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उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों के बड़े शहरों की लोड कैपेसिटी का होगा आंकलन, 12 कंपनियां सूचीबद्ध, जानिये कब शुरू होगा काम

load capacity of hill cities,load capacity estimation, Uttarakhand hilly areas load capacity ​ ​ जोशीमठ भू धंसाव के बाद पहाड़ी क्षेत्रों में लोड कैपेसिटी और केयरिंग कैपेसिटी पर जोर दिया जा रहा है. इसी कड़ी में गढ़वाल के 11 और कुमाऊं मंडल के 5 बड़े शहरों की भार क्षमता आंकलन किया जाना है. जिसके लिए 12 कंपनियों को सूचीबद्ध किया है. यह कार्य अगले माह से शुरू कर दिया जाएगा.

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उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों के बड़े शहरों की लोड कैपेसिटी का होगा आंकलन
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 22, 2024, 9:44 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड में जोशमठ भू धंसाव प्रकरण के बाद अब सरकार पर्वतीय शहरों की लोड केपेसिटी को लेकर बेहद गंभीर है. इसी क्रम में उत्तराखंड लेंडस्लाइड एंड मिटीगेशन सेंटर अब एक्शन में आ गया है. उत्तराखंड लेंडस्लाइड एंड मिटीगेशन सेंटर ने राज्य के 15 बड़े शहरों में लोड केपेसिटी को लेकर काम शुरू कर दिया है.

उत्तराखंड में पिछले साल जनवरी माह में भारी भू धंसाव ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा. इन्वेस्टिगेशन में सामने आया पहाड़ के छोटे छोटे शहरों में पिछले कुछ दशकों में बेतरतीब तरीके से अव्यवस्थित तरीके से निर्माण हुए हैं. पिछले कुछ सालों में पहाड़ों में क्षमता से ज्यादा लोगों के आवागमन और निर्माण कार्य हुआ. पहाड़ के इन छोटे शहरों की लोड केपेसिट और केयरिंग कैपेसिटी का ध्यान नहीं रखा गया. जोशीमठ प्रकरण के बाद उत्तराखंड सरकार ने राज्य आपदा प्रबंधन को उत्तराखंड के तमाम ऐसे छोटे पर्वतीय शहरों की भार क्षमता और वहन क्षमता को लेकर सर्वे करवाने के निर्देश दिए हैं.

पिछले साल जोशीमठ में हुए भू धंसाव प्रकरण की तमाम तकनीकी एजेंसियों की जांच के बाद बेतरतीफ तरीके से पहाड़ी कस्बों में भार क्षमता के आंकलन को लेकर सरकार के स्तर से मिले निर्देशों के बाद उत्तराखंड लैंडस्लाइड और मिटिगेशन सेंटर ने गढ़वाल के 11 और कुमाऊं के 4 ऐसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण शहरों की लिस्ट बनाई है. जहां पर सबसे पहले लोड कैपेसिटी और केयरिंग कैपेसिटी को लेकर के सर्वे किया जाएगा. उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने पहले चरण में 15 शहरों में भार क्षमता और वहन क्षमता आकलन की प्रक्रिया शुरू की है. उत्तराखंड लैंडस्लाइड मिटीगेशन सेंटर ने देश भर के की 12 ऐसी फर्मों को सूचीबद्ध किया है जो की पहले चरण में उत्तराखंड के इन 15 बेहद महत्वपूर्ण हिल स्टेशन में जियोलॉजिकल जियोटेक्निकल और जो फिजिकल के साथ-साथ स्लोप स्टेबलाइजेशन का इन्वेस्टिगेशन कर सर्वे भी करेंगे.

जोशीमठ में आई आपदा के बाद जोशीमठ में भार क्षमता का अध्यन किया गया. इन्वेस्टिगेशन में सामने आया कि जोशीमठ में मकान बनाने की भार क्षमता 1टन की है. यानी ग्राउंड फ्लोर प्लस वन का मकान ही जोशीमठ की भार क्षमता के अनुसार अनुमन्य है. इसी तरह से उत्तराखंड लैंडस्लाइड और मिटिगेशन सेंटर के डायरेक्टर डॉ शांतनु सरकार ने बताया अगले चरण में गढ़वाल मंडल के 11 शहर जिसमें जोशीमठ सहित गोपेश्वर, कर्णप्रयाग, श्रीनगर, देवप्रयाग, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, मसूरी, नई टिहरी और उत्तरकाशी शामिल हैं. कुमाऊं मंडल से धारचूला, नैनीताल, चंपावत और अल्मोड़ा शहरों में लोड कैपेसिटी यानी भवन इत्यादि के निर्माण क्षमता के अलावा केयरिंग कैपेसिटी का आकलन किया जाएगा. यह कार्य अगले माह से शुरू कर दिया जाएगा.

