Indore Water Crisis: आज 22 मार्च को वर्ल्ड वाटर डे है. पानी का महत्व समझने के लिए सन 1993 में विश्व जल दिवस की शुरुआत हुई थी. तब से हर साल 22 मार्च को वर्ल्ड वाटर डे मनाया जाता है. पृथ्वी पानी से घिरी होने के बाद भी भारत सहित कई देश पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं. बात की जाए मध्य प्रदेश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर की तो यहां क लगातार गिरता जलस्तर बड़ी समस्या बन गया है. यहां पानी की किल्लत बढ़ती जा रही है.
देश के औद्योगिक शहरों में शुमार और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला शहर इंदौर जल्द दूसरा बेंगलुरु बन जाएगा. मगर यह किसी पॉजिटिव कारण से नहीं बल्कि लगातार खराब हो रहे भूजल स्तर की वजह से आईटी सिटी की बराबरी कर सकता है. दरअसल इंदौर में इस समय पानी की किल्लत भयानक स्तर पर गामजन है. यहां तेजी से बढ़ती आबादी और भूजल के अनियंत्रित और ज्यादा दोहन की वजह से इंदौर में भी बैंगलुरू जैसे हालात बनने लगे हैं. कभी पानी से लबालब रहने वाला मालवा अंचल का इंदौर शहर अब भूमिगत जल के रेड जोन में आ गया है, लगातार गिरते जलस्तर के कारण यहां जिला प्रशासन ने मॉनसून आने तक नई बोरिंग पर रोक लगा दी है. वहीं, वॉटर रिचार्ज के साथ परंपरागत जल स्रोतों को सहेजने की कोशिश एक बार फिर की जा रही है.
160 मीटर नीचे पहुंचा जलस्तर
दरअसल, देश के अन्य महानगरों की तरह ही इंदौर में बढ़ते सीमेंटीकरण और घटते वन क्षेत्र की वजह से भूमिगत जल स्तर लगातार गिर रहा है. हाल ही में आई सेंट्रल ग्राउंडवॉटर बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक इंदौर जिले में भूमि का जलस्तर 2012 में 150 मीटर था, वह 2023 में 160 मीटर (तकरीबन 560 फीट) नीचे जा चुका है. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि इस इलाके में भूमिगत जल का इस्तेमाल 120 परसेंट तक पहुंच गया है. यही स्थिति रही तो 2030 तक भूमिगत जलस्तर 200 मीटर नीचे चला जाएगा और इंदौर में भयानक जल संकट की स्थिति निर्मित हो जाएगी.
मॉनसून तक बोरिंग करना गैरकानूनी
इस खतरनाक स्थिति को देखते हुए इंदौर जिला प्रशासन ने 18 मार्च से 30 जून तक सभी प्रकार के बोरिंग उत्खनन पर रोक लगा दी है. इस अवधि में जो भी व्यक्ति जिले की सीमा में वैध या अवैध तरीके से बोरिंग करता हुआ पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी. इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह के मुताबिक इमरजेंसी होने पर एडीएम की अनुमति लेकर बोरिंग कराई जा सकेगी.
न बनें बेंगलुरू जैसे हालात
अब जबकि इंदौर में भी बेंगलुरु की तरह जल संकट गहरा रहा है, तो इंदौर नगर निगम ने भी पानी की आपूर्ति के लिए टैंकरों की निगरानी और दुरुपयोग पर कार्रवाई की तैयारी कर ली है. इसके अलावा अब शहर भर में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य किया जा रहा है. कोशिश की जा रही है कि जिन घरों की छत 1500 वर्ग फीट है, उनमें आवश्यक रूप से रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जाए. इसके लिए इंदौर नगर निगम और संबंधित स्वयंसेवी संगठनों के माध्यम से एक बार फिर अभियान चलाए जाने की तैयारी हो रही है.
जलसंकट पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ
इस स्थिति को लेकर भूजल व पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. दिलीप वागेला ने कहा, ' इंदौर जिले में लगातार होते निर्माण और सीमेंटीकरण से भूमिगत जल में कमी आई है. इसके अलावा इंदौर जिले में वृक्षारोपण में कमी आई है और सघन वन क्षेत्र भी घटा है. ऐसी स्थिति में बारिश के दौरान भी पानी भूमि में सोखे जाने की बजाय सड़कों के रास्ते ड्रेनेज में बह जाता है. वहीं जिले के जिन क्षेत्रों में अधिक बारिश होती थी उन इलाकों में भी बड़ी संख्या में निर्माण कार्य हो चुके हैं. इसके साथ पानी का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है.'