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झारखंड में JDU को इस बार खाता खुलने की उम्मीद: नीतीश को खीरु, सरयू और राजा पीटर पर भरोसा

झारखंड के पिछले विधानसभा चुनाव में जदयू का खाता भी नहीं खुला था. इसबार खीरु महतो, सरयू राय और राजा पीटर से बहुत उम्मीद है.

jharkhand assembly election
झारखंड विधानसभा चुनाव. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 14 hours ago

पटना: राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करना नीतीश कुमार का बड़ा सपना रहा है, लेकिन झारखंड में सीटों की राजनीति ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया. 11 सीटों पर चुनाव लड़ने की चाह रखने वाली जदयू को सीट शेयरिंग में मात्र 2 सीटें ही मिल पाईं. पिछले दो विधानसभा चुनावों में पार्टी का खाता भी नहीं खुला था, लेकिन इस बार नीतीश को खीरु महतो, सरयू राय और राजा पीटर से खास उम्मीदें हैं. ये तीन नेता झारखंड में जदयू का खाता खोलने की मजबूत कड़ी साबित हो सकते हैं.

नीतीश की उम्मीदः झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए 13 और 20 नवंबर को मतदान होना है. एनडीए में सीट शेयरिंग हो गयी. भाजपा 68 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. आजसू को 10, लोजपा (आर) को एक और जदयू को दो सीट गयी है. झारखंड चुनाव से पहले जदयू में सरयू राय और राजा पीटर शामिल हुए थे. खीरू महतो को झारखंड का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है और राज्यसभा में भी भेजा गया.अब, नीतीश कुमार इन तीनों नेताओं के भरोसे झारखंड की नैया पार करना चाहते हैं.

Jharkhand assembly election
झारखंड में जदयू का कार्यक्रम. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

"11 सीटों की सूची हम लोगों ने दी थी. बाद में सरयू राय भी आ गए तो 12 सीट हो गयी. पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा तालमेल को लेकर बातचीत कर रहे थे. दो सीट ही तालमेल में मिला है. हम लोग उस पर चुनाव लड़ रहे हैं."- खीरु महतो, झारखंड जदयू के प्रदेश अध्यक्ष

खीरु को आगे बढ़ायाः नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह का टिकट काटकर उनकी जगह खीरु महतो को राज्यसभा भेजा था. पार्टी के नेताओं ने उस समय कहा था कि झारखंड में जदयू को मजबूत करना है. हालांकि जदयू उस समय महागठबंधन में था, लेकिन अब स्थिति बदल गई है. नीतीश कुमार एनडीए के साथ है. खीरु महतो ने झारखंड में जदयू संगठन को मजबूत करने का दावा किया है. 24 जिले में संगठन को खड़ा करने की बात कर रहे हैं. पांच विधानसभा में कार्यक्रम भी हो चुका है.

सरयू ने थामा जदयू का दामनः खीरू महतो जदयू के लिए झारखंड में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. चर्चा है वह अपने बेटे के लिए टिकट चाहते थे. साथ ही पार्टी के नेता जो लंबे समय से उम्मीद लगाए हुए थे उनके लिए भी टिकट चाहते थे, लेकिन बीजेपी ने दो सीट ही दी है. चुनाव से ठीक पहले झारखंड के दिग्गज नेता सरयू राय जदयू में शामिल हो गए हैं. सरयू राय, नीतीश कुमार के मित्र हैं. सिटिंग विधायक हैं, तो इसलिए चुनाव लड़ रहे हैं. सरयू राय तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को हराकर चुनाव जीते थे.

Jharkhand assembly election
झारखंड में जदयू का कार्यक्रम. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

राजा पीटर पर बड़ा दांवः सरयू राय के अलावे राजा पीटर भी हाल ही में जदयू में शामिल हुए हैं. राजा पीटर झारखंड के चर्चित नेताओं में से हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को राजा पीटर ने हराया था. इसलिए दूसरी सीट पर राजा पीटर चुनाव लड़ रहे हैं. नीतीश कुमार झारखंड विधानसभा चुनाव में खीरू महतो के अलावे सरयू राय और राजा पीटर पर इस बार दांव लगाया है.

झारखंड में सरकार बनाना प्राथमिकताः नीतीश कुमार के नजदीकी एमएलसी संजय गांधी का भी कहना है "खीरु महतो तो हमारे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं, सरयू राय और राजा पीटर के आने से पार्टी को मजबूती मिली है. एनडीए के साथ मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं." जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने कहा कि "लार्जर इश्यू झारखंड में सरकार बनाना है. प्रदेश यूनिट तो चाहता ही है अधिक सीटों पर चुनाव लड़ें, लेकिन हम लोग गठबंधन में चुनाव लड़कर वहां सरकार बनाएंगे."

