श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट को अपने लिखित जवाब में दावा करते हुए लिखा कि हुर्रियत अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक एक 'आजाद व्यक्ति' हैं. कोर्ट ने समय की कमी के कारणवश अगली सुनवाई 14 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी है.
बता दें, मीरवाइज उमर फारूक ने अपनी याचिका में अपने आवास के बाहर पुलिस और वाहनों की तैनाती और घर में नजरबंद करने का आरोप लगाया. वहीं, वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता मोहसिन कादरी ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि मीरवाइज एक 'स्वतंत्र व्यक्ति' हैं जो नियमित रूप से डॉक्टरों, रिश्तेदारों से मिलते हैं और धार्मिक गतिविधियों में शामिल होते हैं. कादरी ने उनके घर के बाहर सुरक्षा बलों की मौजूदगी के आरोपों का भी खंडन करते हुए कहा कि ऐसा नहीं है. राष्ट्र-विरोधी खतरों को टालने के लिए ऐसा किया गया है.
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 6 फरवरी 2023 को विस्तार से दिए गए अपने जवाब में लिखा कि मीरवाइज शादी-विवाह समारोह के लिए अपने घर से बाहर निकले और सितंबर 2023 में तीन शुक्रवार वे जामिया मस्जिद भी गए. कादरी ने आगे जोर देते हुए कहा कि वे आजाद व्यक्ति हैं और कहीं भी आ-जा सकते हैं. इसके लिए उन्हें उचित सुरक्षा भी प्रदान की गई है. इसके साथ-साथ उन्होंने 1990 में मीरवाइज के पिता मौलाना मुहम्मद फारूक की हत्या का भी जिक्र किया. इसमें लिखा गया कि मीरवाइज को प्रमुख धार्मिक व्यक्ति का दर्जा मिलने के बाद उनको सुरक्षा मुहैया करवाई गई.
कादरी ने मीरवाइज की याचिका को खारिज करने की मांग करते हुए लिखा कि उन्हें न तो उनके घर में कैद किया गया है और न ही हिरासत में रखा गया है, इस बात पर जोर देते हुए कि कहा कि मीरवाइज के अधिकारों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है. सितंबर 2023 में दायर मीरवाइज की याचिका में दावा किया गया कि बाहर बड़ी संख्या में पुलिस बल मौजूद है, जिससे उनका जीवन दयनीय हो गया है. गलत सूचना का हवाला देते हुए, मीरवाइज ने चार साल से अधिक समय तक नजरबंदी और धार्मिक अधिकारों के उल्लंघन का दावा करते हुए कानूनी और संवैधानिक उपायों की मांग की.