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होली पर किस दिशा में मुंह करके करें पूजा, जानिए ज्योतिष क्या कहता है - Right Direction for Holi Pooja

Right Direction for Holi Pooja: होली हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों में है. होली की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है. इससे भी जरूरी है कि पूजा किस तरीके से करें. साथ ही पूजा करते समय आपका मुंह किस दिशा में होना चाहिए. एक खास दिशा में मुंह करके पूजा करने से ही फल की प्राप्ति होती है. आइये आपको बताते हैं होली की पूजा का विधि विधान.

Holi Worship Method
RIGHT DIRECTION FOR HOLI POOJA
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Mar 23, 2024, 7:36 PM IST

होली के दिन किस दिशा में मुंह करके पूजा करें.

कुरुक्षेत्र: हिंदू धर्म में अलग-अलग त्योहार और उनकी अलग-अलग मान्यताएं होती हैं. होलिका दहन और होली के दिन तक शुभ कार्य बंद होते हैं. ऐसी मान्यता है कि होलाष्टक के दिन कुछ प्रेत आत्माएं अधिक प्रभावशाली होती हैं. ये प्रेत आत्माएं आपके घर में गृह क्लेश करा सकती हैं. आर्थिक नुकसान करा सकती हैं. इसीलिए होली पर विशेष पूजा की जाती है ताकि अशुभ योग को खत्म किया जा सके.

किस दिशा में मुंह करके पूजा करें- ज्योतिष आचार्य पंडित पवन शर्मा के मुताबिक होलिका दहन के स्थान पर पूजा वंदना करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. हमेशा भगवान की पूजा और वंदना पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह करके ही करें. दक्षिण दिशा में मुंह करके पूजा कभी नही करनी चाहिए. ऐसा कहा जाता है कि इससे घर परिवार में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है. पूजा के दौरान अक्सर लोग इस विधि पर ध्यान नहीं देते. इसलिए उनकी पूजा सफल नहीं होती.

होली पर पूजा की सही विधि

  • होलिका दहन हमेशा शुभ मुहूर्त के समय ही करना चाहिए.
  • होलिका की पूजा करने के लिए फल, फूल, कलावा, रोली, गुड़, पीली सरसों, चावल, हल्दी या हल्दी की गांठ, कुमकुम और गाय के गोबर से बने कंडे आदि की पूजा करना ज्यादा शुभ माना गया है.
  • पूजा करने के दौरान इंसान का मुंह हमेशा पूर्व और उत्तर दिशा में होना चाहिए. कई राज्यों में ये भी मान्यता है कि होलिका की पूजा करने से पहले उसकी सात बार परिक्रमा करनी चाहिए.
  • होलिका के चारों तरफ कलावा को लपेटना चाहिए. पूजा के लिए जो सामग्री ली गई है उसको एक-एक करके होलिका को अर्पित करना चाहिए.
  • होलिका दहन होने के बाद उसकी राख या फिर गेहूं की बाली को उसकी आग में सेक कर घर में रखने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त:

ज्योतिष आचार्य पंडित पवन शर्मा ने बताया कि लोगों में इस बार होली को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. कुछ लोग होलिका दहन 24 मार्च को सोच रहे हैं तो कुछ 25 मार्च को. उन्होंने कहा कि होली फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार फाल्गुनी महीने की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 24 मार्च को सुबह 9:54 पर हो रहा है. इसका समापन 25 मार्च को दोपहर 12:29 पर होगा. प्रत्येक व्रत व त्योहार को उदयातिथि के साथ मनाया जाता है लेकिन होलिका दहन फाल्गुनी पूर्णमासी सूर्य अस्त होने के बाद किया जाता है. इसलिए इस बार होलिका दहन 24 मार्च को किया जायेगा.

