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Samastipur Lok Sabha Seat पर किसका रहा है कब्जा, कैसे रहे समीकरण, जानें सियासी इतिहास - lok sabha election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

Lok Sabha Election 2024: 2009 में परिसीमन के बाद समस्तीपुर लोकसभा सीट को सुरक्षित सीट कोटा में डाल दिया गया. 2019 में आरएलजेपी के प्रिंस राज ने कांग्रेस के अशोक राम को मात दी थी. लोजपा में टूट का असर 2024 के चुनाव में हो सकता है और इसका महागठबंधन को फायदा हो सकता है. महागठबंधन इस किले को भेदने की कोशिश में है. समस्तीपुर लोकसभा सीट पर अब तक किसका रहा है कब्जा, कैसे रहे समीकरण और सियासी इतिहास, सब कुछ जानें.

Samastipur Lok Sabha Seat पर किसका रहा है कब्जा, कैसे रहे समीकरण, जानें सियासी इतिहास
Samastipur Lok Sabha Seat पर किसका रहा है कब्जा, कैसे रहे समीकरण, जानें सियासी इतिहास
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 17, 2024, 6:19 AM IST

Updated : Apr 18, 2024, 4:05 PM IST

देखें विशेष रिपोर्ट.

समस्तीपुर: लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों की घोषणा हो चुकी है. सभी दल अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं. आज बात पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के जन्म व कर्मभूमि समस्तीपुर की करेंगे, जहां चौथे चरण में 13 मई को चुनाव होना है. बिहार के सियासत में समस्तीपुर सुरक्षित लोकसभा सीट कई मायनों में खास रहा है. वैसे वर्तमान में इस सीट पर राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के प्रिंस राज काबिज है.

समस्तीपुर सीट का इतिहास: समस्तीपुर सुरक्षित लोकसभा सीट पहले सामान्य सीटों में शामिल थी, लेकिन वर्ष 2009 के परिसीमन के बाद इस सीट को सुरक्षित कोटा में डाल दिया गया. वर्तमान में इस लोकसभा सीट के अंतर्गत 6 विधानसभा की सीटे हैं , जिसमें समस्तीपुर के चार समस्तीपुर , कल्याणपुर , वारिसनगर और रोसरा विधानसभा की सीट हैं. वहीं इसमें दरभंगा जिले के दो विधानसभा कुशेश्वर स्थान और हायाघाट शामिल हैं.

इस बार NDA Vs महागठबंधन: समस्तीपुर सुरक्षित सीट की जंग में 2019 में एनडीए समर्थित लोजपा उम्मीदवार रामचंद्र पासवान ने कांग्रेस उम्मीदवार अशोक कुमार को शिकस्त दी थी. वैसे उनके निधन के बाद हुए इस सीट पर हुए उपचुनाव के दौरान भी रामचंद्र पासवान के पुत्र व लोजपा उम्मीदवार प्रिंस राज ने एक बार फिर महागठबंधन के उम्मीदवार व कांग्रेस नेता अशोक कुमार को भारी मतों के अंतर से हराया. वहीं 2014 के जंग में भी इस सीट पर एनडीए गठबंधन की जीत हुई थी. लोजपा उम्मीदवार रामचंद्र पासवान ने महागठबंधन के उम्मीदवार व कांग्रेस नेता अशोक कुमार को हराया था.

ईटीवी भारत GFX
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टूट का होगा साइड इफेक्ट?: वैसे इस बार बदले सियासी समीकरण में इस सीट की जंग काफी खास होगी. दरअसल एक बार फिर इस सीट पर राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी अपनी दावेदारी कर रही है. वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन के तरफ से कांग्रेस के पाले में यह सीट जाने की संभावना है. वैसे इस सियासी जंग के बीच लोक जनशक्ति पार्टी के अंदर हुई टूट का साइड इफेक्ट भी एनडीए की टेंशन को बढ़ा सकता है.

कौन हो सकते हैं चेहरे? : वैसे अगर वर्तमान लोकसभा चुनाव की बात करें तो एनडीए में शामिल राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी इस सीट की मजबूत दावेदार है. वहीं यह तय माना जा रहा है कि एक बार फिर प्रिंस राज इस सीट को लेकर ताल ठोकेंगे. वहीं दूसरी तरफ अगर महागठबंधन की बात करें तो , यह सीट एक बार फिर कांग्रेस के पाले में जाने की संभावना है. वैसे लोकसभा चुनाव के कई जंग में फेल कांग्रेस नेता अशोक कुमार को इस बार पार्टी दरकिनार कर दूसरे चेहरे पर दांव लगा सकती है.

