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कमाल का किसान, एक एकड़ में उगाया 60 तरह के सब्जी फल, डॉक्टर इंजीनियर की तरह लाखों में है कमाई - Multi Layer Farming Model - MULTI LAYER FARMING MODEL

मल्टी लेयर फार्मिंग मॉडल देश के छोटे किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. खेती के इस मॉडल से पूरे 12 महीने कमाई होती है. इसमें जो लागत आती है वो पूरे 5-6 साल तक चलती है. एक किसान 8 से 10 लाख का टर्न ओवर एक साल में कर सकता है और साल भर में 7 से 7.5 लाख का मुनाफा बना सकता है.

MULTI LAYER FARMING MODEL
मल्टी लेयर फार्मिंग मॉडल (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 9, 2024, 7:47 PM IST

सागर। सदियों से परंपरागत खेती करता आ रहा किसान अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए परेशान है. लेकिन, आधुनिक खेती और तकनीक का ज्ञान न होने के कारण किसान चाह कर भी अपनी आमदनी नहीं बढ़ा पा रहा है और कर्ज के बोझ के तले दबता जा रहा है. इन हालातों के बीच सागर के प्रगतिशील किसान आकाश चौरसिया ने कड़ी मेहनत से मल्टी लेयर फार्मिंग का ऐसा मॉडल तैयार किया है जिसके जरिए आप छोटे किसान होने के बावजूद भी 12 महीने कमाई कर सकते हैं. इस मॉडल के जरिए छोटे किसान महज एक एकड़ खेत में 60 तरह की सब्जी और फलों को उगा सकते हैं. खास बात यह है कि परंपरागत खेती से ज्यादातर किसान सिर्फ दो फैसलें ही ले पाते हैं, लेकिन इस तकनीक से किसानों को 12 महीने आमदनी होगी और साल भर में 7-8 लाख रुपए की कमाई आसानी से कर लेगा. एक तरह से किसान डॉक्टर इंजीनियर की तरह कमाई करेगा.

मल्टी लेयर फार्मिंग मॉडल से छोटे किसान करें 12 महीने कमाई (ETV Bharat)

लेयर फार्मिंग के विशेषज्ञ प्रगतिशील युवा किसान आकाश चौरसिया बताते हैं कि "भारत में किसान साल में दो बार फसलें लगाते हैं. एक बार रबी और दूसरी बार खरीफ के सीजन में लगाते हैं. इस तरह से साल में दो बार आमदनी होती है. दो बार आमदनी से आज के मंहगाई के दौर में जिंदगी जीना काफी कठिन है. मेरे मन में हमेशा विचार आता था कि क्यों ना खेती का ऐसा मॉडल तैयार किया जाए जिससे नियमित आमदनी हो साल के 12 महीने, जिससे किसान अपनी आजीविका अच्छे से चला सके. इसके लिए मैंने एक पद्धति तैयार की. जिसको हमनें मल्टी लेयर नाम दिया. मैंने 2009 में इस मॉडल पर काम शुरू किया और 2014 में माॅडल बनकर तैयार हुआ. इसके अनुसार मैंने एक साथ एक एकड़ जमीन पर 60 तरह की फसलें लगाई. जिनकी अलग-अलग उम्र थी और इन फसलों की धूप,पानी और खाद की जरूरतें भी अलग-अलग थी."

MULTI LAYER FARMING TECHNIQUE
मल्टी लेयर फार्मिंग मॉडल (ETV Bharat)
कैसे होगी साल भर कमाई

परंपरागत खेती से किसानों को आमतौर पर दो बार ही आमदनी होती है खरीफ की फसल अक्टूबर नवंबर में आती है और रवि की फसल मार्च अप्रैल में आती है. ये दो ही सीजन होते हैं जब किसानों को फसल बेचने के बाद पैसा मिलता है. लेकिन गरमी में उगाई जाने वाली फसलों की परंपरा हमारे यहां कम है. क्योंकि सभी और खास कर छोटे किसानों के पास सिंचाई के पर्याप्त साधन नहीं हैं. इसलिए ये मॉडल छोटे किसानों के लिए 12 महीने कमाई करने का बहुत अच्छा जरिया है. आकाश चौरसिया बताते हैं कि "इसके लिए मैंने फरवरी माह में ये माॅडल तैयार किया और इसमें टमाटर, बैंगन, भिंडी और मिर्ची से लेकर लौकी, गिलकी, तुरई करेला, ककड़ी से लेकर लता वाली फसलें, कंद वाली चार फसलें, पत्तियों वाली फसलें और फल वाली फसलों को मिलाकर 60 तरह की फसलों का समायोजन किया और 22 दिन बाद इस माॅडल से हमें आमदनी होना शुरू हो गयी. ये माॅडल नवम्बर दिसम्बर तक चलेगा और किसानों को कमाई देगा और फिर एक महीने के आराम के बाद फरवरी में फिर से यही प्रक्रिया बनाएंगे. सब मिलाकर साल भर किसानों की आमदनी का आधार बन जाएगा."