होलिका दहन का समय:

होलिका दहन का समय 24 मार्च को रात को 11:13 से शुरू होकर रात के 12:07 मिनट तक रहेगा. जिसकी अवधि करीब एक घंटा 14 मिनट है. हालांकि कुछ लोग अपने सुविधा के अनुसार सूर्य अस्त होने के बाद ही होलिका दहन करते हैं लेकिन हिंदू पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त रात 11:13 से शुरू होकर 12:07 तक रहेगा.

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होली के दिन किस दिशा में मुंह करके पूजा करें.

कुरुक्षेत्र: हिंदू धर्म में अलग-अलग त्योहार और उनकी अलग-अलग मान्यताएं होती हैं. होलिका दहन और होली के दिन तक शुभ कार्य बंद होते हैं. ऐसी मान्यता है कि होलाष्टक के दिन कुछ प्रेत आत्माएं अधिक प्रभावशाली होती हैं. ये प्रेत आत्माएं आपके घर में गृह क्लेश करा सकती हैं. आर्थिक नुकसान करा सकती हैं. इसीलिए होली पर विशेष पूजा की जाती है ताकि अशुभ योग को खत्म किया जा सके.

किस दिशा में मुंह करके पूजा करें- ज्योतिष आचार्य पंडित पवन शर्मा के मुताबिक होलिका दहन के स्थान पर पूजा वंदना करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. हमेशा भगवान की पूजा और वंदना पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह करके ही करें. दक्षिण दिशा में मुंह करके पूजा कभी नही करनी चाहिए. ऐसा कहा जाता है कि इससे घर परिवार में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है. पूजा के दौरान अक्सर लोग इस विधि पर ध्यान नहीं देते. इसलिए उनकी पूजा सफल नहीं होती.

होली पर पूजा की सही विधि

  • होलिका दहन हमेशा शुभ मुहूर्त के समय ही करना चाहिए.
  • होलिका की पूजा करने के लिए फल, फूल, कलावा, रोली, गुड़, पीली सरसों, चावल, हल्दी या हल्दी की गांठ, कुमकुम और गाय के गोबर से बने कंडे आदि की पूजा करना ज्यादा शुभ माना गया है.
  • पूजा करने के दौरान इंसान का मुंह हमेशा पूर्व और उत्तर दिशा में होना चाहिए. कई राज्यों में ये भी मान्यता है कि होलिका की पूजा करने से पहले उसकी सात बार परिक्रमा करनी चाहिए.
  • होलिका के चारों तरफ कलावा को लपेटना चाहिए. पूजा के लिए जो सामग्री ली गई है उसको एक-एक करके होलिका को अर्पित करना चाहिए.
  • होलिका दहन होने के बाद उसकी राख या फिर गेहूं की बाली को उसकी आग में सेक कर घर में रखने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त:

ज्योतिष आचार्य पंडित पवन शर्मा ने बताया कि लोगों में इस बार होली को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. कुछ लोग होलिका दहन 24 मार्च को सोच रहे हैं तो कुछ 25 मार्च को. उन्होंने कहा कि होली फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार फाल्गुनी महीने की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 24 मार्च को सुबह 9:54 पर हो रहा है. इसका समापन 25 मार्च को दोपहर 12:29 पर होगा. प्रत्येक व्रत व त्योहार को उदयातिथि के साथ मनाया जाता है लेकिन होलिका दहन फाल्गुनी पूर्णमासी सूर्य अस्त होने के बाद किया जाता है. इसलिए इस बार होलिका दहन 24 मार्च को किया जायेगा.

होलिका दहन का समय:

होलिका दहन का समय 24 मार्च को रात को 11:13 से शुरू होकर रात के 12:07 मिनट तक रहेगा. जिसकी अवधि करीब एक घंटा 14 मिनट है. हालांकि कुछ लोग अपने सुविधा के अनुसार सूर्य अस्त होने के बाद ही होलिका दहन करते हैं लेकिन हिंदू पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त रात 11:13 से शुरू होकर 12:07 तक रहेगा.

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