पूर्व डीजीपी वीके रवि भी ठोक सकते हैं ताल: वहीं पार्टी के अंदर कई नामों में इस बार तमिलनाडु के पूर्व डीजीपी वीके रवि के नाम की भी चर्चा है. वैसे वे कुछ दिन पहले ही कांग्रेस में शामिल हुए हैं. वहीं अंदरखाने यह भी सुगबुगाहट है कि बीते कई चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन देखते हुए राजद की भी इस सीट पर नजर है. यही नहीं राजद इसको लेकर अंदरखाने फील्डिंग में भी जुटी है.

पूर्व मंत्री श्याम रजक के नाम की भी चर्चा: वहीं चर्चा है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री श्याम रजक इस सीट पर चुनाव लड़ सकते हैं. वैसे एनडीए गठबंधन में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के सुप्रीमो चिराग पासवान भी इस सीट की दावेदारी कर सकते हैं. दरअसल यह लोजपा का परंपरागत सीट माना जाता था.

समस्तीपुर सीट पर जातिगत समीकरण: वैसे अगर इस सीट पर जातीय समीकरण की बात करें तो , वोटो के लिहाज से कुशवाहा और यादव निर्णायक होते हैं. वहीं अनुसूचित जाति व अगड़ी जाति की कम में संख्या नहीं है. इसके अलावा मुस्लिम मतदाताओं की संख्या कम नहीं है जिससे उनका मत हासिल करने के लिए भी सभी पाटियां पूरी जोर लगाती है.

समस्तीपुर सीट का सियासी मुद्दा: वैसे इस सीट पर मुद्दे कई रहे हैं, लेकिन बंद उद्योग मिल एक बड़ा सियासी मुद्दा बनता रहा है. दरअसल जिले में उद्योग के नाम पर हसनपुर में चीनी मिल व कल्याणपुर में एक जूट मिल बचा है. वैसे अगर इतिहास की बात करें तो इस लोकसभा क्षेत्र में कई उद्योग एक-एक कर बंद हो गए. वहीं इस लोकसभा क्षेत्र में जाम की समस्या एक बड़ा मुद्दा रहा है दरअसल जिला मुख्यालय के भोला टॉकीज समेत कई रेल क्रॉसिंग पर आरओबी की मांग वर्षों पुरानी है. वैसे हर चुनाव यह सियासी मुद्दा जरूर रहा , लेकिन चुनाव के बाद इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया.

कब कितना मतदान और कितनी वोटिंग : 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान एनडीए उम्मीदवार रामचंद्र पासवान को 5,62, 443 (55.19 ) फीसदी वोट मिले , वहीं कांग्रेस के उपविजेता अशोक कुमार को 3,10,800 (30.5) फीसदी वोट मिले. वहीं नोटा का 35,417 (3.48) फीसदी वोटर ने बटन दबाया. समस्तीपुर सुरक्षित सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या 30,03,346 है , वहीं 2019 में वोट 61.06% वोट हुआ.

2019 में किसको मिला कितना वोट: वैसे 2019 के उपचुनाव के दौरान इस सीट पर विजेता प्रिंस राज को 3,90,276 करीब 49.48 फीसदी वोट मिले. वहीं कांग्रेस नेता डॉ अशोक कुमार 2,88,186 करीब 36.54 फीसदी.

जीत को लेकर दलों के दावे: वैसे वर्तमान चुनाव इस सीट पर ताल ठोक रही तमाम दल व उसके सहयोगी अपनी-अपनी जीत का दम जरूर भर रहे. वहीं अगर जनता की नब्ज टटोले तो , वर्तमान सांसद मतदाताओं के उम्मीद पर खरे नहीं उतरे. वैसे देश के कई हिस्सों की तरह , इस सीट पर भी पीएम मोदी की लहर दिख रही है. इसका फायदा एनडीए को मिल सकता है.

'हमारे साथ है आम जनता'- RJD: कांग्रेस का दावा है कि दोनों लोकसभा सीट उजियारपुर और समस्तीपुर से एक सीट उनके खाते में आना तय है. वहीं आरजेडी का दावा है कि इस इंडिया की जीत होगी. राजद के प्रदेश महासचिव ने कहा कि "लोकतंत्र खतरे में है. मुझे खुशी है कि अबकी बार नीतीश कुमार गच्चा खा गए हैं. हमारी पार्टी और इंडिया को आम जनता, गरीबों. किसानों, महिलाओं, सवर्णों का वोट मिलेगा. आरजेडी बहुत बड़ी पार्टी है, इसका कोई जुड़वा नहीं है. इसको ना बीजेपी ना नीतीश तोड़ पाए."

