भोपाल। तिब्बत की निर्वासित सरकार के पार्लियामेंट की सदस्य चुनज़ी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि चीन ने तिब्बतियों पर सांस्कृतिक और धार्मिक हमले बढ़ा दिए हैं. उनका कहना है कि चीन में तीन बरस के छोटे तिब्बती बच्चों को भी क्लोनियल बोर्डिंग स्कूल में डाला जा रहा है. कोशिश ये की जा रही है कि किस तरह से तिब्बतियों की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान मिटाई जा सके. उन्होंने कहा कि तिब्बत में मानव अधिकारों की स्थिति दुनिया में बद से बदतर हो चुकी है.
कैसे तिब्बत का वजूद खत्म कर रहा है चीन
तिब्बत की निर्वासित सरकार की पार्लियामेंट की सदस्य चुनज़ी ने बताया कि फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट में लगातार तीन साल से सबसे कम आजाद देशों की सूची में तिब्बत बना हुआ है. यहां मानव अधिकारों की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है. उन्होंने कहा कि पहले मोनेस्ट्रीज को डिस्ट्राय किया गया. चीन की ये नीति है कि किस तरह तिब्बत की पहचान मिटाई जाए, तो अब कल्चरल और रिलीजियस अटैक बढ़ा दिये गए हैं. उन्होंने बताया कि अब तिब्बती बच्चों को लेकर एक क्लोनियल बोर्डिंग स्कूल में डाला जा रहा है. कोशिश की जा रही है कि उनके रिलीजियस और सोशल पहचान को मिटाया जाए. इसके अलावा डीएनए सैम्पलिंग की जा रही है. निजी जीवन में निगरानी रखी जा रही है. हाल ही में जो यूनिर्सल पिरोडिकल रिव्यू हुआ, उसमें इस सब पर चिंता भी जताई गई.
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भारत हमारी ताकत, बातचीत का दबाव बढ़ाए
तिब्बत की निर्वासित सरकार के पार्लियामेंट की सदस्य चुनज़ी का कहना है कि भारत ने हमारी हमेशा से सहायता की है. भारत हमारी ताकत है. अभी जो चुनौती हमारे सामने है. उसमें हम ये चाहते हैं कि भारत कुछ ठोस स्टैंड ले और दलाई लामा की तिब्बत वापिसी हो सके. उन्होंने कहा कि चीन से हमारी आखिरी बातचीत 2010 में हुई थी. उसके बाद से कोई बातचीत नहीं हुई है. अब ये प्रयास होना चाहिए कि बातचीत हो सके इसके लिए भारत सरकार दबाव बनाए.