पटना: प्रशांत किशोर ने 2 अक्टूबर 2022 से बिहार में पदयात्रा की शुरुआत की थी. जन सुराज अभियान के तहत वह पिछले दो साल से गांव-गांव की खाक छान रहे हैं. बुधवार यानी 2 अक्टूबर को उनकी पदयात्रा को दो साल पूरा हो जाएगा. ऐसे में आज पटना के वेटनरी कॉलेज मैदान में कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. जहां प्रशांत किशोर अपनी पॉलिटिकल पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न की घोषणा कर सकते हैं. माना जा रहा है कि उनके दल का नाम जन सुराज पार्टी होगा. हालांकि उन्होंने अब तक नाम को लेकर सस्पेंस बनाए रखा है.
क्या होगा दल का नाम और चुनाव चिह्न?: जब से प्रशांत किशोर ने राजनीतिक दल बनाने का ऐलान किया है और पदयात्रा निकाली है, तब से वह लगातार महात्मा गांधी के आदर्शों को अपनाने की बात करते हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि बापू के 'जन सुराज' की संकल्पना को साकार करने की सोच के साथ वह अपनी पार्टी का नाम जन सुराज पार्टी रख सकते हैं. जहां तक चुनाव चिह्न की बात है तो मुमकिन है कि राष्ट्रपिता से प्रेरणा लेते हुए 'छड़ी' या फिर 'चरखे' को चुनाव चिह्न बना सकते हैं.
जन सुराज अभियान एक अहम पड़ाव पर पहुंच चुका है। बिहार के लाखों लोगों के सामूहिक प्रयास का यह अभियान 2 अक्टूबर, 2024 को राजनीतिक दल का स्वरूप लेने जा रहा है।आप इस ऐतिहासिक कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए सादर आमन्त्रित हैं। pic.twitter.com/QYb7NQr48h
— Jan Suraaj (@jansuraajonline) September 24, 2024
उपचुनाव में होगा जन सुराज का लिटमस टेस्ट: राजनीतिक दल के गठन से पहले ही प्रशांत किशोर ने अपनी इरादे जाहिर कर दिए हैं. उन्होंने बिहार की 4 विधानसभा सीटों पर होने उपचुनाव में दावेदारी का फैसला किया है. चारों सीटों पर उनकी पार्टी उम्मीदवार खड़ा करेगी. पीके ने पहले ही ऐलान कर रखा है कि इस उपचुनाव में हम बीजेपी, जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों को अपनी ताकत का एहसास कराएंगे.
243 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी: प्रशांत किशोर 2025 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं. वह सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार खड़े करेंगे. उन्होंने साफ कर दिया है कि वह किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगे. पीके का दावा है कि बिहार के अंदर वह जाति की राजनीति के सिंडिकेट को तोड़ कर रहेंगे.
फरवरी में होगी जनसुराज की बड़ी रैली: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले प्रशांत किशोर फरवरी महीने में पटना के गांधी मैदान में बड़ी रैली करने की तैयारी में हैं. रैली के जरिए सभी राजनीतिक दल अपनी ताकत का एहसास करते हैं. लिहाजा यह प्रस्तावित रैली बिहार की सियासत के लिहाज से टर्निंग प्वाइंट साबित होने वाली है.
प्रशांत किशोर की यात्रा जारी रहेगी: आपको बता दें कि प्रशांत किशोर की पदयात्रा 17 जिले में हो चुकी है और प्रशांत किशोर ने पदयात्रा को अगले कुछ सालों तक जारी रखने का फैसला लिया है. वह हर पंचायत में जा रहे हैं और वहां के लिए विकास का मॉडल तैयार कर रहे हैं. वह अब तक 5500 से अधिक गांवों की यात्रा कर चुके हैं. इसके साथ ही उन्होंने दल बनाने के बाद भी यात्रा जारी रखने का फैसला किया है.
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