"जो मैदान में हैं वो तो जीत का दावा करेंगे ही. हमारे प्रिंस राज यहां के स्थानीय सांसद हैं. उन्होंने यहां विकास की गंगा बहायी है. गांव-गांव को जोड़ने का काम किया है. सदन में आवाज उठाकर पुल बनाने के प्रस्ताव को पास कराया है. कई सड़कों को जो मुख्यालय से जुड़ती हैं, उनको बनवाया है. प्रिंस राज का मुद्दा सबका साथ सबका विकास है. वो भारी मतों से एक बार फिर जीतेंगे."- उमाशंकर मिश्र, जिला मीडिया प्रभारी, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी

"हमारी तैयारी एक साल से चल रही है. बूथ कमेटी बन रहा है. कई सड़कें बनवायी गई हैं जिनका उद्घाटन होना है. हम कार्यकर्ताओं, जनता और पीएम मोदी की बदौलत दोनों समस्तीपुर और उजियारपुर लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करेंगे. प्रिंस राज जी का 2019 में चौथा चुनाव था जिसमें वो लड़ कर सांसद बने."- विनय कुमार चौधरी, जिला अध्यक्ष, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी

'बाहरी प्रत्याशी का करेंगे बहिष्कार': वहीं मतदाताओं का कहना है कि समस्तीपुर की दोनों लोकसभा सीटों पर बाहरी प्रत्याशी का कब्जा रहा है. इस बार विकास को ध्यान में रखकर वोट दिया जाएगा. अधिवक्ता बृजनंदन राय ने कहा कि चुनाव आते-आते राजनीतिक दलों का गठबंधन हो जाता है. वार्ड पार्षद 19 के शंभू राय ने कहा कि हमें लोकल उम्मीदवार चाहिए. बाहरी का बहिष्कार किया जाएगा. प्रिंस राज के काम से हम संतुष्ट नहीं है. उनका पांच साल में हम एक बार चेहरा देखते हैं.

"हमें क्षेत्रीय उम्मीदवार चाहिए. दोनों लोकसभा में ऐसे ही उम्मीद है. वर्तमान सांसद के कामों से हम खुश नहीं है. उन्होंने जो भी वादा किया वो पूरा नहीं हो सका है."- स्थानीय निवासी

"मूलभूत समस्याओं के आधार पर वोट करना चाहिए. जनता को घर का प्रत्याशी चाहिए जो बिना कहे आपकी परेशानी को समझे. चुनाव में बाहर-बाहर से कैंडिडेट फेंका जाता है. ये हमारे पिछड़ेपन का सबसे बड़ा कारण है."- भुवनेश्वर राम, एससी एसटी संगठन के जिला अध्यक्ष

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देखें विशेष रिपोर्ट.

समस्तीपुर: लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों की घोषणा हो चुकी है. सभी दल अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं. आज बात पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के जन्म व कर्मभूमि समस्तीपुर की करेंगे, जहां चौथे चरण में 13 मई को चुनाव होना है. बिहार के सियासत में समस्तीपुर सुरक्षित लोकसभा सीट कई मायनों में खास रहा है. वैसे वर्तमान में इस सीट पर राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के प्रिंस राज काबिज है.

समस्तीपुर सीट का इतिहास: समस्तीपुर सुरक्षित लोकसभा सीट पहले सामान्य सीटों में शामिल थी, लेकिन वर्ष 2009 के परिसीमन के बाद इस सीट को सुरक्षित कोटा में डाल दिया गया. वर्तमान में इस लोकसभा सीट के अंतर्गत 6 विधानसभा की सीटे हैं , जिसमें समस्तीपुर के चार समस्तीपुर , कल्याणपुर , वारिसनगर और रोसरा विधानसभा की सीट हैं. वहीं इसमें दरभंगा जिले के दो विधानसभा कुशेश्वर स्थान और हायाघाट शामिल हैं.

इस बार NDA Vs महागठबंधन: समस्तीपुर सुरक्षित सीट की जंग में 2019 में एनडीए समर्थित लोजपा उम्मीदवार रामचंद्र पासवान ने कांग्रेस उम्मीदवार अशोक कुमार को शिकस्त दी थी. वैसे उनके निधन के बाद हुए इस सीट पर हुए उपचुनाव के दौरान भी रामचंद्र पासवान के पुत्र व लोजपा उम्मीदवार प्रिंस राज ने एक बार फिर महागठबंधन के उम्मीदवार व कांग्रेस नेता अशोक कुमार को भारी मतों के अंतर से हराया. वहीं 2014 के जंग में भी इस सीट पर एनडीए गठबंधन की जीत हुई थी. लोजपा उम्मीदवार रामचंद्र पासवान ने महागठबंधन के उम्मीदवार व कांग्रेस नेता अशोक कुमार को हराया था.