ALL 12 MONTHS INCOME FARMING MODEL
मल्टी लेयर फार्मिंग मॉडल, छोटे किसान करें 12 महीने कमाई (ETV Bharat)

नगद आमदनी के साथ बचत भी कर सकेंगे किसान

प्रगतिशील युवा किसान आकाश चौरसिया बताते हैं कि "इस माॅडल से हमें तीन तरह की कमाई होती है. पहली आमदनी हमें नगद मिलती है, जो हमें पत्तियों वाली सब्जियों से मिल जाती है. दूसरी हमारी बचत वाली आमदनी होती है, जो हमें लता और फल वाली फसलों से मिल जाती है. एक आमदनी हमारी एफडी जैसी होती है, जो हमारी कंद वाली फसलों अदरक, हल्दी जैसी फसलों से मिलती है. इस तरह हम तीनों तरह की आमदनी साल भर लेते हैं. छोटे किसान इस तरह अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं और साल भर उन्हें कुछ ना कुछ आय होती रहती है."

60 TYPES OF VEGETABLE FRUIT GROWING
एक खेत में 60 तरह की सब्जी और फल (ETV Bharat)

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लागत मामूली और शानदार कमाई

इस माॅडल की लागत की बात करें तो अगर सारी चीजें हमारे पास हैं, तो हमें 50 से 60 हजार रूपए की लागत आती है. अगर हमें बाहर से सामान लेना पड़ता है, तो लागत लाख रूपए तक पहुंच जाती है. जो पांच से छह साल तक चलती है. अगर बीज आपके पास नहीं है और आप बाहर से लेते हैं, तो 10-15 हजार के आसपास बीजों की लागत जोड़ सकते हैं. इतना ही हमें मजदूरों पर खर्च करना होता है. लगभग एक से डेढ लाख की लागत ये माॅडल तैयार हो जाता है. अगले साल बस बीज और मजदूरी की लागत लगती है. इसमें उपज की हम बात करें, तो सभी फसलों को मिलाकर लगभग ढाई से तीन सौ क्विंटल वजन की फसलें निकाल लेते हैं. इन फसलों के सीजन के अनुसार अलग-अलग रेट होते हैं. तो 8 से 10 लाख का टर्न ओवर एक साल में कर सकते हैं और साल भर में सात से साढे सात लाख का फायदा उठा सकते हैं. ये अच्छी आमदनी का जरिया है. एक छोटा किसान डाॅक्टर इंजीनियर के जैसे कमाई कर सकता है.

सागर। सदियों से परंपरागत खेती करता आ रहा किसान अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए परेशान है. लेकिन, आधुनिक खेती और तकनीक का ज्ञान न होने के कारण किसान चाह कर भी अपनी आमदनी नहीं बढ़ा पा रहा है और कर्ज के बोझ के तले दबता जा रहा है. इन हालातों के बीच सागर के प्रगतिशील किसान आकाश चौरसिया ने कड़ी मेहनत से मल्टी लेयर फार्मिंग का ऐसा मॉडल तैयार किया है जिसके जरिए आप छोटे किसान होने के बावजूद भी 12 महीने कमाई कर सकते हैं. इस मॉडल के जरिए छोटे किसान महज एक एकड़ खेत में 60 तरह की सब्जी और फलों को उगा सकते हैं. खास बात यह है कि परंपरागत खेती से ज्यादातर किसान सिर्फ दो फैसलें ही ले पाते हैं, लेकिन इस तकनीक से किसानों को 12 महीने आमदनी होगी और साल भर में 7-8 लाख रुपए की कमाई आसानी से कर लेगा. एक तरह से किसान डॉक्टर इंजीनियर की तरह कमाई करेगा.

मल्टी लेयर फार्मिंग मॉडल से छोटे किसान करें 12 महीने कमाई (ETV Bharat)

लेयर फार्मिंग के विशेषज्ञ प्रगतिशील युवा किसान आकाश चौरसिया बताते हैं कि "भारत में किसान साल में दो बार फसलें लगाते हैं. एक बार रबी और दूसरी बार खरीफ के सीजन में लगाते हैं. इस तरह से साल में दो बार आमदनी होती है. दो बार आमदनी से आज के मंहगाई के दौर में जिंदगी जीना काफी कठिन है. मेरे मन में हमेशा विचार आता था कि क्यों ना खेती का ऐसा मॉडल तैयार किया जाए जिससे नियमित आमदनी हो साल के 12 महीने, जिससे किसान अपनी आजीविका अच्छे से चला सके. इसके लिए मैंने एक पद्धति तैयार की. जिसको हमनें मल्टी लेयर नाम दिया. मैंने 2009 में इस मॉडल पर काम शुरू किया और 2014 में माॅडल बनकर तैयार हुआ. इसके अनुसार मैंने एक साथ एक एकड़ जमीन पर 60 तरह की फसलें लगाई. जिनकी अलग-अलग उम्र थी और इन फसलों की धूप,पानी और खाद की जरूरतें भी अलग-अलग थी."

