रांची: पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अदालत ने उन्हें नियमित जमानत दे दी है. उनपर अधिकारियों की मिलीभगत से रांची के बड़गाईं स्थित 8.86 एकड़ जमीन पर कब्जा करने का आरोप था. लैंड स्कैम मामले में ईडी ने ECIR केस नं. 06/2023 मामले में 31 जनवरी की शाम हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया था. उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी. इस बीच लोकसभा का चुनाव भी संपन्न हो गया. इस केस का पहला पन्ना 8 अगस्त को खुला था. इसके बाद कानून का शिकंजा कसता चला गया.
हेमंत के खिलाफ कब शुरू हुई ईडी की कार्रवाई
लैंड स्कैम मामले में हेमंत सोरेन के खिलाफ ईडी ने 8 अगस्त को पहला समन भेजकर 14 अगस्त को पूछताछ के लिए बुलाया था. दूसरा समन 19 अगस्त को भेजकर 24 अगस्त को बुलाया गया था. तीसरा समन 1 सितंबर को जारी कर 9 सितंबर को बुलाया गया था. 17 सितंबर को चौथा समन भेजकर 23 सितंबर को आने को कहा गया था. ईडी ने 26 सितंबर को पांचवा समन जारी कर 4 अक्टूबर को हाजिर होने को कहा था. छठा समन भेजकर 12 दिसंबर को हाजिर होने को कहा गया था. सांतवा समन भेजकर ईडी ने हेमंत सोरेन को खुद समय और जगह तय करने को कहा था. 13 जनवरी को 8वां समन कर 16 से 20 जनवरी के बीच बयान दर्ज कराने का समय दिया गया था.
आठवें समन पर पूछताछ के लिए दिया समय
ईडी की ओर से आठवां समन मिलने के बाद हेमंत सोरेन ने अपने सरकारी आवास पर पूछताछ की सहमति दी थी. उस दिन ईडी की टीम ने दिनभर उनसे पूछताछ की थी. उस दौरान तत्कालीन सीएम हेमंत सोरेन के आवास के बाहर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी. उनके आवास के आसपास बड़ी संख्या में उनके समर्थक जुटे थे.
इस पूछताछ के बाद ईडी ने 9वां समन 25 जनवरी को भेजकर 27 से 31 जनवरी के बीच पूछताछ के लिए समय मांगा. इसके जवाब में हेमंत सोरेन ने व्यस्तता का हवाला दिया. लेकिन अगले ही दिन 27 जनवरी को 10वां समन जारी कर ईडी ने 29 से 31 जनवरी के बीच समय देने को कहा. तब ईडी ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि 28 जनवरी तक आपको जवाब देना है.
10वें समन के बाद खुला दिल्ली चैप्टर
ईडी ने 10वें समन में स्पष्ट कर दिया था कि हेमंत सोरेन को 28 जनवरी तक अपना पक्ष बता देना है कि वह किस दिन पूछताछ के लिए समय देंगे. इसी बीच 27 जनवरी की शाम हेमंत सोरेन विशेष विमान से दिल्ली रवाना हो गये. इसी बीच 29 जनवरी को दिल्ली स्थित तत्कालीन सीएम हेमंत के आवास पर ईडी की टीम पहुंच गई. तब हेमंत सोरेन वहां नहीं मिले. ईडी की टीम को उनके आवास से 36 लाख रु. एसयूवी कार और कई दस्तावेज मिले. वह सस्पेंस का दौर था. क्योंकि कोई नहीं बता पा रहा था कि आखिर झारखंड के मुख्यमंत्री हैं कहां. उसी दिन सीएमओ से ईडी को ईमेल भेजकर पूछताछ के लिए 31 जनवरी को सीएम आवास आने को कहा गया.
30 दिसंबर को रांची आवास में दिखे हेमंत
कयासों का दौर चला कि आखिर झारखंड के सीएम हैं कहां. इसी बीच अगले दिन यानी 30 जनवरी को हेमंत सोरेन की रांची आवास पर विधायकों के साथ बैठक वाली तस्वीर जारी हुई. हालांकि आजतक किसी ने नहीं बताया कि विशेष विमान से 27 जनवरी को दिल्ली गये हेमंत सोरेन 30 जनवरी को अचानक किस माध्यम से रांची पहुंचे. यह पूछे जाने पर कि आप कहां थे तो इसके जवाब में उन्होंने कहा था कि मैं आपके दिलों में रहता हूं. इस दौरान सीएम आवास पर सत्ताधारी दल के विधायकों और मंत्रियों का लगातार बैठकें चलती रही. सीएम रहते हेमंत सोरेन के गायब होने के मसले पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्यपाल से संज्ञान लेने की मांग की. हालांकि झामुमो नेता जवाब देते रहे कि हेमंत सोरेन संपर्क में हैं और जल्द रांची आ रहे हैं.
31 जनवरी को बदल गई सत्ता की तस्वीर
झारखंड का राजनीति में यह दिन टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ. 31 जनवरी को ईडी की टीम सीएम आवास पहुंची और दिनभर पूछताछ करती रही. शाम के बाद उन्हें हिरासत में लेने की सूचना दे दी गई. इसके बाद हेमंत सोरेन राजभवन पहुंचे और सीएम पद से अपना इस्तीफा दे दिया. गिरफ्तारी के बाद ईडी की टीम राजभवन ने पिछले दरवाजे से रीजनल ऑफिस लेकर चली गई. तब झामुमो ने आरोप लगाया कि सीएम को राजभवन के भीतर गिरफ्तार किया गया है. हालांकि बाद में राज्यपाल ने इसका खंडन किया.
