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स्वतंत्रता दिवस के पहले दिल्ली में सजा मुगलकालीन लाल कुआं पतंग बाजार, बुलडोजर पतंग की ज्यादा डिमांड - Lal Kuan Kite Market in Delhi

Lal Kuan Kite Market in Delhi: दिल्ली के सभी बाजार, अपनी किसी खास चीजों के लिए जाने जाते हैं. इन्हीं में से एक है लाल कुआं पतंग बाजार, जहां स्वतंत्रता दिवस के पहले बाजार सज गया है. आइए जानते हैं इस बार खास क्या है..

सजा लाल कुआं पतंग बाजार
सजा लाल कुआं पतंग बाजार (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 31, 2024, 3:20 PM IST

Updated : Jul 31, 2024, 3:31 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी में आज भी पतंग चढ़ाने के शौकीन लोग हैं, जिसका जीता जागता उदाहरण है यहां का लाल कुआं पतंग बाजार. यहां से न सिर्फ दिल्ली, बल्कि अन्य जगहों पर भी पतंग की सप्लाई होती है. स्वतंत्रता दिवस से पहले हर साल की तरह इस बार भी बाजार में रौनक बढ़ गई है. 100 साल से भी ज्यादा पुराना यह बाजार, इन दिनों पतंगों और सूती डोर से सज चुका है.

लाल कुआं पतंग बाजार के प्रधान सचिन गुप्ता ने बताया कि उनकी चौथी पीढ़ी अब दुकान संभाल रही है. दिल्ली वालों के अंदर अब पतंगबाजी का शौक कम होता नजर आ रहा है. एक जमाना था, जब 4-5 महीने पहले से पतंग की थोक बिक्री शुरू हो जाती थी, लेकिन कोरोना काल के बाद मात्र डेढ़ महीने ही पतंग की सेल होती है. यहां से देशभर में पतंगों की सप्लाई होती है.

उन्होंने बताया कि इस बार मार्केट में कई नई डिजाइन की पतंग आई हैं, जिसमें तिरंगा से लेकर कार्टून कैरेक्टर वाली पतंग शामिल है. सबसे ज्यादा बुलडोजर बाबा वाली पतंग डिमांड में है. इसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो के संग बुलडोजर छपा हुआ है. पिछले वर्ष भी मोदी और योगी की फोटो पतंग पर छापी गई थी, लेकिन इस बार बुलडोजर की फोटो ने इसकी डिमांड बढ़ा दी है.

कागज की पतंग की मांग ज्यादा: सचिन ने बताया कि बाजार में दो तरह की पतंगे आती है, पॉलिथीन और कागज से बनी पतंग. जिन लोगों के घर में छोटे बच्चे होते हैं वह पॉलीथीन की पतंग खरीदना पसंद करते हैं, क्योंकि वह जल्दी फटती नहीं हैं. वहीं, आखिरी दिनों में कागज की पतंग की मांग बढ़ जाती है. कागज की पतंग हल्की होती है, इसलिए वह ऊंची उड़ती है.

4 फुट की पतंग: हर वर्ष मांग के मुताबिक, पतंगों का रंग, आकार और साइज बदल जाता है. सचिन ने बताया कि इस बार बाजार में सबसे बड़ी पतंग की लंबाई 4 फुट है. सबसे छोटी पतंगा हथेली से भी छोटी होती है. छोटी पतंग का इस्तेमाल सजावट के लिए किया जाता है, जिसे 15 अगस्त के कार्यक्रम स्थलों को सजाने के काम में भी लाया जाता है. इसके अलावा बड़ी पतंगों को लोग शौकिया तौर पर उड़ाना पसंद करते हैं. इसका वजन सामान्य पतंग से ज्यादा होता है, इसके इसे उड़ा थोड़ा मुश्किल होता है.

पतंग की कीमत: लाल कुंआ बाजार में आज भी पतंगों की कीमत एक रुपये से शुरू हो जाती है. वहीं, रिटेल बाज़ारों में इसे तीन से पांच रुपए में बेचा जाता है. इसके अलावा थोक बाजार में कागज की 350 रुपये सैकड़े तक है.

इन समय उड़ाई जाती है पतंग: भारत में विभिन्न त्योहारों पर पतंग उड़ाई जाती है. सचिन ने बताया कि दिल्ली में तो सालों से लोग 15 अगस्त के दिन पतंग उड़ाते आए हैं. ऐसा तब शुरू हुआ जब देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पहली बार 15 अगस्त 1947 को लाल किले से आजादी के जश्न के दौरान पतंग और कबूतरों को उड़ाया था. वहीं, हरियाणा में तीज के पर्व पर, गाजियाबाद में रक्षाबंधन और गुजरात में करीब-करीब हर शुभ पर्व या कार्यक्रम में पतंगबाजी की जाती है.

बाजार का इतिहास: चांदनी चौक के फतेहपुरी मस्जिद के नजदीक बसा पतंगों का लाल कुंआ बाजार, मुगल कालीन बाजार है. वर्तमान में बाजार में पांच से छह दुकानें ऐसी हैं, जहां साल के 365 दिन पतंग की बिक्री होती है. वहीं 15 अगस्त के नजदीक आते आते बाजार में अन्य राज्यों से भी छोटे दुकानदार आ कर पतंगों की बिक्री करते हैं.

