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उत्तराखंड से लाइसेंसी कारतूसों की अन्य राज्यों में हो रही गैरकानूनी सप्लाई! IG गढ़वाल ने लिया बड़ा एक्शन - ILLEGAL SUPPLY OF CARTRIDGES

उत्तराखंड में लाइसेंसी गन हाउस का ऑडिट होगा. आईजी गढ़वाल ने कारतूसों की गैरकानूनी तरीके से बाहर सप्लाई होने पर निर्देश दिए हैं.

ILLEGAL SUPPLY OF CARTRIDGES
उत्तराखंड से लाइसेंसी कारतूसों की अन्य राज्यों में हो रही गैरकानूनी सप्लाई (PHOTO-ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 18, 2025, 4:24 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड से अवैध तरीके से कारतूसों की तस्करी होने संबंधित जानकारी सामने आ रही है. अब एसटीएफ उत्तराखंड और देहरादून पुलिस एसटीएफ मेरठ की ओर से पकड़े गए कारतूसों के जखीरे की जांच करने जा रही है. निजी असलहा धारकों के कारतूस कहां खर्च हो रहे हैं और इनकी खरीद बिक्री कितनी हो रही है, इसकी जांच पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी साथ मिलकर करेंगे. आईजी गढ़वाल ने जांच के आदेश जारी कर दिए हैं.

ये है मामला: दरअसल, 4 फरवरी 2025 को एसटीएफ मेरठ ने दिल्ली हाईवे स्थित ग्रेटर पल्लवपुरम में एक कार से कारतूसों का जखीरा पकड़ा था. यह खेप अंतरराज्यीय तस्कर राशिद अली ले जा रहा था. कार से एसटीएफ ने 12 बोर के मेड इन इटली के 1975 कारतूस बरामद किए थे.

राशिद अली ने पुलिस को बताया था कि कारतूसों की खेप देहरादून के एक नामी शूटिंग स्पोर्ट्स एकेडमी से भेजी गई थी. एसटीएफ द्वारा पूछताछ में राशिद अली ने बताया कि ये रेंज शूटर रहे भाइयों की है और निशानेबाज के भाई ने ही कारतूसों की सप्लाई मेरठ के लिए भेजी थी. मेरठ एसटीएफ ने राशिद अली के बयानों पर अकादमी संचालक और उसके साथी को भी आरोपी बना दिया है.

लाइसेंसी कारतूसों की स्मगलिंग (Video- ETV Bharat)

अब मेरठ पुलिस आगे की जांच कर रही है. इसको लेकर उत्तराखंड पुलिस से भी संपर्क किया गया है और जानकारी साझा की गई है. हालांकि, एकेडमी संचालकों ने इन आरोपों को निराधार बताया है.

2022 में INA और स्पेशल ब्रांच ने की थी कार्रवाई: साल 2022 में दिल्ली में भी एनआईए ने कई हजार कारतूस पकड़े थे. ये कारतूस लाइसेंसी असलहा धारकों के नाम पर खरीदे गए थे. लेकिन बाद में आपराधिक गतिविधियों में इस्तेमाल हो रहे थे. इनमें सिविल बोर (आम जनता) के अलावा सर्विस बोर (फोर्स) के कारतूस भी शामिल थे. इनमें भी देहरादून के एक बंदूक और कारतूस विक्रेता का नाम सामने आया था. दिल्ली स्पेशल ब्रांच ने विक्रेता को अरेस्ट किया था. साथ ही स्थानीय प्रशासन ने उसका गन हाउस बंद कराया था.

कहां खर्च हो रही गोलियां: उत्तराखंड में मौजूदा समय में 56 हजार से ज्यादा लाइसेंसी हथियार धारक हैं. इनके लिए गोलियां भी लाइसेंस पर ही मिलती हैं. हैरानी की बात है कि असलहा धारकों को कोई ब्यौरा नहीं देना पड़ता कि उसने गोलियां कहां खर्च की. एक लाइसेंस पर सालाना 20 से 200 कारतूस तक दिए जाते हैं. लेकिन मौजूदा समय में पुलिस की सख्ती के चलते हर्ष फायरिंग और अन्य गतिविधियों पर कार्रवाई होने लगी है. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर गोलियां कम चल रही हैं तो फिर ये गोलियां जा कहां रही हैं.

