भोपाल: एमपी के तवा जलाशय को भी अब रामसर साइट में शामिल कर लिया गया है. जिसके बाद प्रदेश में रामसर साइटों की संख्या 5 हो गई है. इससे पहले एमपी में भोपाल के बड़ा तालाब, इंदौर के सिरपुर और यशवंत सागर लेक व शिवपुरी के सांख्य तालाब को रामसर साइट घोषित किया जा चुका है. तवा जलाशय की इस उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और एमपी के सीएम डा. मोहन यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर बधाई दी है.
Indeed a joyous occasion for India that our Ramsar sites number rises, indicating the priority we accord to sustainable development as well as living in harmony with nature. Special compliments to the people of MP and Tamil Nadu.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 14, 2024
We will continue to be at the forefront of such… https://t.co/O9K85DxzBZ
रामसर साइट बनने से ये होता है फायदा
पर्यावरणविद डॉ. सुभाष सी पांडे ने 'बताया कि रामसर साइट के रूप में नामित के बाद जलाशय के प्रबंधन और संरक्षण में बहुत अंतर आता है. रामसर साइट होने से यह सुनिश्चित होता है कि प्रबंधन प्रथाओं में बदलाव के माध्यम से आर्द्रभूमि की सख्त निगरानी की जाती है. तवा जलाशय के सामसर साइट बनने से इसे अतिरिक्त सुरक्षा मिलेगी, अतिक्रमण हटा दिए जाएंगे और भूमि को अन्य उद्देश्यों के लिए नहीं बदला जाएगा. अधिक वैज्ञानिक प्रबंधन प्रथाओं को नियोजित किया जाएगा, ताकि सूक्ष्म आवासों की विविधता - जैसे निचले घास के मैदान, गहरे पानी की जेबें, कीचड़, खारे पानी के क्षेत्र और चौनल - को बनाए रखा जा सके.'
क्या होती है रामसर साइट
नमी या दलदली भूमि वाले क्षेत्र को आर्द्रभूमि या वेटलैंड कहा जाता है. दरअसल, वेटलैंड्स वैसे क्षेत्र हैं, जहां भरपूर नमी पाई जाती है और इसके कई लाभ भी हैं. आर्द्रभूमि जल को प्रदूषण से मुक्त बनाती है. आर्द्र भूमि वह क्षेत्र है, जो साल भर आंशिक रूप से या पूरी तरह पानी से भरा रहता है. रामसर साईट नमी या दलदली भूमि वाले क्षेत्र को सहेजने, संरक्षित करने और उसकी अहमियत को बताने के लिए एक तरह की अंतरराष्ट्रीय अधिमान्यता है. इसे वेटलैंड्स पर कन्वेंशन के रूप में भी जाना जाता है. इसका नाम ईरान के 'रामसर' शहर के नाम पर रखा गया है. जहां 1971 में (वेटलैंड कन्वेंशन) आर्द्रभूमि सम्मेलन पर हस्ताक्षर किए गए थे. जिस पर 1975 से 172 देशों ने अमल करने का आश्वासन दिया.
धरती में किडनी की तरह काम करते हैं वेटलैंड
बता दें कि वेटलैंड्स विशिष्ट पारिस्थितिक तंत्र हैं, जो स्थायी रूप से या मौसमी रूप से छोटी अवधि के लिए पानी से भर जाते हैं, या संतृप्त होते हैं. हमारी अधिकांश ताजे पानी की जरूरतें प्रदान करते हैं. यह धरती के लिए किडनी की तरह कार्य करते हैं, जो पानी को नियंत्रित करते हैं और परिदृश्य से अपशिष्ट को फिल्टर करते हैं. वेटलैंड जैव विविधता के जलाशय हैं, जो मानवता और प्रकृति के पनपने के लिए महत्त्वपूर्ण है.
भारत में 85 वेटलैंड को मिल चुका है रामसर साइट का दर्जा
वर्तमान में तमिलनाडु के नंजरायण बर्ड सेंचुरी और काझुवेली बर्ड सेंचुरी के साथ एमपी के तवा जलाशय को रामसर साइट घोषित किया गया है. इसे मिलाकर अब देश में रामसर साइट की संख्या 85 हो गई है. इस तरह रामसर साइट भारत में 13,58,068 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करता है. पीएम मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर ट्वीट करते हुए दोनों प्रदेशों को बधाई दी है.
Triple joy!
— Bhupender Yadav (@byadavbjp) August 14, 2024
As the Nation gears up to celebrate its Independence Day, thrilled to share that we have added three Ramsar sites to our network. This takes our tally to 85 Ramsar sites, covering an area of 1358068 ha in India.
The achievement reflects the emphasis PM Shri… pic.twitter.com/GiSK6uREhV
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पीएम मोदी ने लिखा कि 'वास्तव में भारत के लिए यह खुशी का अवसर है कि हमारे रामसर स्थलों की संख्या में वृद्धि हुई है. जो सतत विकास के साथ-साथ प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाने को हमारी प्राथमिकता को दर्शाता है. मध्य प्रदेश और तमिलनाडु के लोगों को विशेष बधाई. हम आने वाले समय में भी ऐसे प्रयासों में सबसे आगे रहेंगे.' इसके अलावा केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने एक्स पर खुशी जाहिर करते हुए राज्यों को बधाई दी है. उन्होंने लिखा कि 'जैसा कि राष्ट्र अपना स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारी कर रहा है, उसमें देश को तीन और रामसर साइट मिलना गौरव का पल है.' वहीं प्रदेश के मुखिया सीएम मोहन यादव ने पीएम मोदी के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए बधाई दी है.