नई दिल्ली: भारत और वियतनाम ने हाल ही में वियतनाम के हनोई में चौथी भारत-वियतनाम समुद्री सुरक्षा वार्ता में भाग लिया. इसका मुख्य उद्देश्य समुद्री गतिविधियों और कानून प्रवर्तन में अपने सहयोग को मजबूत करना था. विदेश मंत्रालय के मुताबिक दोनों देशों के बीच चर्चा एक अच्छे माहौल पर हुई. इस दौरान पारस्परिक विकास को बढ़ावा देने और वैश्विक कल्याण में योगदान देने पर जोर दिया गया.
निरस्त्रीकरण एवं अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के संयुक्त सचिव मुआनपुई सैयावी के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने वियतनाम का प्रतिनिधित्व करने वाले राष्ट्रीय सीमा आयोग के उपाध्यक्ष त्रिन्ह डुक हाई के साथ अपने चल रहे समुद्री सहयोग का गहन मूल्यांकन किया. साथ ही अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय दोनों मंचों पर संयुक्त प्रयासों के संभावित अवसरों पर विचार-विमर्श किया. दोनों ही देशों ने अपनी साझेदारी को बढ़ाने के लिए, समुद्री वैज्ञानिक अनुसंधान, महासागर अर्थव्यवस्था, मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR), नौसेना और तटरक्षक सहयोग, और समुद्री कानून प्रवर्तन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अपने प्रयासों को तेज करने की प्रतिबद्धता जताई.
वार्ता का अगला सत्र नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा. यह वार्ता वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चीन्ह की हाल की भारत यात्रा के बाद हो रही है, जिसके दौरान नेताओं ने न केवल वर्तमान भू-राजनीतिक वास्तविकताओं के मद्देनजर घनिष्ठ संबंधों की अनिवार्यता पर बल दिया, बल्कि वियतनाम-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता भी व्यक्त की. प्रधानमंत्रियों ने अपने वैश्विक दृष्टिकोणों में समानता को स्वीकार किया तथा अंतरराष्ट्रीय मामलों में वैश्विक दक्षिण की अधिक बड़ी भूमिका पर जोर दिया.
उन्होंने अपने देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने वाले बहुआयामी तंत्रों की भी सराहना की और विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय वार्ता को मजबूत करने का संकल्प लिया. साथ ही 2024 से 2028 तक व्यापक रणनीतिक साझेदारी के लिए कार्य योजना पर हस्ताक्षर करने का भी समर्थन किया. भारत और वियतनाम के बीच मजबूत और बढ़ते संबंध हैं, जो साझा ऐतिहासिक संबंधों के अलावा सांस्कृतिक आदान-प्रदान और समान रणनीतिक हितों पर आधारित हैं.
द्विपक्षीय संबंध विशेषकर रक्षा सहयोग, व्यापर और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में लगातार विकसित हो रहे हैं. गौरतलब है कि भारत और वियतनाम के संबंध 2,000 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं. इसमें प्राचीन समुद्री व्यापार मार्ग और भारत से वियतनाम तक बौद्ध धर्म का प्रसार शामिल है. इस सांस्कृतिक आधारशिला ने आधुनिक राजनयिक संबंधों की आधारशिला रखी है. दोनों देशों ने शैक्षिक संबंधों और कला एवं साहित्य में सहयोग सहित मजबूत सांस्कृतिक आदान-प्रदान बनाए रखा है. पिछले कुछ दशकों में उन्होंने अपने रक्षा सहयोग को काफी मजबूत किया है. इसमें नियमित उच्च-स्तरीय यात्राएं, संयुक्त सैन्य अभ्यास और रक्षा प्रौद्योगिकियों का आदान-प्रदान शामिल है.
दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा के महत्व पर जोर देते हैं. इसके अलावा वे नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने और समुद्री डकैती तथा क्षेत्रीय विवादों जैसी आम चुनौतियों का समाधान करने के लिए सहयोग करते हैं. भारत वियतनामी सैन्यकर्मियों को विशेषकर पनडुब्बी संचालन और भाषा प्रशिक्षण जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है. भारत और वियतनाम के बीच द्विपक्षीय व्यापार तेजी से बढ़ा है और हाल के वर्षों में यह लगभग 15 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है.
व्यापार के प्रमुख क्षेत्रों में कपड़ा, फार्मास्यूटिकल्स, कृषि उत्पाद और इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं. भारतीय कंपनियां वियतनाम में ऊर्जा, आईटी और विनिर्माण सहित विभिन्न क्षेत्रों में निवेश कर रही हैं. वियतनाम की रणनीतिक स्थिति और बढ़ती अर्थव्यवस्था इसे भारतीय निवेशकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाती है. भारतीय प्रधानमंत्री और वियतनामी राष्ट्रपति की यात्राओं सहित नियमित उच्च स्तरीय आदान-प्रदानों से राजनीतिक संबंधों को मजबूत बनाने में मदद मिली है. भारत और वियतनाम आसियान, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन और संयुक्त राष्ट्र जैसे क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर निकटता से सहयोग करते हैं.
इतना ही नहीं वे एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए एक साझा दृष्टिकोण साझा करते हैं. हालांकि वियतनाम क्वाड का सदस्य नहीं है, लेकिन वह क्षेत्रीय सुरक्षा, विशेष रूप से दक्षिण चीन सागर में भारत के साथ चिंता साझा करता है, जहां दोनों देशों की स्थिरता सुनिश्चित करने और अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करने में रुचि है. भारत ने वियतनाम को उसके अंतरिक्ष प्रयासों में सहयोग दिया है, जिसमें उपग्रह प्रक्षेपण और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में क्षमता निर्माण में सहायता भी शामिल है. आईटी, फार्मास्यूटिकल्स और जैव प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग हुआ है, जहां भारतीय विशेषज्ञता वियतनाम की क्षमताओं को विकसित करने में मदद कर रही है.
दोनों देशों को क्षेत्र में खासकर दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामकता से जुड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इस साझा चिंता ने उनकी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत किया है. नवीकरणीय ऊर्जा, डिजिटल अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे के विकास जैसे क्षेत्रों में इस संबंध के और अधिक विस्तारित होने की संभावना है. भारत और वियतनाम के रिश्ते लगातार मजबूत हो रहे हैं, क्योंकि दोनों देश क्षेत्रीय भूराजनीति की जटिलताओं से निपटते हुए आर्थिक संबंधों और रक्षा सहयोग को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं.
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