एक शस्त्र लाइसेंस पर कितने कारतूस: इन बारे में जानकारी के लिए देहरादून स्थित गन हाउस मालिक सैफ ने बात की गई.

अलग-अलग कैटेगरी के अनुसार शस्त्र लाइसेंस धारकों को कारतूस बेचे जाते हैं. पहले एक शस्त्र लाइसेंस पर 10 से 25 कारतूस जारी किए जाते थे. लेकिन 2020 में एक्ट में बदलाव होने के बाद कम से कम 20 और ज्यादा से ज्यादा 200 कारतूस एक शस्त्र लाइसेंस पर जारी किए जा सकते हैं. अब सख्ती ज्यादा हो गई है जिससे कि कारतूस स्टॉक में ही रहते हैं.
-सैफ, गन हाउस मालिक-

आईजी गढ़वाल ने दिए जांच के आदेश: मेरठ में एसटीएफ की कार्रवाई के बाद उत्तराखंड गढ़वाल आईजी ने सभी जिलों के एसएसपी और एसपी को सख्त कार्रवाई के निर्देश जारी कर दिए हैं. साथ ही शस्त्र दुकानदारों और शस्त्र धारकों पर निगरानी रखने की बात कही है. ये निर्देश भी दिया है कि वो समय-समय पर एसडीएम के साथ गन हाउस का ऑडिट करें. कारतूसों की सप्लाई बाहर करना गंभीर विषय है. इसकी गंभीरता से जांच करवाई जाएगी. यदि किसी जिले में गैरकानूनी तरीके से कारतूसों की सप्लाई का मामला सामने आता है तो शस्त्र का लाइसेंस निरस्त करने के साथ संबंधित के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा.

अकादमी संचालक ने आरोपों को गलत बताया: एकेडमी संचालक ने सभी आरोपों को निराधार बताया है.

यह आरोप गलत हैं. हम मेरठ एसटीएफ का सहयोग करने के लिए तैयार हैं. वो कभी भी हमसे पूछताछ कर सकते हैं. साथ ही उत्तराखंड पुलिस भी जांच कर सकती है.
- शूटिंग स्पोर्ट्स एकेडमी संचालक -

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देहरादूनः उत्तराखंड से अवैध तरीके से कारतूसों की तस्करी होने संबंधित जानकारी सामने आ रही है. अब एसटीएफ उत्तराखंड और देहरादून पुलिस एसटीएफ मेरठ की ओर से पकड़े गए कारतूसों के जखीरे की जांच करने जा रही है. निजी असलहा धारकों के कारतूस कहां खर्च हो रहे हैं और इनकी खरीद बिक्री कितनी हो रही है, इसकी जांच पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी साथ मिलकर करेंगे. आईजी गढ़वाल ने जांच के आदेश जारी कर दिए हैं.

ये है मामला: दरअसल, 4 फरवरी 2025 को एसटीएफ मेरठ ने दिल्ली हाईवे स्थित ग्रेटर पल्लवपुरम में एक कार से कारतूसों का जखीरा पकड़ा था. यह खेप अंतरराज्यीय तस्कर राशिद अली ले जा रहा था. कार से एसटीएफ ने 12 बोर के मेड इन इटली के 1975 कारतूस बरामद किए थे.

राशिद अली ने पुलिस को बताया था कि कारतूसों की खेप देहरादून के एक नामी शूटिंग स्पोर्ट्स एकेडमी से भेजी गई थी. एसटीएफ द्वारा पूछताछ में राशिद अली ने बताया कि ये रेंज शूटर रहे भाइयों की है और निशानेबाज के भाई ने ही कारतूसों की सप्लाई मेरठ के लिए भेजी थी. मेरठ एसटीएफ ने राशिद अली के बयानों पर अकादमी संचालक और उसके साथी को भी आरोपी बना दिया है.