31 जनवरी को हेमंत ने खेला ट्राइबल कार्ड
एक तरफ ईडी की टीम हेमंत सोरेन से उनके आवास पर पूछताछ कर रही थी तो दूसरी तरफ हेमंत ने ईडी अफसरों के लिए ट्राइबल कार्ड खेल दिया. उन्होंने एसटी-एसी थाना में यह कहते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई कि आदिवासी समुदाय से होने की वजह से उन्हें बदनाम करने की कोशिश की गई है. उन्होंने अपनी गैरमौजूदगी में दिल्ली आवास पर हुई छापेमारी पर सवाल उठाया. उनके आवेदन के आधार पर एसटी-एससी थाना में कांड संख्या 06/2024 दर्ज कर लिया गया. इस मामले में ईडी अफसरों को पूछताछ के लिए थाना बुलाए जाने के खिलाफ ईडी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से किया इनकार
31 जनवरी को गिरफ्तारी के बाद हेमंत सोरेन की ओर से कानूनी लड़ाई शुरू हुई. उन्होंने गिरफ्तारी को हाईकोर्ट में चुनौती दी. साथ ही सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया. लेकिन 2 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहले आप हाईकोर्ट जाएं. हेमंत की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने पैरवी की थी.
15 अप्रैल को विशेष अदालत में दायर हुई जमानत याचिका
शीर्ष अदालत से राहत नहीं मिलने पर हेमंत सोरेन की ओर से रांची के पीएमएलए कोर्ट में 15 अप्रैल को जमानत याचिका दायर की गई. अलग-अलग तारीखों में दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद 4 मई की ईडी की विशेष अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. 13 मई को पीएमएलए कोर्ट ने हेमंत सोरेन की जमानत याचिका खारिज कर दी. इसके बाद उन्हें हाईकोर्ट से झटका लगा. इसके बाद उन्होंने गिरफ्तारी को झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी. लेकिन मई को हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली हेमंत को राहत
पीएमएलए कोर्ट से जमानत खारिज होने पर अंतरिम जमानत के लिए हेमंत सोरेन के अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. अंतरिम जमानत की मांग की. झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष के नेता लोकसभा चुनाव में प्रचार की जरूरत का हवाला दिया. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया.
हाईकोर्ट में दायर की जमानत याचिका
सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत नहीं मिलने पर हेमंत सोरेन ने 27 मई को झारखंड हाईकोर्ट में नियमित जमानत याचिका दायर की. इसके बाद अलग-अलग तारीख में हुई सुनवाई के बाद 13 मई को जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. 28 मई को झारखंड हाईकोर्ट ने हेमंत सोरेन को नियमित जमानत दे दी.
ईडी दायर कर चुकी है चार्जशीट
प्रवर्तन निदेशालय ने हेमंत सोरेन, आर्किटेक्ट विनोद सिंह, बड़गाईं अंचल के राजस्व कर्मी भानु प्रताप प्रसाद, जमीन कब्जे में शामिल हिलेरियस कच्छप और संबंधित जमीन के कागजी तौर पर मालिक रामकुमार पाहन के खिलाफ 30 मार्च को रांची की पीएमएलए कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दिया है. ईडी ने दावा किया है कि सीएमओ के कहने पर राजस्व कर्मी भानु प्रताप प्रसाद ने बड़गाई अंचल की 8.86 एकड़ जमीन का ब्यौरा तैयार किया था. ईडी ने कागजात में की गई हेराफेरी और मोबाइल से मिले ब्योरा को सबूत के रूप में पेश किया है. ईडी ने कोर्ट को बताया है कि कैसे राजकुमार पाहन ने संबंधित जमीन पर दावा पेश किया और चंद दिन के भीतर उसको जमीन का मालिक बना दिया गया.
ईडी ने कब खोली लैंड स्कैम की फाइल
इस लैंड स्कैम मामले में ईडी की पहली कार्रवाई 14 अप्रैल 2023 को शुरु हुई. ईडी ने बड़गाईं अंचल के राजस्व कर्मी भानु प्रताप प्रसाद के सिमडेगा आवास के अलावा अन्य ठिकानों पर छापेमारी की. उस दिन सिमडेगा आवास पर जमीन से जुड़े 17 रजिस्टर-टू समेत कई दस्तावेज बरामद हुए. इसके बाद ईडी की कार्रवाई का दायरा बढ़ता गया. बरियातू में सेना की जमीन, चेशायर होम रोड की जमीन, नामकुम के पुगड़ू स्थित जमीन से जुड़े दस्तावेज में हेराफेरी कर खरीद बिक्री और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी अब तक कई लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है.
इसके अलावा रांची के तत्कालीन डीसी छवि रंजन, राजस्व कर्मी भानु प्रताप प्रसाद, व्यवसायी अमित अग्रवाल, न्यूक्लियस मॉल के मालिक विष्णु अग्रवाल, दिलीप घोष, झामुमो नेता आनंद तिर्की उर्फ अंतु तिर्की, जमीन कारोबारी, बिपिन सिंह, प्रियरंजन सहाय, शेखर कुशवाहा, कागजात बदलने वाले अफसर अली, मो. इरशाद, मो. सद्दाम, कोलकाता के रजिस्ट्रार ऑफ एश्योरेंस के कर्मी तापस घोष और संजीत कुमार के नाम शामिल हैं.
इस लिस्ट में एक और नाम जुड़ गया है. वह है कमलेश सिंह. 21 जून 2024 को पत्रकार से जमीन माफिया बने कमलेश सिंह के ठिकानों पर ईडी ने छापेमारी की थी. उसके एक आवास से एक करोड़ नकद और 100 कारतूस बरामद हुए थे. फिलहाल कमलेश फरार है. इसपर भी फर्जी कागजात के जरिए सीएनटी एक्ट की जमीन का नेचर बदलकर खरीद-बिक्री का आरोप है.
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