जयपुर. एआई टेक्नोलॉजी मुश्किल में डाल रही है. इसकी वजह से निजी जिंदगी सुरक्षित नहीं है और तो और अपराध करने का तरीका भी बदल गया है. यह कहना है जस्टिस एस मुरलीधर का. शनिवार को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में शामिल हुए जस्टिस एस मुरलीधर ने 'जस्टिस द वॉयस ऑफ द वॉयसलेस' सेशन में अपनी बात रखते हुए उन्होंने ये बातें कही. वहीं, सेशन में शामिल हुई प्रो. सीतल कलंट्री ने कहा कि 64 हजार लोग हर साल कोर्ट आते हैं. इनमें से 10 फसदी मामलों की ही सुनवाई पूरी हो पाती है. साथ ही उन्होंने कहा कि 75 साल में 200 से ज्यादा जस्टिस बने, लेकिन सिर्फ 11 से 14 महिला जज ही सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश बन पाई.
तो सुप्रीम कोर्ट को मिले राहत : जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के फ्रंट लॉन में आयोजित सेशन में सीतल कलंट्री, जस्टिस एस मुरलीधर के साथ ही जस्टिस मदन बी लोकुर और अपर्णा चंद्र के अलावा चीफ जस्टिस राघवेन्द्र चौहान ने निर्धारित विषयों पर संवाद किया. सेशन के दौरान अपर्णा चंद्र ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में कई केसेस ऐसे आते हैं, जो लोअर कोर्ट के होते हैं. निचली अदालतें यदि मामले सुलझाएं तो सुप्रीम कोर्ट को राहत मिले. वहीं, चीफ जस्टिस राघवेन्द्र चौहान ने कहा कि ये सही है कि कोर्ट में बड़ी संख्या में केसेस पेंडिंग हैं, जिन्हें सही गाइडलाइन के साथ सुलझाया जा सकता है.
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एआई टेक्नोलॉजी ने बढ़ाई परेशानी : सत्र के दौरान साइन लैंग्वेज का उपयोग होने की तारीफ करते हुए जस्टिस एस मुरलीधर ने कहा कि यह एक बेहतर प्रयोग है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में 10 मिलियन केस 17 बैंच है. 10 साल में प्राथमिकता के साथ केसेस को निपटाया गया है. वहीं, उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर बात करते हुए कहा कि एआई टेक्नोलॉजी मुश्किल में डाल रही है. इसकी वजह से निजी जिंदगी सुरक्षित नहीं है और तो और अपराध करने का तरीका भी बदल गया है. इसलिए सभी को टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बड़ी सावधानी से करना चाहिए.
लंबे वेकेशन के सवाल पर बोले जस्टिस मुरलीधर : वहीं, कोर्ट में चलने वाले लंबे वेकेशन के सवाल पर जस्टिस मुरलीधर ने कहा कि लोगों को यह लगता है कि 4:30 बजे कोर्ट बंद हो जाता है. सही मायने में आम लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है, लेकिन उन्होंने अपने एक्सपीरियंस का हवाला देते हुए कहा कि जज कई कमेटियों में होते हैं. एडमिनिस्ट्रेशन वर्क होता है. कई तरह के रूटीन वर्क होते हैं, जो कोर्ट रूम के बाहर के होते हैं. वो खुद रात 9 बजे या 9:30 बजे तक कोर्ट परिसर में रहे हैं. यह आसान नहीं है.