झारखंड में खाता खुलने की उम्मीदः राजनीतिक विश्लेषक प्रिय रंजन भारती का कहना है कि सरयू राय, राजा पीटर और खीरू महतो के भरोसे नीतीश कुमार झारखंड में इस बार खाता खोलना चाहते हैं. 2019 और 2014 में जदयू अकेले चुनाव लड़ी थी पर एक भी उम्मीदवार जीत नहीं पाया. सबकी जमानत जब्त हो गई थी. प्रिय रंजन भारती का कहना है कि नीतीश कुमार बिहार में पिछले दो दशक से सत्ता के केंद्र बिंदु में हैं. जदयू को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाना उनका सपना है. इसीलिए जहां भी चुनाव होता है वहां उम्मीदवार उतारते हैं.

"जदयू को बिहार के अलावे मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा मिला हुआ है. एक और राज्य में राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा मिल जाए तो जदयू को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त हो जाएगा. नीतीश कुमार इस बार झारखंड में सरयू राय, राजा पीटर और खीरू महतो के सहारे इसे हासिल करना चाहते थे. लेकिन बीजेपी ने अधिक सीट नहीं दी."- प्रिय रंजन भारती, राजनीतिक विश्लेषक

झारखंड में घट रही जदयू की ताकतः झारखंड की पहली सरकार बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में बनी थी. समता पार्टी के पांच और जनता दल के एक विधायक मंत्री बने थे. 2003 में समता पार्टी का जनता दल में विलय हो गया, जो जदयू बना. 2005 के चुनाव में जदयू ने 16 उम्मीदवार खड़े किए थे. 6 जीती और 4% वोट मिला था. 2009 के विधानसभा चुनाव में जदयू दो सीट जीती. वोट प्रतिशत भी घटकर 2.78% हो गया. 2014 और 2019 के चुनाव में एक भी सीट पर जीत नहीं मिली. वोट प्रतिशत भी घटा.

नीतीश के खास लोग झारखंड चुनाव में सक्रियः झारखंड जदयू की कमान नीतीश कुमार के खास मंत्री अशोक चौधरी के पास है. बीजेपी से तालमेल में जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह की बड़ी भूमिका रही. नीतीश कुमार के एक और खास मंत्री श्रवण कुमार लगातार झारखंड का दौरा कर रहे हैं. झारखंड चुनाव को देखते हुए एक सह प्रभारी भी बनाया गया है. नीतीश कुमार अपने सभी प्रमुख नेताओं को झारखंड चुनाव में झोंक दिया है.

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नीतीश की उम्मीदः झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए 13 और 20 नवंबर को मतदान होना है. एनडीए में सीट शेयरिंग हो गयी. भाजपा 68 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. आजसू को 10, लोजपा (आर) को एक और जदयू को दो सीट गयी है. झारखंड चुनाव से पहले जदयू में सरयू राय और राजा पीटर शामिल हुए थे. खीरू महतो को झारखंड का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है और राज्यसभा में भी भेजा गया.अब, नीतीश कुमार इन तीनों नेताओं के भरोसे झारखंड की नैया पार करना चाहते हैं.

Jharkhand assembly election
झारखंड में जदयू का कार्यक्रम. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

"11 सीटों की सूची हम लोगों ने दी थी. बाद में सरयू राय भी आ गए तो 12 सीट हो गयी. पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा तालमेल को लेकर बातचीत कर रहे थे. दो सीट ही तालमेल में मिला है. हम लोग उस पर चुनाव लड़ रहे हैं."- खीरु महतो, झारखंड जदयू के प्रदेश अध्यक्ष

खीरु को आगे बढ़ायाः नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह का टिकट काटकर उनकी जगह खीरु महतो को राज्यसभा भेजा था. पार्टी के नेताओं ने उस समय कहा था कि झारखंड में जदयू को मजबूत करना है. हालांकि जदयू उस समय महागठबंधन में था, लेकिन अब स्थिति बदल गई है. नीतीश कुमार एनडीए के साथ है. खीरु महतो ने झारखंड में जदयू संगठन को मजबूत करने का दावा किया है. 24 जिले में संगठन को खड़ा करने की बात कर रहे हैं. पांच विधानसभा में कार्यक्रम भी हो चुका है.