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टूट का होगा साइड इफेक्ट?: वैसे इस बार बदले सियासी समीकरण में इस सीट की जंग काफी खास होगी. दरअसल एक बार फिर इस सीट पर राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी अपनी दावेदारी कर रही है. वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन के तरफ से कांग्रेस के पाले में यह सीट जाने की संभावना है. वैसे इस सियासी जंग के बीच लोक जनशक्ति पार्टी के अंदर हुई टूट का साइड इफेक्ट भी एनडीए की टेंशन को बढ़ा सकता है.

कौन हो सकते हैं चेहरे? : वैसे अगर वर्तमान लोकसभा चुनाव की बात करें तो एनडीए में शामिल राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी इस सीट की मजबूत दावेदार है. वहीं यह तय माना जा रहा है कि एक बार फिर प्रिंस राज इस सीट को लेकर ताल ठोकेंगे. वहीं दूसरी तरफ अगर महागठबंधन की बात करें तो , यह सीट एक बार फिर कांग्रेस के पाले में जाने की संभावना है. वैसे लोकसभा चुनाव के कई जंग में फेल कांग्रेस नेता अशोक कुमार को इस बार पार्टी दरकिनार कर दूसरे चेहरे पर दांव लगा सकती है.

पूर्व डीजीपी वीके रवि भी ठोक सकते हैं ताल: वहीं पार्टी के अंदर कई नामों में इस बार तमिलनाडु के पूर्व डीजीपी वीके रवि के नाम की भी चर्चा है. वैसे वे कुछ दिन पहले ही कांग्रेस में शामिल हुए हैं. वहीं अंदरखाने यह भी सुगबुगाहट है कि बीते कई चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन देखते हुए राजद की भी इस सीट पर नजर है. यही नहीं राजद इसको लेकर अंदरखाने फील्डिंग में भी जुटी है.

पूर्व मंत्री श्याम रजक के नाम की भी चर्चा: वहीं चर्चा है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री श्याम रजक इस सीट पर चुनाव लड़ सकते हैं. वैसे एनडीए गठबंधन में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के सुप्रीमो चिराग पासवान भी इस सीट की दावेदारी कर सकते हैं. दरअसल यह लोजपा का परंपरागत सीट माना जाता था.

समस्तीपुर सीट पर जातिगत समीकरण: वैसे अगर इस सीट पर जातीय समीकरण की बात करें तो , वोटो के लिहाज से कुशवाहा और यादव निर्णायक होते हैं. वहीं अनुसूचित जाति व अगड़ी जाति की कम में संख्या नहीं है. इसके अलावा मुस्लिम मतदाताओं की संख्या कम नहीं है जिससे उनका मत हासिल करने के लिए भी सभी पाटियां पूरी जोर लगाती है.

समस्तीपुर सीट का सियासी मुद्दा: वैसे इस सीट पर मुद्दे कई रहे हैं, लेकिन बंद उद्योग मिल एक बड़ा सियासी मुद्दा बनता रहा है. दरअसल जिले में उद्योग के नाम पर हसनपुर में चीनी मिल व कल्याणपुर में एक जूट मिल बचा है. वैसे अगर इतिहास की बात करें तो इस लोकसभा क्षेत्र में कई उद्योग एक-एक कर बंद हो गए. वहीं इस लोकसभा क्षेत्र में जाम की समस्या एक बड़ा मुद्दा रहा है दरअसल जिला मुख्यालय के भोला टॉकीज समेत कई रेल क्रॉसिंग पर आरओबी की मांग वर्षों पुरानी है. वैसे हर चुनाव यह सियासी मुद्दा जरूर रहा , लेकिन चुनाव के बाद इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया.

कब कितना मतदान और कितनी वोटिंग : 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान एनडीए उम्मीदवार रामचंद्र पासवान को 5,62, 443 (55.19 ) फीसदी वोट मिले , वहीं कांग्रेस के उपविजेता अशोक कुमार को 3,10,800 (30.5) फीसदी वोट मिले. वहीं नोटा का 35,417 (3.48) फीसदी वोटर ने बटन दबाया. समस्तीपुर सुरक्षित सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या 30,03,346 है , वहीं 2019 में वोट 61.06% वोट हुआ.

