ETV Bharat / bharat

यहां गुरु गोरखनाथ से हुआ था हनुमानजी का युद्ध, आज भी प्रहरी के रूप में विराजमान हैं बजरंगबली, जानें धाम की महिमा - Hanuman Jayanti 2024

Hanuman Jayanti 2024 देशभर में हनुमान जी के कई भव्य और चमत्कारी मंदिर हैं. हनुमान जी के ऐसे ही एक मंदिर के बारे में आज हम आपको बताते हैं, जो 40 फीट ऊंचे टीले पर मौजूद है. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां आज भी हनुमान जी, गुरु गोरखनाथ की प्रार्थना पर प्रहरी के रूप में भक्तों की मदद के लिए विराजमान हैं.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 23, 2024, 1:54 PM IST

देहरादून: पूरे देश में आज हनुमान जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है. जगह-जगह सुंदरकांड और धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जा रहा है. हनुमान जयंती के अवसर पर आज ईटीवी भारत आपको हनुमान जी के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहा है, जिसका पौराणिक महत्व है. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां पर जो भी भक्त सच्चे मन से आता है, उसकी हर मुराद पूरी होती है. यहां देश-विदेश से बड़ी संख्या में भक्त भंडारा कराने आते हैं. भक्तों की इस मंदिर के प्रति आस्था का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां पर रविवार और मंगलवार के दिन के भंडारे के लिए साल 2025 तक की बुकिंग हो चुकी है. वहीं रविवार के भंडारे के लिए 2024 की बुकिंग फुल हो चुकी है.

भगवान हनुमान के जिस प्रसिद्ध मंदिर की हम बात कर रहे हैं, वो उत्तराखंड के पौड़ी जिले के कोटद्वार में स्थित है, जो श्री सिद्धबली धाम कोटद्वार के नाम से प्रसिद्ध है. श्री सिद्धबली धाम कोटद्वार का जिक्र स्कंद पुराण में भी मिलता है. मान्यताओं के अनुसार श्री सिद्धबली धाम को गुरु गोरखनाथ की तपस्थली कहा जाता है. गुरु गोरखनाथ को कलियुग में भगवान शिव का अवतर माना जाता है.

गोरखपुराण के अनुसार गुरु गोरखनाथ के गुरु मछेंद्रनाथ, पवन पुत्र बजंरगी बली की आज्ञा से त्रिया राज्य की शासिका रानी मैनाकली के साथ गृहस्थ जीवन का सुख भोग रहे थे. जब गुरु गोरखनाथ को इस बात का पता चला तो वो अपने गुरु को त्रिया राज्य से मुक्त कराने के लिए चल पड़े. लेकिन कोटद्वार में बजरंगी बली ने रूप बदलकर गुरु गोरखनाथ का मार्ग रोक लिया. मान्यताओं और लोक कथाओं के अनुसार यहीं पर दोनों के बीच भंयकर युद्ध हुआ.

कहा जाता है कि जब दोनों में से कोई पराजित नहीं हुआ तो हनुमानजी अपने वास्तविक रूप में आए और गुरु गोरखनाथ से वरदान मांगने को कहा. वरदान के रूप में गुरु गोरखनाथ ने हनुमानजी से वहीं पर रहने की प्रार्थना की. हनुमानजी ने गुरु गोरखनाथ की प्रार्थना को स्वीकार किया और पहाड़ों के ऊंचे टीले पर विराजमान हो गये, जहां आज एक भव्य मंदिर है. गुरु गोरखनाथ और हनुमानजी के कारण इस स्थन का नाम सिद्धबली पड़ा. ऐसी मान्यता है कि आज भी हनुमान जी प्रहरी के रूप में भक्तों की मदद के लिए सिद्धबली में साक्षात रूप में विराजमान हैं.