सरयू ने थामा जदयू का दामनः खीरू महतो जदयू के लिए झारखंड में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. चर्चा है वह अपने बेटे के लिए टिकट चाहते थे. साथ ही पार्टी के नेता जो लंबे समय से उम्मीद लगाए हुए थे उनके लिए भी टिकट चाहते थे, लेकिन बीजेपी ने दो सीट ही दी है. चुनाव से ठीक पहले झारखंड के दिग्गज नेता सरयू राय जदयू में शामिल हो गए हैं. सरयू राय, नीतीश कुमार के मित्र हैं. सिटिंग विधायक हैं, तो इसलिए चुनाव लड़ रहे हैं. सरयू राय तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को हराकर चुनाव जीते थे.

Jharkhand assembly election
झारखंड में जदयू का कार्यक्रम. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

राजा पीटर पर बड़ा दांवः सरयू राय के अलावे राजा पीटर भी हाल ही में जदयू में शामिल हुए हैं. राजा पीटर झारखंड के चर्चित नेताओं में से हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को राजा पीटर ने हराया था. इसलिए दूसरी सीट पर राजा पीटर चुनाव लड़ रहे हैं. नीतीश कुमार झारखंड विधानसभा चुनाव में खीरू महतो के अलावे सरयू राय और राजा पीटर पर इस बार दांव लगाया है.

झारखंड में सरकार बनाना प्राथमिकताः नीतीश कुमार के नजदीकी एमएलसी संजय गांधी का भी कहना है "खीरु महतो तो हमारे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं, सरयू राय और राजा पीटर के आने से पार्टी को मजबूती मिली है. एनडीए के साथ मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं." जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने कहा कि "लार्जर इश्यू झारखंड में सरकार बनाना है. प्रदेश यूनिट तो चाहता ही है अधिक सीटों पर चुनाव लड़ें, लेकिन हम लोग गठबंधन में चुनाव लड़कर वहां सरकार बनाएंगे."

झारखंड में खाता खुलने की उम्मीदः राजनीतिक विश्लेषक प्रिय रंजन भारती का कहना है कि सरयू राय, राजा पीटर और खीरू महतो के भरोसे नीतीश कुमार झारखंड में इस बार खाता खोलना चाहते हैं. 2019 और 2014 में जदयू अकेले चुनाव लड़ी थी पर एक भी उम्मीदवार जीत नहीं पाया. सबकी जमानत जब्त हो गई थी. प्रिय रंजन भारती का कहना है कि नीतीश कुमार बिहार में पिछले दो दशक से सत्ता के केंद्र बिंदु में हैं. जदयू को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाना उनका सपना है. इसीलिए जहां भी चुनाव होता है वहां उम्मीदवार उतारते हैं.

"जदयू को बिहार के अलावे मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा मिला हुआ है. एक और राज्य में राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा मिल जाए तो जदयू को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त हो जाएगा. नीतीश कुमार इस बार झारखंड में सरयू राय, राजा पीटर और खीरू महतो के सहारे इसे हासिल करना चाहते थे. लेकिन बीजेपी ने अधिक सीट नहीं दी."- प्रिय रंजन भारती, राजनीतिक विश्लेषक

झारखंड में घट रही जदयू की ताकतः झारखंड की पहली सरकार बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में बनी थी. समता पार्टी के पांच और जनता दल के एक विधायक मंत्री बने थे. 2003 में समता पार्टी का जनता दल में विलय हो गया, जो जदयू बना. 2005 के चुनाव में जदयू ने 16 उम्मीदवार खड़े किए थे. 6 जीती और 4% वोट मिला था. 2009 के विधानसभा चुनाव में जदयू दो सीट जीती. वोट प्रतिशत भी घटकर 2.78% हो गया. 2014 और 2019 के चुनाव में एक भी सीट पर जीत नहीं मिली. वोट प्रतिशत भी घटा.

नीतीश के खास लोग झारखंड चुनाव में सक्रियः झारखंड जदयू की कमान नीतीश कुमार के खास मंत्री अशोक चौधरी के पास है. बीजेपी से तालमेल में जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह की बड़ी भूमिका रही. नीतीश कुमार के एक और खास मंत्री श्रवण कुमार लगातार झारखंड का दौरा कर रहे हैं. झारखंड चुनाव को देखते हुए एक सह प्रभारी भी बनाया गया है. नीतीश कुमार अपने सभी प्रमुख नेताओं को झारखंड चुनाव में झोंक दिया है.

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