सीतामढ़ी: नेपाल का नागरिक होने के बावजूद बिहार के सीतामढ़ी में मुखिया बनने वाले शख्स पर राज्य निर्वाचन आयोग ने कड़ा एक्शन लिया है. न केवल उसकी कुर्सी छीन ली गई है, बल्कि जिलाधिकारी को सख्त कार्रवाई करने को कहा गया है. मामला जिले के सोनबरसा प्रखंड के भलुआहा पंचायत का है.
नेपाली नागरिक बना बिहार में मुखिया: दरअसल, बिल्टू राय उर्फ बिलट उर्फ बिलट प्रसाद यादव साल 2021 में बिहार पंचायत चुनाव के दौरान भलुआहा पंचायत के मुखिया पद के लिए चुने गए थे. उन पर आरोप है कि जिस वक्त वह मुखिया का चुनाव जीते, उस समय उनके पास नेपाल की नागरिकता थी. वर्ष 2007 से ही वह नेपाली नागरिक हैं. हालांकि बाद में 22 मई 2023 को उन्होंने नेपाली नागरिकता का त्याग किया.
राज्य निर्वाचन आयोग से की थी शिकायत: सोनबरसा प्रखंड के परसा खुर्द निवासी मुकेश कुमार साह ने राज्य निर्वाचन आयोग से शिकायत की थी कि बिल्टू की नागरिकता भारत के साथ-साथ पड़ोसी देश नेपाल में भी है. वह पड़ोसी देश नेपाल के कपिलावासी नगर पालिका का स्थाई निवासी है. जिसके बाद मामले में सुनवाई के बाद अब ये फैसला आया है.
"बिल्टू राय उर्फ बिलट उर्फ बिलट प्रसाद यादव को भारत और नेपाल दोनों जगहों की नागरिकता है. ऐसे में पंचायत राज अधिनियम 2006 धारा 135 (2) के तहत बिल्टू को मुखिया पद से हटाने की मैंने मांग की थी. वादी और प्रतिवादी का पक्ष सुनकर राज्य निर्वाचन आयोग ने फैसला सुनाते हुए मुखिया प्रसाद को पद से मुक्त कर दिया है."- मुकेश कुमार, शिकायतकर्ता
2007 से ही है नेपाल का नागरिक: वहीं, सुनवाई के दौरान मुकेश के अधिवक्ता ने कहा कि बिल्ट प्रसाद 2007 से ही पड़ोसी देश नेपाल का नागरिक है. तथ्यों को छुपाकर प्रसाद ने चुनाव आयोग को जानकारी नहीं दी और मुखिया का चुनाव लड़ा. मुकेश के अधिवक्ता ने कहा कि नेपाली नागरिकता छोड़ देने से ही भारत की नागरिकता स्वतः प्राप्त नहीं होती है.
"हमारा पक्ष सुनने के बाद चुनाव आयोग ने कहा कि प्रसाद ने तथ्यों को छुपा कर गलत तरीके से हलफनामा चुनाव आयोग को दाखिल किया है. चुनाव आयोग ने निर्देश देते हुए कहा कि पद से हटाए जाने के बाद मुखिया पर कानूनी कार्रवाई की जाए."- शिकायतकर्ता के अधिवक्ता
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