रांची: मानव तस्करी के लिए बदनाम झारखंड से अब साइबर ठगी के लिए भी ह्यूमन ट्रैफिकिंग की जा रही है. झारखंड सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच की जांच में इसका खुलासा हुआ है. साइबर ठगी के लिए मानव तस्करी करने वाले गिरोह का खुलासा करते हुए सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच ने तस्करी रैकेट के दो सदस्यों को गिरफ्तार भी किया है.
पहली बार आया मामला सामने
झारखंड से साइबर क्राइम को अंजाम दिलवाने के लिए बेरोजगार युवकों की तस्करी की जा रही है. झारखंड के बेरोजगारों को नौकरी का झांसा देकर लाओस और कंबोडिया जैसे मुल्कों में तस्करी कर ले जा जाता था. फिर उनसे वहां जबरदस्ती साइबर क्राइम करवाया जाता था. इस संबंध में सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच में एक पीड़ित के परिवार के द्वारा एफआईआर दर्ज करवाया गयी थी.
जब सीआईडी की क्राइम ब्रांच टीम मामले की तफ्तीश में जुटी तब चौंकाने वाला खुलासा हुआ. जानकारी मिली कि कंबोडिया, थाईलैंड, लाओस जैसे देशों के साइबर अपराधियों ने झारखंड में अपने कुछ एजेंट तैयार कर रखे थे. झारखंड के एजेंट के माध्यम से ही बेरोजगार युवकों को विदेश में नौकरी देने का झांसा देकर कंबोडिया, थाईलैंड, लाओस जैसे देशों में ले जाया जाता था. दूसरे देश में जाकर झारखंड के युवाओं को साइबर ठगी का काम करवाया जाता था. विदेशी साइबर अपराधियों ने झारखंड के वैसे सभी युवाओं के पासपोर्ट और दूसरे तरह के पहचान पत्र अपने पास जब्त कर लिए थे. मजबूरन युवाओं को साइबर ठगी का काम करना पड़ता था.
झारखंड से दो एजेंट गिरफ्तार
सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच की टीम ने साइबर क्राइम में इस्तेमाल के लिए युवाओं की तस्करी करने वाले दो एजेंटों वसीम खान और यमुना कुमार राणा को गिरफ्तार किया है. वसीम खान झारखंड के गिरिडीह का रहने वाला है जबकि यमुना कुमार राणा झारखंड के कोडरमा का रहने वाला है. गिरफ्तार साइबर एजेंटों के पास से कई आपत्तिजनक साक्ष्य, लेनदेन से संबंधित पासबुक, चेक बुक, लैपटॉप और विदेश भेजे गए लोगों के बायोडाटा, पासपोर्ट और वीजा का विवरण बरामद किया गया है.
वियतनाम के रास्ते का प्रयोग
सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार पीड़ितों को झारखंड से वियतनाम और थाईलैंड के रास्ते कंबोडिया भेजा जाता है. विदेश पहुंचने पर पीड़ितों को स्कैम सेंटर में बाकायदा प्रशिक्षित किया जाता है, उन्हें व्हाट्सएप इंस्टाग्राम, फेसबुक पर फर्जी अकाउंट बनाने, व्हाट्सएप चैट के माध्यम से आकर्षक इन्वेस्टमेंट ऑफर के साथ-साथ साइबर ठगी के लिए लोगों से कैसे संपर्क करना है इसकी ट्रेनिंग दी जाती थी. भारत से तस्करी कर ले जाए गए लोगों को डरा धमका कर बेहद कठिन परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर कर दिया जाता था.
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