बेंगलुरु: वकीलों, छात्रों और कार्यकर्ताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक (DGP) को एक ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में कर्नाटक में जांच करते समय अंतर-राज्यीय प्रक्रियात्मक दिशानिर्देशों का कथित रूप से उल्लंघन करने के लिए दिल्ली और यूपी पुलिस के खिलाफ विभागीय जांच की मांग की गई.
प्रतिनिधिमंडल ने राज्य में नफरत फैलाने वाले भाषणों की बढ़ती संख्या पर भी चिंता जताई और कर्नाटक पुलिस प्रमुख से नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई शुरू करने का आग्रह किया. ज्ञापन में मानवाधिकार रक्षक मोहम्मद जुबैर तथा नागरिक अधिकार संरक्षण संघ (एपीसीआर) के राष्ट्रीय सचिव नदीम खान के उत्पीड़न से जुड़ी परेशान करने वाली घटनाओं का विस्तृत विवरण दिया गया है.
जुबैर के मामले में, ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि यूपी पुलिस 28 अक्टूबर, 2024 को बेंगलुरु में उनके घर पर बिना किसी पूर्व सूचना या वारंट के पहुंची और उनसे यति नरसिंहानंद के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करने वाले उनके सोशल मीडिया पोस्ट के संबंध में पूछताछ की. जुबैर ने 29 सितंबर 2024 को गाजियाबाद में दिए गए नरसिंहानंद के भड़काऊ भाषण का वीडियो पोस्ट करते हुए यूपी पुलिस से कार्रवाई करने की मांग की थी. ज्ञापन में कहा गया है, "नफरत भरे भाषण की जांच करने के बजाय यूपी पुलिस ने जुबैर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी."
ज्ञापन में यह भी बताया गया कि किस प्रकार दिल्ली पुलिस ने नदीम खान को उपलब्ध धाराओं के तहत दर्ज एफआईआर के आधार पर 30 नवंबर, 2024 को उनके साथ राष्ट्रीय राजधानी आने के लिए मजबूर किया. ज्ञापन में कहा गया है, दोनों मामलों में स्थानीय पुलिस को सूचित नहीं किया गया, जो कि अंतर-राज्यीय जांच प्रोटोकॉल का स्पष्ट उल्लंघन है. सुप्रीम कोर्ट ने अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य मामले में अपने फैसले में आदेश दिया है कि किसी भी गिरफ्तारी से पहले उपस्थिति के लिए नोटिस देना अनिवार्य है. अंतर-राज्यीय जांच पर दिल्ली हाई कोर्ट के दिशानिर्देश स्थानीय पुलिस के साथ समन्वय और उचित दस्तावेजीकरण पर जोर देते हैं. प्रतिनिधिमंडल ने मांग की कि इन मामलों में दिल्ली और यूपी पुलिस ने इन दोनों निर्देशों को दरकिनार कर दिया. इसलिए, कर्नाटक पुलिस को दिल्ली और यूपी पुलिस के खिलाफ विभागीय जांच शुरू करनी चाहिए और साथ ही अंतर-राज्यीय जांच प्रोटोकॉल के भविष्य के उल्लंघन को रोकने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए.
कर्नाटक में नफरत भरे भाषणों में वृद्धि
ज्ञापन में कर्नाटक में नफरत भरे भाषणों की बढ़ती घटनाओं पर भी प्रकाश डाला गया, विशेष रूप से पूर्व मंत्री के एस ईश्वरप्पा और वरिष्ठ भाजपा विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल सहित भाजपा नेताओं द्वारा चल रहे वक्फ विवाद के मद्देनजर. इस बात पर जोर देते हुए कि इस तरह की बयानबाजी भाईचारे और सम्मान के संवैधानिक मूल्यों को कमजोर करती है, प्रतिनिधिमंडल ने पुलिस से सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार नफरत फैलाने वाले भाषणों के खिलाफ स्वतः कार्रवाई करने की मांग की.
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