श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर की श्रीनगर लोकसभा सीट पर चौथे चरण में 13 मई को मतदान होगा. इस बार करीब 24 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और अपनी पार्टी जैसे प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ-साथ कई निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में हैं. निर्दलीय प्रत्याशी डॉ. काजी अशरफ ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि चुनाव लड़ने का उनका उद्देश्य शिक्षित लोगों को वोट देने के लिए प्रोत्साहित करना है, जो अब तक चुनाव बहिष्कार करते आ रहे हैं.
डॉ. अशरफ का मानना है कि अगर उनमें से एक हिस्सा भी मतदान में भाग लेता है तो उनका मिशन पूरा हो जाएगा, क्योंकि जीत या हार उनके लिए कोई मायने नहीं रखती. उन्होंने बेहतर प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए लोगों को राजनीतिक प्रक्रिया में भाग लेने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि जब तक लोग राजनीतिक प्रक्रिया में खुलकर भाग नहीं लेंगे, तब तक हमारा राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक भविष्य सुधर सकता है और न ही हमारी पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित हो सकता है.
उन्होंने कहा कि व्यापार और राजनीतिक अभियानों में निवेश के बीच कई समानताएं हैं. चुनाव जीतने के बाद लोग ज्यादा से ज्यादा पैसे जुटाने में लग जाते हैं. उन्होंने उन नेताओं की आलोचना की, जो सांसद बनने के बाद मतदाताओं से किए वादे भूल जाते हैं.
जम्मू-कश्मीर के साथ विश्वासघात था अनुच्छेद 370
अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के संबंध में डॉ. अशरफ ने भाजपा, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी से अलग राय व्यक्त की. उन्होंने अनुच्छेद 370 को 1947 से जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ किया गया एक ऐतिहासिक विश्वासघात बताया. उन्होंने ऐसे उदाहरणों पर प्रकाश डाला, जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर की चुनी हुई सरकार के साथ हस्तक्षेप किया.
डॉ. अशरफ कैंसर रोग विशेषज्ञ हैं. उन्होंने कई साल पहले सरकारी नौकरी के बाद निजी प्रैक्टिस को तरजीह दी थी. वह श्रीनगर के एक निजी अस्पताल में कैंसर रोगियों का इलाज करते हैं.
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