चंडीगढ़: हरियाणा में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी पार्टियां जनता के दरबार में दस्तक दे रही हैं. वोट मांगने के लिए नेता लोगों के बीच पहुंच रहे हैं, लेकिन इस सबके बीच में हरियाणा में किसानों की तरफ से अपना विरोध भी दर्ज किया जा रहा है. इस विरोध का सामना खासतौर पर बीजेपी और जननायक जनता पार्टी के नेताओं को करना पड़ रहा है.
किसानों के विरोध का BJP-JJP पर कितना असर?: हरियाणा में मुख्यमंत्री से लेकर बीजेपी के लोकसभा उम्मीदवारों को भी इस विरोध का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, जननायक जनता पार्टी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को भी लोगों विरोध का सामना करना पड़ रहा है. खासतौर से किसान नेता इनका (बीजेपी और जेजेपी) विरोध करते दिखाई दे रहे हैं. जिससे सवाल यह उठता है कि क्या किसानों के इस विरोध का बीजेपी और जेजेपी को लोकसभा चुनाव में नुकसान होगा?
सरकार और किसानों के बीच बातचीत: इस सवाल के जवाब में राजनीतिक मामलों के जान का धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि पहले भी एक बड़ा किसान आंदोलन हुआ, जो करीब एक साल चला. किसान आंदोलन के चलते केंद्र सरकार को तीन कृषि कानून को वापस लेना पड़ा. वहीं, उसके बाद किसानों के साथ बातचीत के बाद वह आंदोलन समाप्त हुआ, लेकिन जो वादे सरकार ने किए थे वह पूरे नहीं हुए तो फिर से किसानों ने आंदोलन की राह पकड़ी. हालांकि केंद्र सरकार ने उनसे बातचीत भी की, लेकिन कोई रास्ता नहीं निकला.
चुनावी माहौल में आवाज बुलंद करने में जुटे किसान: आचार संहिता के बाद अब किसान अपना विरोध दर्ज करने के लिए बीजेपी और जेजेपी के नेताओं का हरियाणा और पंजाब में विरोध कर रहे हैं. वे कहते हैं कि किसानों के विरोध का बीजेपी और जेजेपी पर कितना वोटों के हिसाब से असर पड़ेगा, इसका आकलन तो चुनावों के नतीजों के बाद ही साफ हो पाएगा. लेकिन, किसान नेता इस माहौल को बनाकर कहीं न कहीं अपने मुद्दों के समाधान न होने के खिलाफ तो अपनी आवाज बुलंद कर ही रहे हैं.
हरियाणा और पंजाब में असर: राजनीतिक विश्लेषक के अनुसार, लोकसभा चुनाव में किसानों के विरोध का हरियाणा और पंजाब में तो कुछ न कुछ असर जरूर देखने को मिलेगा. हो सकता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बीजेपी को इस विरोध की वजह से वोटों का नुकसान उठाना पड़े. वहीं, इससे कहीं न कहीं लोगों के बीच भी बीजेपी विरोधी माहौल बन सकता है. हालांकि वे कहते हैं कि चुनावों के दौरान इस तरह के विरोध से बीजेपी और जेजेपी के नेता भी चिंतित दिखाई दे रहे हैं. इस बात का पता बीजेपी और जेजेपी के नेताओं के बयानों से भी चलता है.
BJP-JJP के लिए चिंता का विषय: वहीं, इस सवाल के जवाब में वरिष्ठ पत्रकार राजेश मोदगिल कहते हैं कि किसानों के विरोध का चुनावों में बीजेपी और जेजेपी पर शायद ज्यादा न पड़े. हालांकि वे कहते हैं कि इसका सही आकलन तो चुनावों के बाद ही हो पाएगा. लेकिन, इस तरह से किसानों के द्वारा दोनों दलों का विरोध पार्टी के नेताओं के लिए चिंता का विषय तो जरूर है.
चुनाव नजदीक आने पर स्थिति का आकलन: राजेश मोदगिल कहते हैं कि जो किसान विरोध कर रहे हैं, उनकी तादाद तो अब ज्यादा दिखाई नहीं दे रही है. जिस तरह से किसान नेता बीजेपी और जेजेपी का विरोध कर रहे हैं. वहीं, कहीं न कहीं उनकी जो मांगें पूरी नहीं हुई उनको उठाकर किसानों के बीच उन मुद्दों को जिंदा रखने का भी प्रयास जरूर कर रहे हैं. हालांकि चुनावों में इन दोनों दलों के वोट बैंक पर इसका कितना असर पड़ेगा, इसके लिए जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जाएंगे. वैसे-वैसे जमीनी स्तर पर उसकी तस्वीर भी साफ होती जाएगी.
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