जयपुर. 25 फरवरी से बीकानेर में भारत और जापान के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरू होगा. संयुक्त राष्ट्र की कवायद के तहत दोनों देशों की सेनाएं पांचवीं बार मिलकर यह युद्ध अभ्यास करेंगी, ताकि दोनों देशों के बीच अंतर संवाद में इजाफे के अलावा बेहतर तालमेल स्थापित किया जा सके.
इस दौरान जापानीज ग्राउण्ड सेल्फ डिफेंस फोर्सेज पहली बार रेगिस्तान की परिस्थितियों के बीच युद्धाभ्यास में भाग लेगी. युद्धाभ्यास के जरिए भारतीय सेना को जापान की पूर्वी चीन सागर में चीन के विरुद्ध रणनीति समझने में मदद मिलेगी. जिससे भारत हिंद महासागर में चीन के विरुद्ध अपनी रणनीति को मजबूत बना सके. गौरतलब है कि हाल ही में महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में भारतीय सेना ने संयुक्त अरब अमीरात की सेना के साथ युद्धाभ्यास डेजर्ट साइक्लोन में भाग लिया था.
दो हफ्ते चलेगा युद्ध अभ्यास : रक्षा प्रवक्ता के मुताबिक धर्म गार्जियन करीब 14 दिन तक चलेगा. भारत और जापान की सेना के बीच सबसे पहले साल 2018 में मिजोरम में युद्धाभ्यास हुआ था. इसके बाद साल 2019 में भी मिजोरम में युद्धाभ्यास का दूसरा सीजन पूरा हुआ था. वर्ष 2022 में कर्नाटक के बेलगांव में युद्धाभ्यास करने के बाद बीते साल भारतीय सेना युद्धाभ्यास में भाग लेने जापान के इमाजू शहर पहुंची थी.
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फिजिकल फिटनेस पर भी रहेगा फोकस : भारत और जापान के संयुक्त अभ्यास में दोनों सेनाओं के बीच अंतर- संचालन क्षमता, संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत सामरिक संचालन करने की रणनीति, युद्ध तकनीक और गतिविधि में बेहतर अनुभव को साझा करना होगा. इस दौरान उच्च स्तर की फिजिकल फिटनेस पर भी ध्यान रहने वाला है. समुद्री जलवायु होने की वजह से जापान में मरुस्थल जैसी हालांकि शुष्क परिस्थितियां नहीं हैं, लेकिन वहां टोटोरी बालू का टीला काफी प्रसिद्ध है, जिसको देखने हजारों पर्यटक आते हैं. ऐसे में थार की रेगिस्तान में जब जापान की सेना भारतीय सेना के साथ युद्ध अभ्यास करेगी, तो यह उनके लिए नया अनुभव होगा.