तिरुवनंतपुरम : चिकित्सा जगत के निशाने पर आए केरल स्वास्थ्य विभाग ने 13 मार्च को जारी उस आदेश को गुरुवार को वापस ले लिया, जिसमें उसके अधिकारियों को सोशल मीडिया पर गतिविधि में शामिल होने या यूट्यूब चैनल बनाने से रोक दिया गया था. स्वास्थ्य सेवा निदेशक ने गुरुवार को जारी नए आदेश में कहा कि 13 मार्च को जारी परिपत्र को प्रशासनिक कारणों से वापस ले लिया गया है.
परिपत्र को वापस लेने का निर्णय विभिन्न चिकित्सा पेशेवर संगठनों, खासकर केरल गवर्मेंट मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन (केजीएमओए) की तीखी प्रतिक्रिया के बाद लिया गया है. स्वास्थ्य सेवा निदेशक द्वारा जारी 13 मार्च के आदेश में सरकारी अधिकारियों के सोशल मीडिया के इस्तेमाल से जुड़े नियमों के उल्लंघनों पर जोर दिया गया था और यूट्यूब, इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से वित्तीय लाभ की संभावना के बारे में चिंता व्यक्त की गई थी.
इससे पहले, केजीएमओए ने परिपत्र की निंदा करते हुए सोशल मीडिया गतिविधि से संबंधित स्वास्थ्य विभाग के प्रतिबंधों को संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) में निहित भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन बताया था.
केजीएमओए ने कहा था, 'यह बेहद आपत्तिजनक है कि आदेश ऐसे समय में जारी किया गया है जब सरकारी कर्मचारियों सहित कई स्वास्थ्यकर्मी स्वास्थ्य क्षेत्र में झूठे और अवैज्ञानिक तथ्यों के खिलाफ विज्ञान आधारित जानकारी और सार्वजनिक स्वास्थ्य की बेहतरी के संबंध में सोशल मीडिया के जरिये जनता को जागरुक करने का प्रयास कर रहे हैं.' केजीएमओए ने स्वास्थ्य विभाग के दृष्टिकोण की आलोचना करते हुए अधिकारियों से आदेश को तुरंत वापस लेने और आधुनिक युग के सिद्धांतों के अनुरूप उपायों को अपनाने का आग्रह किया था.
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