पटना: लोकसभा चुनाव के लिए सभी दल अपने-अपने प्रत्याशियों का नाम तय कर रहे हैं. एनडीए के उम्मीदवारों को घरने के लिए राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव गंभीरता से रणनीति तैयार कर रहे हैं. नीतीश कुमार के खास ललन सिंह को लालू प्रसाद यादव ने मुंगेर में बाहुबली के सहारे घेर लिया है. भूमिहार बाहुल मुंगेर लोकसभा क्षेत्र में ललन सिंह को घेरने के लिए बाहुबली अशोक महतो को आगे किया है. अशोक महतो की नई नवेली दुल्हन को उम्मीदवार बनाया है.
अगड़ा बनाम पिछड़ा की लड़ाईः मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से जनता ने राजद, जदयू, भाजपा और लोक जन शक्ति पार्टी को मौका दिया है. 2019 में राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह इस लोकसभा सीट से जीते थे. 2019 में दो भूमिहारों के बीच ही मुकाबला हुआ था. ललन सिंह के खिलाफ बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी मैदान में थीं. लेकिन, इस बार पिछड़ा वर्ग से आने वाले बाहुबली अशोक महतो की पत्नी अनीता देवी राजद से टिकट पर मैदान में है. वहीं भूमिहार समाज से आने वाले एक और ललन सिंह चुनाव मैदान में निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं.
दो-दो बाहुबलियों के घेरे में ललन सिंहः मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे निर्दलीय उम्मीदवार ललन सिंह को सूरजभान का करीबी बताया जा रहा है. यानी कि दो-दो बाहुबलियों के घेरे में इस बार राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह होंगे. इसके साथ उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा का विधानसभा क्षेत्र लखीसराय भी मुंगेर लोकसभा सीट में आता है. ललन सिंह और विजय सिन्हा के बीच 36 का आंकड़ा रहा है. हालांकि अब दोनों एनडीए में हैं. खुलकर भले ही विजय सिन्हा अब ललन सिंह के खिलाफ नहीं हों, लेकिन उनके समर्थक ललन सिंह की मुश्किल जरूर बढ़ाएंगे.
एमवाई और कुर्मी वोट की उम्मीदः मुंगेर लोकसभा क्षेत्र में पिछड़ी जाति के लोगों का भी दबदबा है. मुस्लिम वोटर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. लालू प्रसाद यादव ने बाहुबली अशोक महतो की पत्नी को मुंगेर क्षेत्र में उतारकर कुर्मी और धानुक वोट पर निशाना लगाया है. लोकसभा चुनाव लड़ाने के लिए ही अशोक महतो ने 60 साल की उम्र में अपने से 16 साल छोटी अनिता से शादी की है. लालू यादव का एमवाई वोट बैंक और पिछड़ा अति पिछड़ा वोट ललन सिंह के लिए चुनौती बढ़ाने वाला है.
सर्वाधिक वोट लखीसराय में मिला थाः 2019 के लोकसभा चुनाव में लखीसराय में सर्वाधिक 55.91 प्रतिशत मतदान हुआ था. इसके बाद इसी जिले का सूर्यगढ़ा विधानसभा में 55.25 प्रतिशत वोटरों ने वोट डाले थे. 2009, 2014 और 2019 में संपन्न लोकसभा चुनाव की बात करें तो विजयी प्रत्याशियों को निर्णायक बढ़त भी लखीसराय विधानसभा क्षेत्र से ही प्राप्त हुई थी. 2019 में जीत दर्ज करने वाले एनडीए प्रत्याशी राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह को मुंगेर 95980, जमालपुर 91306, सूर्यगढ़ा 96960, लखीसराय 115151, मोकामा 61775 और बाढ़ 64287 हजार वोट मिले थे.
"राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय का कहना है कि लालू प्रसाद यादव चतुर राजनेता हैं. उन्होंने मुंगेर में व्यूह रचना की है. एक बाहुबली की पत्नी राजद की उम्मीदवार है तो दूसरी तरफ एक और बाहुबली है जो निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे. अशोक महतो बड़े डॉन के रूप में जाने जाते हैं. अपने आधार वोट बैंक पर उनकी पकड़ है."- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विश्लेषक
दोनों ही गठबंधन के नेताओं के दावेः राजद के वरिष्ठ नेता उदय नारायण चौधरी का कहना है कि हम लोग किसी को घेरने के लिए नहीं बल्कि जीतने के लिए उम्मीदवार उतारे हैं. वहीं जदयू के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मंत्री भगवान सिंह कुशवाहा का कहना है कि मुंगेर में राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह को कोई नहीं हरा सकता है. उन्होंने कहा कि ललन सिंह पार्टी के बड़े नेता हैं. उन्होंने दावा किया कि इस बार ललन सिंह पिछले बार के मुकाबले डेढ़ गुना से अधिक मतों से चुनाव जीतेंगे.
अनंत सिंह के समर्थकों में नाराजगीः 2019 के लोकसभा चुनाव में भूमिहार उम्मीदवारों के बीच ही मुकाबला हुआ था. राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह को 528762 वोट मिला था, जबकि कांग्रेस की ओर से बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को 360825 वोट मिला था. इन्हीं दोनों के बीच मुकाबला हुआ था. ऐसे तो नीलम देवी इस बार पाला बदलकर एनडीए के साथ है. लेकिन, वह भी मुंगेर से चुनाव लड़ना चाहती थी. उन्हें टिकट नहीं मिला. जिससे उनके समर्थक भी बहुत खुश नहीं है. 2019 के चुनाव में जदयू को 51.02 फीसदी वोट मिला था. कांग्रेस 34.81 प्रतिशत वोट के साथ दूसरे स्थान पर थी. अन्य को 14.17 प्रतिशत वोट मिले थे.
बड़ा उलट फेर हो सकता हैः मुंगेर में सबसे अधिक भूमिहार वोटरों की संख्या. भूमिहार वोटरों की संख्या चार लाख बतायी जा रही है. जबकि कुर्मी और धानुक वोटर करीब 2 लाख हैं. यादव की संख्या डेढ़ लाख है. बनिया वोटरों की संख्या डेढ़ लाख के करीब है. 90 हजार के करीब मुस्लिम वोटर हैं. ऐसे में राजनीति के जानकारों का मानना है कि यादव और मुस्लिम वोट बैंक के साथ-साथ यदि कुर्मी और धानुक वोट किसी एक उम्मीदवार को मिल गया और दूसरी ओर भूमिहार वोट बैंक में डेंट लग गया तो बड़ा उलट फेर हो सकता है.
नीतीश के खास हैं ललन सिंह: ललन सिंह पर यह आरोप लगता रहा है कि भाजपा जदयू की दोस्ती में सबसे बड़ा रोड़ा बने हुए थे. प्रधानमंत्री के खिलाफ भी ललन सिंह आक्रामक तेवर अपनाते थे. हालांकि अब एनडीए में आने के बाद ललन सिंह पीएम की तारीफ कर रहे हैं. लेकिन यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का और बीजेपी का पूर्ण समर्थन नहीं मिला तो ललन सिंह के लिए मुंगेर का बैटल जितना आसान नहीं होगा. 2014 में ललन सिंह मुंगेर लोकसभा सीट से चुनाव हारे थे. उन्हें सूरजभान की पत्नी वीणा सिंह ने हराया था. उस समय ललन सिंह एनडीए में नहीं थे.
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