कैसे पहुंचे: यहां पर पहुंचने के लिए आपको येलो मेट्रो लाइन से 'चावड़ी बाजार' मेट्रो स्टेशन पर उतरना होगा. यहां से 400 मीटर की दूरी पर लाल कुआं बाजार है. यह बाजार केवल रविवार के दिन बंद रहता है. बाकी किसी भी दिन आप यहां सुबह 10:00 बजे से लेकर रात 8:00 बजे के बीच में खरीदारी कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें- ट्रंप हमले से सबक!, 15 अगस्त को लाल किले पर तैनात होंगे स्नाइपर्स, स्पेशल ऐप से पहचाने जाएंगे लोग

नई दिल्ली: राजधानी में आज भी पतंग चढ़ाने के शौकीन लोग हैं, जिसका जीता जागता उदाहरण है यहां का लाल कुआं पतंग बाजार. यहां से न सिर्फ दिल्ली, बल्कि अन्य जगहों पर भी पतंग की सप्लाई होती है. स्वतंत्रता दिवस से पहले हर साल की तरह इस बार भी बाजार में रौनक बढ़ गई है. 100 साल से भी ज्यादा पुराना यह बाजार, इन दिनों पतंगों और सूती डोर से सज चुका है.

लाल कुआं पतंग बाजार के प्रधान सचिन गुप्ता ने बताया कि उनकी चौथी पीढ़ी अब दुकान संभाल रही है. दिल्ली वालों के अंदर अब पतंगबाजी का शौक कम होता नजर आ रहा है. एक जमाना था, जब 4-5 महीने पहले से पतंग की थोक बिक्री शुरू हो जाती थी, लेकिन कोरोना काल के बाद मात्र डेढ़ महीने ही पतंग की सेल होती है. यहां से देशभर में पतंगों की सप्लाई होती है.

उन्होंने बताया कि इस बार मार्केट में कई नई डिजाइन की पतंग आई हैं, जिसमें तिरंगा से लेकर कार्टून कैरेक्टर वाली पतंग शामिल है. सबसे ज्यादा बुलडोजर बाबा वाली पतंग डिमांड में है. इसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो के संग बुलडोजर छपा हुआ है. पिछले वर्ष भी मोदी और योगी की फोटो पतंग पर छापी गई थी, लेकिन इस बार बुलडोजर की फोटो ने इसकी डिमांड बढ़ा दी है.

कागज की पतंग की मांग ज्यादा: सचिन ने बताया कि बाजार में दो तरह की पतंगे आती है, पॉलिथीन और कागज से बनी पतंग. जिन लोगों के घर में छोटे बच्चे होते हैं वह पॉलीथीन की पतंग खरीदना पसंद करते हैं, क्योंकि वह जल्दी फटती नहीं हैं. वहीं, आखिरी दिनों में कागज की पतंग की मांग बढ़ जाती है. कागज की पतंग हल्की होती है, इसलिए वह ऊंची उड़ती है.

4 फुट की पतंग: हर वर्ष मांग के मुताबिक, पतंगों का रंग, आकार और साइज बदल जाता है. सचिन ने बताया कि इस बार बाजार में सबसे बड़ी पतंग की लंबाई 4 फुट है. सबसे छोटी पतंगा हथेली से भी छोटी होती है. छोटी पतंग का इस्तेमाल सजावट के लिए किया जाता है, जिसे 15 अगस्त के कार्यक्रम स्थलों को सजाने के काम में भी लाया जाता है. इसके अलावा बड़ी पतंगों को लोग शौकिया तौर पर उड़ाना पसंद करते हैं. इसका वजन सामान्य पतंग से ज्यादा होता है, इसके इसे उड़ा थोड़ा मुश्किल होता है.

पतंग की कीमत: लाल कुंआ बाजार में आज भी पतंगों की कीमत एक रुपये से शुरू हो जाती है. वहीं, रिटेल बाज़ारों में इसे तीन से पांच रुपए में बेचा जाता है. इसके अलावा थोक बाजार में कागज की 350 रुपये सैकड़े तक है.

इन समय उड़ाई जाती है पतंग: भारत में विभिन्न त्योहारों पर पतंग उड़ाई जाती है. सचिन ने बताया कि दिल्ली में तो सालों से लोग 15 अगस्त के दिन पतंग उड़ाते आए हैं. ऐसा तब शुरू हुआ जब देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पहली बार 15 अगस्त 1947 को लाल किले से आजादी के जश्न के दौरान पतंग और कबूतरों को उड़ाया था. वहीं, हरियाणा में तीज के पर्व पर, गाजियाबाद में रक्षाबंधन और गुजरात में करीब-करीब हर शुभ पर्व या कार्यक्रम में पतंगबाजी की जाती है.

बाजार का इतिहास: चांदनी चौक के फतेहपुरी मस्जिद के नजदीक बसा पतंगों का लाल कुंआ बाजार, मुगल कालीन बाजार है. वर्तमान में बाजार में पांच से छह दुकानें ऐसी हैं, जहां साल के 365 दिन पतंग की बिक्री होती है. वहीं 15 अगस्त के नजदीक आते आते बाजार में अन्य राज्यों से भी छोटे दुकानदार आ कर पतंगों की बिक्री करते हैं.

कैसे पहुंचे: यहां पर पहुंचने के लिए आपको येलो मेट्रो लाइन से 'चावड़ी बाजार' मेट्रो स्टेशन पर उतरना होगा. यहां से 400 मीटर की दूरी पर लाल कुआं बाजार है. यह बाजार केवल रविवार के दिन बंद रहता है. बाकी किसी भी दिन आप यहां सुबह 10:00 बजे से लेकर रात 8:00 बजे के बीच में खरीदारी कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें- ट्रंप हमले से सबक!, 15 अगस्त को लाल किले पर तैनात होंगे स्नाइपर्स, स्पेशल ऐप से पहचाने जाएंगे लोग

Last Updated : Jul 31, 2024, 3:31 PM IST
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