लाइसेंसी कारतूसों की स्मगलिंग (Video- ETV Bharat)

अब मेरठ पुलिस आगे की जांच कर रही है. इसको लेकर उत्तराखंड पुलिस से भी संपर्क किया गया है और जानकारी साझा की गई है. हालांकि, एकेडमी संचालकों ने इन आरोपों को निराधार बताया है.

2022 में INA और स्पेशल ब्रांच ने की थी कार्रवाई: साल 2022 में दिल्ली में भी एनआईए ने कई हजार कारतूस पकड़े थे. ये कारतूस लाइसेंसी असलहा धारकों के नाम पर खरीदे गए थे. लेकिन बाद में आपराधिक गतिविधियों में इस्तेमाल हो रहे थे. इनमें सिविल बोर (आम जनता) के अलावा सर्विस बोर (फोर्स) के कारतूस भी शामिल थे. इनमें भी देहरादून के एक बंदूक और कारतूस विक्रेता का नाम सामने आया था. दिल्ली स्पेशल ब्रांच ने विक्रेता को अरेस्ट किया था. साथ ही स्थानीय प्रशासन ने उसका गन हाउस बंद कराया था.

कहां खर्च हो रही गोलियां: उत्तराखंड में मौजूदा समय में 56 हजार से ज्यादा लाइसेंसी हथियार धारक हैं. इनके लिए गोलियां भी लाइसेंस पर ही मिलती हैं. हैरानी की बात है कि असलहा धारकों को कोई ब्यौरा नहीं देना पड़ता कि उसने गोलियां कहां खर्च की. एक लाइसेंस पर सालाना 20 से 200 कारतूस तक दिए जाते हैं. लेकिन मौजूदा समय में पुलिस की सख्ती के चलते हर्ष फायरिंग और अन्य गतिविधियों पर कार्रवाई होने लगी है. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर गोलियां कम चल रही हैं तो फिर ये गोलियां जा कहां रही हैं.

एक शस्त्र लाइसेंस पर कितने कारतूस: इन बारे में जानकारी के लिए देहरादून स्थित गन हाउस मालिक सैफ ने बात की गई.

अलग-अलग कैटेगरी के अनुसार शस्त्र लाइसेंस धारकों को कारतूस बेचे जाते हैं. पहले एक शस्त्र लाइसेंस पर 10 से 25 कारतूस जारी किए जाते थे. लेकिन 2020 में एक्ट में बदलाव होने के बाद कम से कम 20 और ज्यादा से ज्यादा 200 कारतूस एक शस्त्र लाइसेंस पर जारी किए जा सकते हैं. अब सख्ती ज्यादा हो गई है जिससे कि कारतूस स्टॉक में ही रहते हैं.
-सैफ, गन हाउस मालिक-

आईजी गढ़वाल ने दिए जांच के आदेश: मेरठ में एसटीएफ की कार्रवाई के बाद उत्तराखंड गढ़वाल आईजी ने सभी जिलों के एसएसपी और एसपी को सख्त कार्रवाई के निर्देश जारी कर दिए हैं. साथ ही शस्त्र दुकानदारों और शस्त्र धारकों पर निगरानी रखने की बात कही है. ये निर्देश भी दिया है कि वो समय-समय पर एसडीएम के साथ गन हाउस का ऑडिट करें. कारतूसों की सप्लाई बाहर करना गंभीर विषय है. इसकी गंभीरता से जांच करवाई जाएगी. यदि किसी जिले में गैरकानूनी तरीके से कारतूसों की सप्लाई का मामला सामने आता है तो शस्त्र का लाइसेंस निरस्त करने के साथ संबंधित के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा.

अकादमी संचालक ने आरोपों को गलत बताया: एकेडमी संचालक ने सभी आरोपों को निराधार बताया है.

यह आरोप गलत हैं. हम मेरठ एसटीएफ का सहयोग करने के लिए तैयार हैं. वो कभी भी हमसे पूछताछ कर सकते हैं. साथ ही उत्तराखंड पुलिस भी जांच कर सकती है.
- शूटिंग स्पोर्ट्स एकेडमी संचालक -

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