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कॉमन स्कूल सिस्टम की वकालत करने वाले मुचकुंद दुबे नहीं रहे, आज भी ठंडे बस्ते में पड़ी है उनकी रिपोर्ट - Uniform Education System

Muchkund Dubey पूर्व विदेश सचिव मुचकुंद दुबे का बुधवार 26 जून को निधन हो गया. बिहार में शिक्षा नीति के बदलाव को लेकर उन्होंने महत्वपूर्ण काम किया था. 2007 में उनकी समान शिक्षा प्रणाली पर आधारित रिपोर्ट नीतीश सरकार को सौंपी गई थी, जो अब तक ठंडे बस्ते में पड़ी है. इस रिपोर्ट को सभी सही मानते हैं और लागू होने पर क्रांतिकारी बदलाव की बात करते हैं, लेकिन इसे लागू करने में होने वाला भारी खर्च बिहार जैसे राज्य के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 28, 2024, 7:46 PM IST

कॉमन स्कूल सिस्टम. (ETV Bharat)

पटना: नीतीश कुमार ने 2005 में जब सत्ता संभाली थी तब शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने के लिए 2006 में पूर्व विदेश सचिव मुचकुंद दुबे की अध्यक्षता में कॉमन स्कूल सिस्टम कमीशन बनाया था. शिक्षा विभाग के सचिव भी उसमें शामिल थे. कमीशन ने 1 साल के अंदर ही रिपोर्ट नीतीश सरकार को सौंप दी थी. उस रिपोर्ट को तैयार करने वाले पूर्व विदेश सचिव मुचकुंद दुबे अब नहीं रहे. उनकी रिपोर्ट 17 साल से ठंडे बस्ते में पड़ी है. मुचकुंद दुबे जब भी बिहार आते तो उस रिपोर्ट को लागू करने के लिए सरकार से अपील करते थे.

रिपोर्ट लागू करने में क्या थी परेशानीः तत्कालीन शिक्षा मंत्री वृषिण पटेल का कहना है कि रिपोर्ट को लेकर वे लोग बहुत गंभीर थे. क्योंकि नीतीश कुमार ने उस रिपोर्ट को तैयार करवाई थी. जून 2007 में हम लोगों को रिपोर्ट मिल गई थी लेकिन रिपोर्ट के आधार पर जब हम लोगों ने अध्ययन करवाया कि कितनी राशि खर्च होगी तो वह राशि काफी बड़ी थी. उस समय बिहार की आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं थी. शिक्षकों की भी कमी थी, स्कूल भवन भी नहीं था तो कई मोर्चे पर काम करना था.

ETV GFX.
ETV GFX. (ETV Bharat)

सरकार ने कई स्कीम शुरू कीः वृषिण पटेल का कहना है कि हम लोग तो चाहते थे कि रिपोर्ट पर चर्चा हो और पूरे देश में एक माहौल बने लेकिन ऐसा हो नहीं सका. यदि वह रिपोर्ट लागू हो जाती तो बिहार की शिक्षा में मूलचूल सुधार होता और बिहार पूरे देश के लिए एक नजर बन जाता. वृषिण पटेल का कहना है कि भले ही रिपोर्ट लागू नहीं हुई लेकिन उस समय सरकार ने बच्चों को अधिक से अधिक स्कूल में लाने के लिए कई स्कीम की घोषणा की, जिसका असर हुआ है.

क्या कहते हैं विशेषज्ञः ए एन सिन्हा इंस्टीच्यूट के प्रोफेसर डॉ विद्यार्थी विकास का कहना है 'कॉमन स्कूल सिस्टम कमीशन की रिपोर्ट में शिक्षा की एक ऐसी प्रणाली जो जाति, पंथ, समुदाय, भाषा, लिंग, आर्थिक स्थिति, सामाजिक स्थिति और शारीरिक और मानसिक क्षमता से परे सभी बच्चों को समान गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करती है उसे लागू करने के लिए कहा था. किसी सरकारी स्कूल की बात नहीं की गई थी और जो सरकारी स्कूल है उसमें भी एक ही तरह का सिलेबस पढ़ाया जाए और सरकार सारा खर्च उठाए.' विद्यार्थी विकास के अनुसार कॉमन स्कूल सिस्टम कमीशन की रिपोर्ट यदि लागू हो जाती तो क्रांतिकारी बदलाव आता.

कौन थे मुचकुंद दुबे: पूर्व विदेश सचिव मुचकुंद दुबे का अखंड बिहार में जन्म हुआ था. मुचकुंद दुबे ने पटना विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक किया. बाद में ऑक्सफ़ोर्ड और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालयों में अर्थशास्त्र में अध्ययन किया. उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से डी. लिट. भी प्राप्त की. 1957 में भारतीय विदेश सेवा में शामिल हुए थे. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर भी रहे. सामाजिक विकास परिषद (सीएस आई) के अध्यक्ष और एशियाई विकास अनुसंधान संस्थान पटना के अध्यक्ष भी रहे. उन्होंने कई किताबें भी लिखीं हैं.

कॉमन स्कूल सिस्टम कमीशन क्यों आया चर्चा मेंः पूर्व विदेश सचिव मुचकुंद दुबे का बुधवार 26 जून को निधन हो गया. बिहार में शिक्षा नीति के बदलाव को लेकर उन्होंने बड़ा काम किया था. 2007 से ही उनके द्वारा समान शिक्षा प्रणाली को लेकर जो रिपोर्ट नीतीश सरकार को दी थी. अब उस रिपोर्ट को कौन बाहर निकलेगा एक बड़ा सवाल है, क्योंकि उस रिपोर्ट को तो सभी सही बता रहे हैं लागू होने पर क्रांतिकारी बदलाव होने की बात कह रहे हैं. रिपोर्ट को लागू करने में जितनी बड़ी राशि खर्च होगी वह बिहार जैसे राज्य के लिए आसान नहीं है.

