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ग्लेशियरों की निगरानी के लिए गठित की जाएगी मल्टी डिसिप्लिनरी टीम, केंद्र को भेजी जाएगी अध्ययन रिपोर्ट

Multi disciplinary team will monitor the glacier उत्तराखंड ग्लेशियर की निगरानी के लिए मल्टी डिसिप्लिनरी टीम बनाई जाएगी. टीम में उत्तराखंड स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी नोडल विभाग के रूप में कार्य करेगा.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 12, 2024, 9:13 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण प्रदेश में कई बार आपदा जैसे हालात बन जाते हैं. यही वजह है कि उत्तराखंड सरकार तमाम ऐतिहात भी बरत रही है. ताकि भविष्य की चुनौतियों को पार पाया जा सके. लेकिन दूसरी तरफ वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन एक गंभीर समस्या बन रही है. जलवायु परिवर्तन के कारण उच्च हिमालय क्षेत्रों में समय से बर्फबारी और बारिश न होने से तापमान बढ़ रहा है. इससे ग्लेशियर भी लगातार पिघल रहे हैं और ग्लेशियर झील की संख्या और उनका आकार भी बढ़ रहा है. लिहाजा ये भविष्य के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकते हैं.

उत्तराखंड में साल 2013 में केदार घाटी में आई भीषण आपदा और फिर साल 2021 में रैणी आपदा की वजह से प्रदेश में भारी तबाही मची थी. यह दोनों ही हादसे ग्लेशियर की वजह से हुए थे. भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हो, इसको लेकर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, भारत सरकार अलर्ट है. उत्तराखंड समेत देश के अन्य हिमालय राज्यों में हुई घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने, घटित होने की स्थिति में लोगों को समय से अलर्ट करने को लेकर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने एक समिति का गठन किया है. जिसने उत्तराखंड में 13 ग्लेशियर झीलों को चिन्हित किया है जो संवेदनशील है.

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से संवेदनशील बताए गए 13 ग्लेशियर झीलों की स्थिति को लेकर आपदा सचिव रंजीत सिन्हा ने सोमवार को यूएसडीएमए, वाडिया इंस्टीट्यूट, समेत तमाम संबंधित केंद्रीय संस्थान, सिंचाई विभाग और अन्य संस्थाओं के साथ समीक्षा बैठक की. समीक्षा बैठक के दौरान आपदा सचिव ने कहा कि ग्लेशियरों की निगरानी के लिए एक मल्टी डिसिप्लिनरी टीम गठित की जाए, जिसमें (उत्तराखंड स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी) यूएसडीएमए बतौर नोडल विभाग के रूप में कार्य करेगा. गठित टीम द्वारा अध्ययन के बाद तैयार की गई रिपोर्ट भारत सरकार को भेजी जाएगी. ताकि ग्लेशियर झील से होने वाले आपदाओं पर बेहतर ढंग से नियंत्रण के काम किया जा सके.

बैठक के दौरान वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान ने बताया कि गंगोत्री ग्लेशियर की निगरानी की जा रही है. गंगोत्री ग्लेशियर के साथ बहुत सारी ग्लेशियर झीलें हैं, जो अतिसंवेदनशील हैं. इसी तरह से बसुधारा ताल भी संवेदनशील है जिसकी लगातार निगरानी करने के लिए इक्विपमेंट लगाए जाने की जरूरत है. आईआईआरएस के वैज्ञानिकों ने बैठक के दौरान बताया कि वर्तमान समय में उनके द्वारा भागीरथी, मंदाकिनी, अलकनंदा नदियों के निकट ग्लेशियर झीलों की निगरानी की जा रही है. हालांकि अध्ययन के दौरान यह जानकारी मिली है कि केदारताल, भिलंगना और गौरीगंगा ग्लेशियर झीलों का क्षेत्रफल लगातार बढ़ रहा है जो आने वाले समय में आपदा की लिहाज से काफी संवेदनशील है.