पढ़ें- जोशीमठ में 1200 मकानों को खतरा! आपदा प्रभावित नहीं छोड़ना चाहते अपना पैतृक घर, काटे जा रहे कनेक्शन

पढे़ं- CBRI रुड़की ने शासन को सौंपी जोशीमठ भूधंसाव की रिपोर्ट, 1200 घर अभी भी हाई रिस्क जोन में

देहरादून: उत्तराखंड में जोशमठ भू धंसाव प्रकरण के बाद अब सरकार पर्वतीय शहरों की लोड केपेसिटी को लेकर बेहद गंभीर है. इसी क्रम में उत्तराखंड लेंडस्लाइड एंड मिटीगेशन सेंटर अब एक्शन में आ गया है. उत्तराखंड लेंडस्लाइड एंड मिटीगेशन सेंटर ने राज्य के 15 बड़े शहरों में लोड केपेसिटी को लेकर काम शुरू कर दिया है.

उत्तराखंड में पिछले साल जनवरी माह में भारी भू धंसाव ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा. इन्वेस्टिगेशन में सामने आया पहाड़ के छोटे छोटे शहरों में पिछले कुछ दशकों में बेतरतीब तरीके से अव्यवस्थित तरीके से निर्माण हुए हैं. पिछले कुछ सालों में पहाड़ों में क्षमता से ज्यादा लोगों के आवागमन और निर्माण कार्य हुआ. पहाड़ के इन छोटे शहरों की लोड केपेसिट और केयरिंग कैपेसिटी का ध्यान नहीं रखा गया. जोशीमठ प्रकरण के बाद उत्तराखंड सरकार ने राज्य आपदा प्रबंधन को उत्तराखंड के तमाम ऐसे छोटे पर्वतीय शहरों की भार क्षमता और वहन क्षमता को लेकर सर्वे करवाने के निर्देश दिए हैं.

पिछले साल जोशीमठ में हुए भू धंसाव प्रकरण की तमाम तकनीकी एजेंसियों की जांच के बाद बेतरतीफ तरीके से पहाड़ी कस्बों में भार क्षमता के आंकलन को लेकर सरकार के स्तर से मिले निर्देशों के बाद उत्तराखंड लैंडस्लाइड और मिटिगेशन सेंटर ने गढ़वाल के 11 और कुमाऊं के 4 ऐसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण शहरों की लिस्ट बनाई है. जहां पर सबसे पहले लोड कैपेसिटी और केयरिंग कैपेसिटी को लेकर के सर्वे किया जाएगा. उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने पहले चरण में 15 शहरों में भार क्षमता और वहन क्षमता आकलन की प्रक्रिया शुरू की है. उत्तराखंड लैंडस्लाइड मिटीगेशन सेंटर ने देश भर के की 12 ऐसी फर्मों को सूचीबद्ध किया है जो की पहले चरण में उत्तराखंड के इन 15 बेहद महत्वपूर्ण हिल स्टेशन में जियोलॉजिकल जियोटेक्निकल और जो फिजिकल के साथ-साथ स्लोप स्टेबलाइजेशन का इन्वेस्टिगेशन कर सर्वे भी करेंगे.

जोशीमठ में आई आपदा के बाद जोशीमठ में भार क्षमता का अध्यन किया गया. इन्वेस्टिगेशन में सामने आया कि जोशीमठ में मकान बनाने की भार क्षमता 1टन की है. यानी ग्राउंड फ्लोर प्लस वन का मकान ही जोशीमठ की भार क्षमता के अनुसार अनुमन्य है. इसी तरह से उत्तराखंड लैंडस्लाइड और मिटिगेशन सेंटर के डायरेक्टर डॉ शांतनु सरकार ने बताया अगले चरण में गढ़वाल मंडल के 11 शहर जिसमें जोशीमठ सहित गोपेश्वर, कर्णप्रयाग, श्रीनगर, देवप्रयाग, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, मसूरी, नई टिहरी और उत्तरकाशी शामिल हैं. कुमाऊं मंडल से धारचूला, नैनीताल, चंपावत और अल्मोड़ा शहरों में लोड कैपेसिटी यानी भवन इत्यादि के निर्माण क्षमता के अलावा केयरिंग कैपेसिटी का आकलन किया जाएगा. यह कार्य अगले माह से शुरू कर दिया जाएगा.

पढ़ें- जोशीमठ में 1200 मकानों को खतरा! आपदा प्रभावित नहीं छोड़ना चाहते अपना पैतृक घर, काटे जा रहे कनेक्शन

पढे़ं- CBRI रुड़की ने शासन को सौंपी जोशीमठ भूधंसाव की रिपोर्ट, 1200 घर अभी भी हाई रिस्क जोन में

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