इसे भी पढ़ेंः 11वीं में नामांकन के लिए उसी गवर्मेंट स्कूल से मैट्रिक पास करना अनिवार्य नहीं, पटना हाईकोर्ट का आदेश - Patna High Court

इसे भी पढ़ेंः बिहार में बदल गई स्कूलों की टाइमिंग, 1 जुलाई से इस समय से चलेंगे स्कूल, पढ़ें पूरा शेड्यूल - BIHAR SCHOOL TIMING

कॉमन स्कूल सिस्टम. (ETV Bharat)

पटना: नीतीश कुमार ने 2005 में जब सत्ता संभाली थी तब शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने के लिए 2006 में पूर्व विदेश सचिव मुचकुंद दुबे की अध्यक्षता में कॉमन स्कूल सिस्टम कमीशन बनाया था. शिक्षा विभाग के सचिव भी उसमें शामिल थे. कमीशन ने 1 साल के अंदर ही रिपोर्ट नीतीश सरकार को सौंप दी थी. उस रिपोर्ट को तैयार करने वाले पूर्व विदेश सचिव मुचकुंद दुबे अब नहीं रहे. उनकी रिपोर्ट 17 साल से ठंडे बस्ते में पड़ी है. मुचकुंद दुबे जब भी बिहार आते तो उस रिपोर्ट को लागू करने के लिए सरकार से अपील करते थे.

रिपोर्ट लागू करने में क्या थी परेशानीः तत्कालीन शिक्षा मंत्री वृषिण पटेल का कहना है कि रिपोर्ट को लेकर वे लोग बहुत गंभीर थे. क्योंकि नीतीश कुमार ने उस रिपोर्ट को तैयार करवाई थी. जून 2007 में हम लोगों को रिपोर्ट मिल गई थी लेकिन रिपोर्ट के आधार पर जब हम लोगों ने अध्ययन करवाया कि कितनी राशि खर्च होगी तो वह राशि काफी बड़ी थी. उस समय बिहार की आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं थी. शिक्षकों की भी कमी थी, स्कूल भवन भी नहीं था तो कई मोर्चे पर काम करना था.

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सरकार ने कई स्कीम शुरू कीः वृषिण पटेल का कहना है कि हम लोग तो चाहते थे कि रिपोर्ट पर चर्चा हो और पूरे देश में एक माहौल बने लेकिन ऐसा हो नहीं सका. यदि वह रिपोर्ट लागू हो जाती तो बिहार की शिक्षा में मूलचूल सुधार होता और बिहार पूरे देश के लिए एक नजर बन जाता. वृषिण पटेल का कहना है कि भले ही रिपोर्ट लागू नहीं हुई लेकिन उस समय सरकार ने बच्चों को अधिक से अधिक स्कूल में लाने के लिए कई स्कीम की घोषणा की, जिसका असर हुआ है.

क्या कहते हैं विशेषज्ञः ए एन सिन्हा इंस्टीच्यूट के प्रोफेसर डॉ विद्यार्थी विकास का कहना है 'कॉमन स्कूल सिस्टम कमीशन की रिपोर्ट में शिक्षा की एक ऐसी प्रणाली जो जाति, पंथ, समुदाय, भाषा, लिंग, आर्थिक स्थिति, सामाजिक स्थिति और शारीरिक और मानसिक क्षमता से परे सभी बच्चों को समान गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करती है उसे लागू करने के लिए कहा था. किसी सरकारी स्कूल की बात नहीं की गई थी और जो सरकारी स्कूल है उसमें भी एक ही तरह का सिलेबस पढ़ाया जाए और सरकार सारा खर्च उठाए.' विद्यार्थी विकास के अनुसार कॉमन स्कूल सिस्टम कमीशन की रिपोर्ट यदि लागू हो जाती तो क्रांतिकारी बदलाव आता.

कौन थे मुचकुंद दुबे: पूर्व विदेश सचिव मुचकुंद दुबे का अखंड बिहार में जन्म हुआ था. मुचकुंद दुबे ने पटना विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक किया. बाद में ऑक्सफ़ोर्ड और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालयों में अर्थशास्त्र में अध्ययन किया. उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से डी. लिट. भी प्राप्त की. 1957 में भारतीय विदेश सेवा में शामिल हुए थे. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर भी रहे. सामाजिक विकास परिषद (सीएस आई) के अध्यक्ष और एशियाई विकास अनुसंधान संस्थान पटना के अध्यक्ष भी रहे. उन्होंने कई किताबें भी लिखीं हैं.

कॉमन स्कूल सिस्टम कमीशन क्यों आया चर्चा मेंः पूर्व विदेश सचिव मुचकुंद दुबे का बुधवार 26 जून को निधन हो गया. बिहार में शिक्षा नीति के बदलाव को लेकर उन्होंने बड़ा काम किया था. 2007 से ही उनके द्वारा समान शिक्षा प्रणाली को लेकर जो रिपोर्ट नीतीश सरकार को दी थी. अब उस रिपोर्ट को कौन बाहर निकलेगा एक बड़ा सवाल है, क्योंकि उस रिपोर्ट को तो सभी सही बता रहे हैं लागू होने पर क्रांतिकारी बदलाव होने की बात कह रहे हैं. रिपोर्ट को लागू करने में जितनी बड़ी राशि खर्च होगी वह बिहार जैसे राज्य के लिए आसान नहीं है.

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