ये भी पढ़ें: हिमालयी ग्लेशियर्स की बिगड़ रही सेहत, तेजी से पिघल रहा गंगोत्री ग्लेशियर, नदियों के अस्तित्व पर खड़ा हो सकता है संकट

ये भी पढ़ें:Himalaya Day 2022: हिमालयन ग्लेशियर्स की बिगड़ रही सेहत!, कई झीलों से बढ़ी जल प्रलय की आशंका

देहरादूनः उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण प्रदेश में कई बार आपदा जैसे हालात बन जाते हैं. यही वजह है कि उत्तराखंड सरकार तमाम ऐतिहात भी बरत रही है. ताकि भविष्य की चुनौतियों को पार पाया जा सके. लेकिन दूसरी तरफ वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन एक गंभीर समस्या बन रही है. जलवायु परिवर्तन के कारण उच्च हिमालय क्षेत्रों में समय से बर्फबारी और बारिश न होने से तापमान बढ़ रहा है. इससे ग्लेशियर भी लगातार पिघल रहे हैं और ग्लेशियर झील की संख्या और उनका आकार भी बढ़ रहा है. लिहाजा ये भविष्य के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकते हैं.

उत्तराखंड में साल 2013 में केदार घाटी में आई भीषण आपदा और फिर साल 2021 में रैणी आपदा की वजह से प्रदेश में भारी तबाही मची थी. यह दोनों ही हादसे ग्लेशियर की वजह से हुए थे. भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हो, इसको लेकर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, भारत सरकार अलर्ट है. उत्तराखंड समेत देश के अन्य हिमालय राज्यों में हुई घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने, घटित होने की स्थिति में लोगों को समय से अलर्ट करने को लेकर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने एक समिति का गठन किया है. जिसने उत्तराखंड में 13 ग्लेशियर झीलों को चिन्हित किया है जो संवेदनशील है.

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से संवेदनशील बताए गए 13 ग्लेशियर झीलों की स्थिति को लेकर आपदा सचिव रंजीत सिन्हा ने सोमवार को यूएसडीएमए, वाडिया इंस्टीट्यूट, समेत तमाम संबंधित केंद्रीय संस्थान, सिंचाई विभाग और अन्य संस्थाओं के साथ समीक्षा बैठक की. समीक्षा बैठक के दौरान आपदा सचिव ने कहा कि ग्लेशियरों की निगरानी के लिए एक मल्टी डिसिप्लिनरी टीम गठित की जाए, जिसमें (उत्तराखंड स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी) यूएसडीएमए बतौर नोडल विभाग के रूप में कार्य करेगा. गठित टीम द्वारा अध्ययन के बाद तैयार की गई रिपोर्ट भारत सरकार को भेजी जाएगी. ताकि ग्लेशियर झील से होने वाले आपदाओं पर बेहतर ढंग से नियंत्रण के काम किया जा सके.

बैठक के दौरान वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान ने बताया कि गंगोत्री ग्लेशियर की निगरानी की जा रही है. गंगोत्री ग्लेशियर के साथ बहुत सारी ग्लेशियर झीलें हैं, जो अतिसंवेदनशील हैं. इसी तरह से बसुधारा ताल भी संवेदनशील है जिसकी लगातार निगरानी करने के लिए इक्विपमेंट लगाए जाने की जरूरत है. आईआईआरएस के वैज्ञानिकों ने बैठक के दौरान बताया कि वर्तमान समय में उनके द्वारा भागीरथी, मंदाकिनी, अलकनंदा नदियों के निकट ग्लेशियर झीलों की निगरानी की जा रही है. हालांकि अध्ययन के दौरान यह जानकारी मिली है कि केदारताल, भिलंगना और गौरीगंगा ग्लेशियर झीलों का क्षेत्रफल लगातार बढ़ रहा है जो आने वाले समय में आपदा की लिहाज से काफी संवेदनशील है.

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