटना से अपने आवास मुजफ्फरपुर लौट रहे थे, तब पावर हाउस चौक पर पहले से मौजूद काजी मोहम्मदपुर थाने के पुलिसकर्मी वाहन जांच के लिए खड़े थे. आरोप है कि पुलिसकर्मियों द्वारा उनकी गाड़ी को रोका गया और पूछा गया कि वे कहां से आ रहे हैं? जबतक अधिवक्ता कुछ बोल पाते तब तक पुलिस पदाधिकारी द्वारा उन्हें गाली देते हुए पुलिसकर्मियों को उन्हें मारने का आदेश दे दिया गया.

वकील के आंख की चली गई रोशनी: आदेश मिलते ही पुलिस वालों ने अधिवक्ता पंकज कुमार की एक आंख को डंडे से भोंक दिया गया. वह दर्द से कराहते हुए जमीन पर गिर गए. तब सभी पुलिसकर्मी वहां से भाग गए. अधिवक्ता पंकज कुमार का इलाज शंकर नेत्रालय कोलकाता में हुआ. उनकी एक आंख की रोशनी खत्म हो चुकी है.

20 लाख रुपये मुआवजे की मांग: इस पूरे मामले की जानकारी पीड़ित अधिवक्ता पंकज कुमार ने मानवाधिकार के अधिवक्ता एसके झा के माध्यम से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली और बिहार मानवाधिकार आयोग पटना को दी थी. इसपर सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मुआवजे के लिए कार्रवाई की है.

"यह पूरा प्रकरण मानवाधिकार उल्लंघन के अतिगंभीर श्रेणी का मामला है. आयोग मामले को लेकर शुरू से ही काफी सख्त है और आयोग के द्वारा मामले को काफी गंभीरता से लिया गया है." - एसके झा, अधिवक्ता मानवाधिकार आयोग

8 नवंबर को होगी सुनवाई: मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा ने बताया कि मामले में अगली सुनवाई आठ नवंबर को होगी. जिसमें पीड़ित अधिवक्ता को 20 लाख रुपये मुआवजा दिलाने के लिए और दोषी पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कराने के लिए अनुरोध किया जायेगा. उन्होंने बताया कि अधिवक्ता पर हमला कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. इसके लिए दोषी पुलिसकर्मी को कानून का एहसास कराना जरुरी है.

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