जम्मू: जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए पुलिस ने भी कमर कस ली है. इसी दिशा में आतंकवादियों के समर्थकों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया है. ऐसे लोगों के खिलाफ एनिमी एजेंट्स एक्ट लगाया जाएगा. जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (DGP) आरआर स्वाईं ने रविवार को सख्त लहजे में कहा कि जो लोग आतंकवादियों का समर्थन करते पाए जाएंगे उनके खिलाफ एनिमी एजेंट्स एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी. यह कानून गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम से कहीं अधिक कठोर है.
एनिमी एजेंट्स एक्ट में मृत्युदंड की सजा का प्रावधान: आरआर स्वाईं ने कहा, 'जम्मू-कश्मीर में एनिमी एजेंट्स एक्ट नामक एक विशेष कानून है. ये उस वक्त बनाया गया जब विदेशी हमलावर विशेष रूप से पाकिस्तानी, भारत में प्रवेश करके व्यवस्था को अस्थिर करने का प्रयास करते थे. जो लोग ऐसे आतंकवादियों का समर्थन करते हैं उन्हें एनिमी एजेंट्स कहा जाएगा तथा दुश्मन एजेंटों के लिए न्यूनतम सजा आजीवन कारावास और मृत्युदंड है.
स्वाईं ने संवाददाताओं से कहा, 'यह यूएपीए से भी अधिक कठोर कानून है.' उन्होंने कहा, 'यह कानून विदेशी लड़ाकों और विशेषकर पाकिस्तान से आने वाले हमलावरों से निपटने के लिए बनाया गया था, जो यहां आते हैं और सरकार को परेशान करने तथा अस्थिर करने का प्रयास करते हैं.' यह पूछे जाने पर कि क्या प्रशिक्षित पाकिस्तानी कमांडो भी जम्मू-कश्मीर में हो रही आतंकवादी गतिविधियों का हिस्सा हैं, स्वाईं ने कहा कि जहां तक हमारा सवाल है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, यह वास्तव में रणनीति का मामला है.
स्वाईं ने कहा, 'खैर हमारी समझ यह है कि चूंकि वे आमतौर पर जीवित नहीं पकड़े जाते. इसलिए हम मानते हैं कि वे तब पकड़े जाएंगे जब हमें पूरी सच्चाई पता चल जाएगी. उस समय तक जिस तरह से वे लड़ रहे हैं या वे आतंक फैला रहे हैं, वे राह चलते किसी व्यक्ति को भी मारने में संकोच नहीं करते, इसलिए जहां तक हमारा सवाल है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, यह वास्तव में रणनीति का मामला है.'
उन्होंने कहा,'हमारे लिए वह दुश्मन है, चाहे वह वर्दीधारी पृष्ठभूमि से आया हो, या जेल से या आतंक की फैक्ट्री से, हम ऐसे दुश्मन को हरा देंगे और अगर उन्हें लगता है कि हम सिर्फ नुकसान के डर से पीछे हट रहे हैं, तो वे गलत हैं.' उनका यह बयान पिछले दो हफ्तों में जम्मू-कश्मीर में हुई कई आतंकी घटनाओं के मद्देनजर आया है. डीजीपी ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट के आतंकवाद को बढ़ावा देने का माध्यम बनने पर चिंता व्यक्त की.
उन्होंने कहा, 'इंटरनेट जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा देने का माध्यम बनता जा रहा है. अगर मैं ऐसा बयान देता हूं, तो मैं सच्चाई से बहुत दूर नहीं हूं. साइबर अपराध अपने संदर्भ में व्यापक है. यह सभी अन्य पारंपरिक अपराधों में शामिल हो सकता है.'