नई दिल्ली: वर्ष 2024 दिल्ली के परिवहन क्षेत्र के लिए विभिन्न बदलावों और चुनौतियों से भरा रहा. इस साल राजधानी की सड़कों पर इलेक्ट्रिक बसों का बढ़ता दायरा, दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के कर्मचारियों के विरोध, बसों का संचालन बंद होना, पिंक डिपो की शुरुआत, और दिल्ली के परिवहन मंत्री का इस्तीफा देना जैसे महत्वपूर्ण घटनाएं शामिल हैं.
इलेक्ट्रिक बसों की बढ़ती संख्या: दिल्ली सरकार ने 2025 के अंत तक 10,480 बसें चलाने का लक्ष्य रखा है, जिसमें 80 प्रतिशत इलेक्ट्रिक बसें होंगी. हालांकि, इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अगले एक साल में 8,000 से अधिक नई इलेक्ट्रिक बसों का दिल्ली में शामिल किया जाना आवश्यक है. वर्तमान में, दिल्ली की सड़कों पर 7,454 बसें चल रही हैं, जिनमें से 2,002 इलेक्ट्रिक हैं, जबकि शेष 5,452 सीएनजी बसें हैं.
डीटीसी और दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी मॉडल ट्रांजिट सिस्टम (डिम्ट्स) इन बसों का संचालन करते हैं. वर्तमान में, डीटीसी के पास 4,307 बसें हैं, जिनमें से 1,602 इलेक्ट्रिक हैं. वहीं, डिम्ट्स के पास 3,147 बसें हैं, जिनमें 400 इलेक्ट्रिक बसें शामिल हैं.
सीएनजी बसों की समस्याएं: राष्ट्रीय राजधानी में सीएनजी बसों की उम्र 12 साल या 7.5 लाख किलोमीटर की सीमा तक होती है. इस साल कई सीएनजी बसें अपनी आयु पूरी कर चुकी हैं, जिसके कारण उन्हें बेड़े से हटाना पड़ा है. कुछ पुरानी बसों को विशेष अनुमति के तहत 2025 तक चलने दिया गया है, लेकिन ये बसें अक्सर खराब हो जाती हैं, जिससे यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ता है. रोजाना 100 से अधिक बसें दिल्ली की सड़कों पर खराब होती हैं, जो एक गंभीर समस्या है.
2024 में दिल्ली के परिवहन क्षेत्र में मुख्य घटनाएं: 2024 में दिल्ली के परिवहन क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं. 20 जनवरी को 500 नई इलेक्ट्रिक बसें राजधानी की सड़कों पर उतारी गईं. इसके बाद 14 फरवरी को 320 इलेक्ट्रिक बसों को हरी झंडी दिखाई गई, फिर 30 जुलाई को भी 320 इलेक्ट्रिक बसों को दिल्ली के बेड़े में शामिल किया गया. इस प्रकार, 2024 में कुल 1,100 से अधिक इलेक्ट्रिक बसें दिल्ली में आईं. इसके अलावा, कुछ मोहल्ला बसें भी चलाई जा रही हैं. हालांकि, इलेक्ट्रिक बसों की निर्माण करने वाली कंपनियों को भुगतान न होने के कारण, कई डिपो पर कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला, जिसके कारण अक्टूबर और नवंबर में इलेक्ट्रिक बसों का संचालन भी प्रभावित हुआ.
पिंक डिपो की शुरुआत: दिल्ली के सरोजनी में महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा को प्राथमिकता देते हुए 16 नवंबर 2024 को पिंक बस डिपो की स्थापना की गई. यह डिपो खासतौर पर महिलाओं के लिए समर्पित बसों का संचालन करता है. इन बसों में महिला ड्राइवर और कंडक्टर नियुक्त हैं, और सुरक्षा के लिहाज से इसमें सीसीटीवी कैमरे, पैनिक बटन और जीपीएस जैसी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं. पिंक बसें उन मार्गों पर चलती हैं, जहां महिलाओं की आवाजाही अधिक होती है. इस पहल का उद्देश्य महिलाओं को सुरक्षित, सुलभ और आत्मनिर्भर परिवहन सुविधा प्रदान करना है, जो दिल्ली सरकार की महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत का इस्तीफा: 2024 में दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने अपने पद से इस्तीफा देकर आम आदमी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए. इस्तीफे से एक दिन पहले, कैलाश गहलोत ने सरोजनी में पिंक डिपो का उद्घाटन किया था, जहां कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर उनका कड़ा विरोध किया. उनका यह कदम राजनीतिक चर्चाओं का विषय बन गया. दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले उनका आम आदमी पार्टी छोड़ना पार्टी के लिए हानिकारक साबित हो सकता है. गहलोत ने अपने इस्तीफे में कहा कि आम आदमी पार्टी अपने मूल उद्देश्यों से भटक गई है.
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डीटीसी कर्मचारियों की हड़ताल व बसों का संचालन ठप: डीटीसी कर्मचारियों का विरोध 2024 में परिवहन तंत्र के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया. डीटीसी के कर्मचारी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे थे. जब उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो नवंबर में बसों का संचालन ठप कर दिया. इसके बाद मुख्यमंत्री आतिशी ने हस्तक्षेप किया और मांगों को मानने का आश्वासन दिया, जिसके परिणामस्वरूप बसों का संचालन सामान्य हुआ. इलेक्ट्रिक बसों का संचालन संबंधित कंपनियों द्वारा ही किया जा रहा है, और दिल्ली सरकार इन्हें प्रति किलोमीटर की दर से भुगतान करती है. कर्मचारियों ने इसे परिवहन विभाग के निजीकरण का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया.
साल भर जारी रहा बस मार्शलों का संघर्ष: दिल्ली में बसों में सुरक्षा के लिहाज से हजारों की संख्या में बस मार्शलों को लगाया गया था. बीते वर्ष दिसंबर में इन्हें नौकरी से हटा दिया गया. इसके बाद से लगातार प्रदर्शन कर अपनी बहाली की मांग कर रहे हैं. बस मार्शलों का आरोप है कि उनके साथ राजनीति हो रही है. यह मुद्दा भी इस साल गरमाया रहा. पूरे साल बस मार्शलों ने जमकर प्रदर्शन किया.
अब चुनावी मैदान में बस मार्शलः जनहित दल से पार्टी से पांच बस मार्शल दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं. इसमें श्यामो देवी, प्रवीण कुमार, ललित मीणा, आदित्य राय व अनिल कुमार हैं. बस मार्शलों का स्पष्ट कहना है कि वह आम आदमी पार्टी का वोट काटने के लिए चुनाव में खड़े हो रहे हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी राजनीतिक भागीदारी चुनाव परिणामों को कैसे प्रभावित करती है. 2024 में हुए परिवहन क्षेत्र के बदलावों का असर आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव पर भी देखने को मिल सकता है. डीटीसी कर्मचारियों का विरोध, बस मार्शलों का चुनाव में उतरना, और परिवहन मंत्री का इस्तीफा जैसे मुद्दे चुनावी बहस का केंद्र बन सकते हैं.
2025 का लक्ष्य और चुनौतियां: दिल्ली सरकार का 2025 तक 10,480 बसें चलाने का लक्ष्य एक बड़ा और महत्वाकांक्षी कदम है. इसमें 80 प्रतिशत बसें इलेक्ट्रिक होंगी, जो प्रदूषण को कम करने और स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से है. लेकिन इस लक्ष्य के साथ कई चुनौतियां भी हैं.
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