2019 में किसको मिला कितना वोट: वैसे 2019 के उपचुनाव के दौरान इस सीट पर विजेता प्रिंस राज को 3,90,276 करीब 49.48 फीसदी वोट मिले. वहीं कांग्रेस नेता डॉ अशोक कुमार 2,88,186 करीब 36.54 फीसदी.

जीत को लेकर दलों के दावे: वैसे वर्तमान चुनाव इस सीट पर ताल ठोक रही तमाम दल व उसके सहयोगी अपनी-अपनी जीत का दम जरूर भर रहे. वहीं अगर जनता की नब्ज टटोले तो , वर्तमान सांसद मतदाताओं के उम्मीद पर खरे नहीं उतरे. वैसे देश के कई हिस्सों की तरह , इस सीट पर भी पीएम मोदी की लहर दिख रही है. इसका फायदा एनडीए को मिल सकता है.

'हमारे साथ है आम जनता'- RJD: कांग्रेस का दावा है कि दोनों लोकसभा सीट उजियारपुर और समस्तीपुर से एक सीट उनके खाते में आना तय है. वहीं आरजेडी का दावा है कि इस इंडिया की जीत होगी. राजद के प्रदेश महासचिव ने कहा कि "लोकतंत्र खतरे में है. मुझे खुशी है कि अबकी बार नीतीश कुमार गच्चा खा गए हैं. हमारी पार्टी और इंडिया को आम जनता, गरीबों. किसानों, महिलाओं, सवर्णों का वोट मिलेगा. आरजेडी बहुत बड़ी पार्टी है, इसका कोई जुड़वा नहीं है. इसको ना बीजेपी ना नीतीश तोड़ पाए."

"जो मैदान में हैं वो तो जीत का दावा करेंगे ही. हमारे प्रिंस राज यहां के स्थानीय सांसद हैं. उन्होंने यहां विकास की गंगा बहायी है. गांव-गांव को जोड़ने का काम किया है. सदन में आवाज उठाकर पुल बनाने के प्रस्ताव को पास कराया है. कई सड़कों को जो मुख्यालय से जुड़ती हैं, उनको बनवाया है. प्रिंस राज का मुद्दा सबका साथ सबका विकास है. वो भारी मतों से एक बार फिर जीतेंगे."- उमाशंकर मिश्र, जिला मीडिया प्रभारी, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी

"हमारी तैयारी एक साल से चल रही है. बूथ कमेटी बन रहा है. कई सड़कें बनवायी गई हैं जिनका उद्घाटन होना है. हम कार्यकर्ताओं, जनता और पीएम मोदी की बदौलत दोनों समस्तीपुर और उजियारपुर लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करेंगे. प्रिंस राज जी का 2019 में चौथा चुनाव था जिसमें वो लड़ कर सांसद बने."- विनय कुमार चौधरी, जिला अध्यक्ष, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी

'बाहरी प्रत्याशी का करेंगे बहिष्कार': वहीं मतदाताओं का कहना है कि समस्तीपुर की दोनों लोकसभा सीटों पर बाहरी प्रत्याशी का कब्जा रहा है. इस बार विकास को ध्यान में रखकर वोट दिया जाएगा. अधिवक्ता बृजनंदन राय ने कहा कि चुनाव आते-आते राजनीतिक दलों का गठबंधन हो जाता है. वार्ड पार्षद 19 के शंभू राय ने कहा कि हमें लोकल उम्मीदवार चाहिए. बाहरी का बहिष्कार किया जाएगा. प्रिंस राज के काम से हम संतुष्ट नहीं है. उनका पांच साल में हम एक बार चेहरा देखते हैं.

"हमें क्षेत्रीय उम्मीदवार चाहिए. दोनों लोकसभा में ऐसे ही उम्मीद है. वर्तमान सांसद के कामों से हम खुश नहीं है. उन्होंने जो भी वादा किया वो पूरा नहीं हो सका है."- स्थानीय निवासी

"मूलभूत समस्याओं के आधार पर वोट करना चाहिए. जनता को घर का प्रत्याशी चाहिए जो बिना कहे आपकी परेशानी को समझे. चुनाव में बाहर-बाहर से कैंडिडेट फेंका जाता है. ये हमारे पिछड़ेपन का सबसे बड़ा कारण है."- भुवनेश्वर राम, एससी एसटी संगठन के जिला अध्यक्ष

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Last Updated : Apr 18, 2024, 4:05 PM IST
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