श्री सिद्धबली धाम कैसे पहुंचें? श्री सिद्धबली धाम पौड़ी जिले के कोटद्वार में स्थित है. कोटद्वार की दिल्ली से दूरी करीब 173 किमी है. कोटद्वार भक्त ट्रेन और बस दोनों ही रास्तों से पहुंच सकते हैं. कोटद्वार से हरिद्वार की दूरी भी करीब 50 किमी है. कोटद्वार के सबसे पास एयरपोर्ट देहरादून का जौलीग्रांट एयरपोर्ट है. यहां से भी आप टैक्सी और बस से सीधे कोटद्वार पहुंच सकते हैं.

पढ़ें--

देहरादून: पूरे देश में आज हनुमान जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है. जगह-जगह सुंदरकांड और धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जा रहा है. हनुमान जयंती के अवसर पर आज ईटीवी भारत आपको हनुमान जी के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहा है, जिसका पौराणिक महत्व है. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां पर जो भी भक्त सच्चे मन से आता है, उसकी हर मुराद पूरी होती है. यहां देश-विदेश से बड़ी संख्या में भक्त भंडारा कराने आते हैं. भक्तों की इस मंदिर के प्रति आस्था का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां पर रविवार और मंगलवार के दिन के भंडारे के लिए साल 2025 तक की बुकिंग हो चुकी है. वहीं रविवार के भंडारे के लिए 2024 की बुकिंग फुल हो चुकी है.

भगवान हनुमान के जिस प्रसिद्ध मंदिर की हम बात कर रहे हैं, वो उत्तराखंड के पौड़ी जिले के कोटद्वार में स्थित है, जो श्री सिद्धबली धाम कोटद्वार के नाम से प्रसिद्ध है. श्री सिद्धबली धाम कोटद्वार का जिक्र स्कंद पुराण में भी मिलता है. मान्यताओं के अनुसार श्री सिद्धबली धाम को गुरु गोरखनाथ की तपस्थली कहा जाता है. गुरु गोरखनाथ को कलियुग में भगवान शिव का अवतर माना जाता है.

गोरखपुराण के अनुसार गुरु गोरखनाथ के गुरु मछेंद्रनाथ, पवन पुत्र बजंरगी बली की आज्ञा से त्रिया राज्य की शासिका रानी मैनाकली के साथ गृहस्थ जीवन का सुख भोग रहे थे. जब गुरु गोरखनाथ को इस बात का पता चला तो वो अपने गुरु को त्रिया राज्य से मुक्त कराने के लिए चल पड़े. लेकिन कोटद्वार में बजरंगी बली ने रूप बदलकर गुरु गोरखनाथ का मार्ग रोक लिया. मान्यताओं और लोक कथाओं के अनुसार यहीं पर दोनों के बीच भंयकर युद्ध हुआ.

कहा जाता है कि जब दोनों में से कोई पराजित नहीं हुआ तो हनुमानजी अपने वास्तविक रूप में आए और गुरु गोरखनाथ से वरदान मांगने को कहा. वरदान के रूप में गुरु गोरखनाथ ने हनुमानजी से वहीं पर रहने की प्रार्थना की. हनुमानजी ने गुरु गोरखनाथ की प्रार्थना को स्वीकार किया और पहाड़ों के ऊंचे टीले पर विराजमान हो गये, जहां आज एक भव्य मंदिर है. गुरु गोरखनाथ और हनुमानजी के कारण इस स्थन का नाम सिद्धबली पड़ा. ऐसी मान्यता है कि आज भी हनुमान जी प्रहरी के रूप में भक्तों की मदद के लिए सिद्धबली में साक्षात रूप में विराजमान हैं.

श्री सिद्धबली धाम कैसे पहुंचें? श्री सिद्धबली धाम पौड़ी जिले के कोटद्वार में स्थित है. कोटद्वार की दिल्ली से दूरी करीब 173 किमी है. कोटद्वार भक्त ट्रेन और बस दोनों ही रास्तों से पहुंच सकते हैं. कोटद्वार से हरिद्वार की दूरी भी करीब 50 किमी है. कोटद्वार के सबसे पास एयरपोर्ट देहरादून का जौलीग्रांट एयरपोर्ट है. यहां से भी आप टैक्सी और बस से सीधे कोटद्वार पहुंच सकते हैं.

पढ़ें--

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.