MULTI LAYER FARMING TECHNIQUE
मल्टी लेयर फार्मिंग मॉडल (ETV Bharat)
कैसे होगी साल भर कमाई

परंपरागत खेती से किसानों को आमतौर पर दो बार ही आमदनी होती है खरीफ की फसल अक्टूबर नवंबर में आती है और रवि की फसल मार्च अप्रैल में आती है. ये दो ही सीजन होते हैं जब किसानों को फसल बेचने के बाद पैसा मिलता है. लेकिन गरमी में उगाई जाने वाली फसलों की परंपरा हमारे यहां कम है. क्योंकि सभी और खास कर छोटे किसानों के पास सिंचाई के पर्याप्त साधन नहीं हैं. इसलिए ये मॉडल छोटे किसानों के लिए 12 महीने कमाई करने का बहुत अच्छा जरिया है. आकाश चौरसिया बताते हैं कि "इसके लिए मैंने फरवरी माह में ये माॅडल तैयार किया और इसमें टमाटर, बैंगन, भिंडी और मिर्ची से लेकर लौकी, गिलकी, तुरई करेला, ककड़ी से लेकर लता वाली फसलें, कंद वाली चार फसलें, पत्तियों वाली फसलें और फल वाली फसलों को मिलाकर 60 तरह की फसलों का समायोजन किया और 22 दिन बाद इस माॅडल से हमें आमदनी होना शुरू हो गयी. ये माॅडल नवम्बर दिसम्बर तक चलेगा और किसानों को कमाई देगा और फिर एक महीने के आराम के बाद फरवरी में फिर से यही प्रक्रिया बनाएंगे. सब मिलाकर साल भर किसानों की आमदनी का आधार बन जाएगा."

ALL 12 MONTHS INCOME FARMING MODEL
मल्टी लेयर फार्मिंग मॉडल, छोटे किसान करें 12 महीने कमाई (ETV Bharat)

नगद आमदनी के साथ बचत भी कर सकेंगे किसान

प्रगतिशील युवा किसान आकाश चौरसिया बताते हैं कि "इस माॅडल से हमें तीन तरह की कमाई होती है. पहली आमदनी हमें नगद मिलती है, जो हमें पत्तियों वाली सब्जियों से मिल जाती है. दूसरी हमारी बचत वाली आमदनी होती है, जो हमें लता और फल वाली फसलों से मिल जाती है. एक आमदनी हमारी एफडी जैसी होती है, जो हमारी कंद वाली फसलों अदरक, हल्दी जैसी फसलों से मिलती है. इस तरह हम तीनों तरह की आमदनी साल भर लेते हैं. छोटे किसान इस तरह अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं और साल भर उन्हें कुछ ना कुछ आय होती रहती है."

60 TYPES OF VEGETABLE FRUIT GROWING
एक खेत में 60 तरह की सब्जी और फल (ETV Bharat)

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किसानों के लिए धान बन जाएगा 'सोना', बंपर पैदावार और तगड़े मुनाफे के लिए इस तरह करें रोपाई

लागत मामूली और शानदार कमाई

इस माॅडल की लागत की बात करें तो अगर सारी चीजें हमारे पास हैं, तो हमें 50 से 60 हजार रूपए की लागत आती है. अगर हमें बाहर से सामान लेना पड़ता है, तो लागत लाख रूपए तक पहुंच जाती है. जो पांच से छह साल तक चलती है. अगर बीज आपके पास नहीं है और आप बाहर से लेते हैं, तो 10-15 हजार के आसपास बीजों की लागत जोड़ सकते हैं. इतना ही हमें मजदूरों पर खर्च करना होता है. लगभग एक से डेढ लाख की लागत ये माॅडल तैयार हो जाता है. अगले साल बस बीज और मजदूरी की लागत लगती है. इसमें उपज की हम बात करें, तो सभी फसलों को मिलाकर लगभग ढाई से तीन सौ क्विंटल वजन की फसलें निकाल लेते हैं. इन फसलों के सीजन के अनुसार अलग-अलग रेट होते हैं. तो 8 से 10 लाख का टर्न ओवर एक साल में कर सकते हैं और साल भर में सात से साढे सात लाख का फायदा उठा सकते हैं. ये अच्छी आमदनी का जरिया है. एक छोटा किसान डाॅक्टर इंजीनियर के जैसे कमाई कर सकता है.

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