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ED की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली CM केजरीवाल की याचिका पर शुक्रवार को फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट - LIQUOR POLICY CASE

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 11, 2024, 10:43 PM IST

DELHI LIQUOR SCAM: दिल्ली के कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में CM अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को फैसला सुनाएगा आइए जानते हैं कोर्ट ने इसे लेकर क्या कहा है..

मुख्यमंत्री की याचिका पर फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट
मुख्यमंत्री की याचिका पर फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट (ETV BHARAT)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उस याचिका पर अपना फैसला सुनाएगा, जिसमें उन्होंने शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की गिरफ्तारी को चुनौती दी है. 17 मई को न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने केजरीवाल का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी और ED (प्रवर्तन निदेशालय) का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

फैसला सुरक्षित रखने के बाद पीठ ने केजरीवाल को जमानत के लिए निचली अदालत में जाने की छूट दी थी. पीठ ने कहा कि इसके बावजूद अधिकारों और विवादों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, अपीलकर्ता कानून के अनुसार जमानत देने के लिए ट्रायल कोर्ट में जा सकता है. पीठ ने 30 अक्टूबर, 2023 के बाद दर्ज की गई केस फाइलों, गवाहों और आरोपियों के बयानों की जांच की, जिस दिन वरिष्ठ AAP नेता मनीष सिसोदिया (जो इस मामले में आरोपी हैं) की जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी. सिसोदिया कथित घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग दोनों मामलों में आरोपी हैं.

सुनवाई के दौरान ईडी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह ट्रायल कोर्ट के समक्ष दिल्ली शराब नीति मामले में एक और आरोप पत्र दाखिल करेगा, जहां वह 'आप' को आरोपी के रूप में नामित करेगा. एसवी राजू ने तर्क दिया कि हवाला चैनलों के माध्यम से 'आप' को पैसा भेजे जाने के सबूत हैं. इस पर पीठ ने सवाल किया कि क्या गिरफ्तारी के लिए लिखित रूप में दर्ज "विश्वास करने के कारणों" में इसका उल्लेख किया गया था.

जवाब में ईडी के वकील ने एसवी राजू ने कहा कि इन पहलुओं को "विश्वास करने के कारणों" में बताने की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर गिरफ्तारी से पहले आरोपी को सामग्री पेश की जाती है तो इससे जांच में बाधा आ सकती है. धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 19 की पृष्ठभूमि में पीठ ने एसवी राजू से सवाल किया कि यह कहने के लिए कि आरोपी दोषी है, जांच अधिकारी के पास भौतिक कब्जे के आधार पर विश्वास करने का कारण होना चाहिए.

यह भी पढ़ें- CM केजरीवाल बोले- जमानत रद्द करना न्याय के साथ खिलवाड़ है..., अगली सुनवाई 15 जुलाई को

वहीं, हवाला लेनदेन के संबंध में ED के दावे की पृष्ठभूमि में केजरीवाल के वकील सिंघवी ने दलील दी कि गिरफ्तारी के आधार पर रत्ती भर भी सामग्री नहीं है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केंद्रीय एजेंसी ने गवाहों के नौ दोषारोपणात्मक बयानों को नजरअंदाज करते हुए एक दोषसिद्धि वाले बयान को महत्व दिया. गौरतलब है कि 21 मार्च को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल को गिरफ्तार किया था. इसके बाद शीर्ष अदालत ने उन्हें 10 मई को लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी. हालांकि अदालत ने उन्हें 2 जून को आत्मसमर्पण करने और वापस जेल जाने का निर्देश भी दिया गया था.

यह भी पढ़ें- CM केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार की जमानत याचिका पर फैसला 12 जुलाई को

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उस याचिका पर अपना फैसला सुनाएगा, जिसमें उन्होंने शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की गिरफ्तारी को चुनौती दी है. 17 मई को न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने केजरीवाल का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी और ED (प्रवर्तन निदेशालय) का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

फैसला सुरक्षित रखने के बाद पीठ ने केजरीवाल को जमानत के लिए निचली अदालत में जाने की छूट दी थी. पीठ ने कहा कि इसके बावजूद अधिकारों और विवादों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, अपीलकर्ता कानून के अनुसार जमानत देने के लिए ट्रायल कोर्ट में जा सकता है. पीठ ने 30 अक्टूबर, 2023 के बाद दर्ज की गई केस फाइलों, गवाहों और आरोपियों के बयानों की जांच की, जिस दिन वरिष्ठ AAP नेता मनीष सिसोदिया (जो इस मामले में आरोपी हैं) की जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी. सिसोदिया कथित घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग दोनों मामलों में आरोपी हैं.

सुनवाई के दौरान ईडी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह ट्रायल कोर्ट के समक्ष दिल्ली शराब नीति मामले में एक और आरोप पत्र दाखिल करेगा, जहां वह 'आप' को आरोपी के रूप में नामित करेगा. एसवी राजू ने तर्क दिया कि हवाला चैनलों के माध्यम से 'आप' को पैसा भेजे जाने के सबूत हैं. इस पर पीठ ने सवाल किया कि क्या गिरफ्तारी के लिए लिखित रूप में दर्ज "विश्वास करने के कारणों" में इसका उल्लेख किया गया था.

जवाब में ईडी के वकील ने एसवी राजू ने कहा कि इन पहलुओं को "विश्वास करने के कारणों" में बताने की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर गिरफ्तारी से पहले आरोपी को सामग्री पेश की जाती है तो इससे जांच में बाधा आ सकती है. धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 19 की पृष्ठभूमि में पीठ ने एसवी राजू से सवाल किया कि यह कहने के लिए कि आरोपी दोषी है, जांच अधिकारी के पास भौतिक कब्जे के आधार पर विश्वास करने का कारण होना चाहिए.

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वहीं, हवाला लेनदेन के संबंध में ED के दावे की पृष्ठभूमि में केजरीवाल के वकील सिंघवी ने दलील दी कि गिरफ्तारी के आधार पर रत्ती भर भी सामग्री नहीं है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केंद्रीय एजेंसी ने गवाहों के नौ दोषारोपणात्मक बयानों को नजरअंदाज करते हुए एक दोषसिद्धि वाले बयान को महत्व दिया. गौरतलब है कि 21 मार्च को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल को गिरफ्तार किया था. इसके बाद शीर्ष अदालत ने उन्हें 10 मई को लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी. हालांकि अदालत ने उन्हें 2 जून को आत्मसमर्पण करने और वापस जेल जाने का निर्देश भी दिया गया था.

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