देहरादून (रोहित सोनी): डिजिटलाइजेशन के इस युग में हैकिंग एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. टेलीकम्युनिकेशन के क्षेत्र में आज हैकिंग के जरिए साइबर ठगी के मामले काफी देखे जा रहे हैं. इन घटनाओं पर लगाम लगाए जाने को लेकर भारत सरकार तमाम बड़ी पहल कर रही है.
वहीं अब ऊर्जा के क्षेत्र में भी देश भर के पावर प्लांट को नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर (एनएलडीसी) से मिलने वाले सिग्नल को हैकिंग से बचाते हुए सिक्योर किया जा सके इस पर जोर दिया जा रहा है. इसको लेकर उत्तराखंड स्थित आईआईटी रुड़की ने हैक फ्री हाइड्रो प्लांट कंट्रोल सिस्टम को डेवलप किया है.
आखिर क्या है हैक फ्री हाइड्रो प्लांट कंट्रोल सिस्टम और ये कैसे काम करता है? देखिए ईटीवी भारत की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट.
टिहरी पावर प्लांट के सिग्नल होंगे हैक फ्री: भारत सरकार का एनएलडीसी (National Load Dispatch Centre) एक ऐसा केंद्र है, जो देश में में बिजली व्यवस्था के संचालन को मैनेज करता है. यानी यह सेंटर देश में मौजूद सभी पावर प्लांट्स को एजीसी सिग्नल (Automatic gain control) भेज कर ऊर्जा को संतुलित करने के लिए जनरेटर के आउटपुट को समायोजित करता है.
इसके अलावा एनएलडीसी तमाम अन्य दिशा निर्देशों के साथ ही सुझाव भी पावर प्लांट्स को देता है. लेकिन जिस तरह से देश दुनिया में हैकिंग खास का टेलीकम्युनिकेशन के क्षेत्र में एक गंभीर समस्या बनती जा रही है, इसका असर ऊर्जा के क्षेत्र में ना पड़े, इसको लेकर आईआईटी रुड़की ने प्रोजेक्ट तैयार किया है.
मुख्य रूप से आईआईटी रुड़की की ओर से तैयार-
हैक फ्री हाइड्रो प्लांट कंट्रोल सिस्टम, उत्तराखंड स्थित टिहरी पावर प्लांट के सिग्नल को हैक फ्री करने के लिए किया गया है. ताकि भविष्य में टिहरी पावर प्लांट को एनएलडीसी से मिलने वाला सिग्नल हैक ना हो.
ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत करते हुए आईआईटी रुड़की के रिसर्च एसोसिएट डॉ पुलकराज आर्यन ने बताया कि-
आईआईटी रुड़की ने जो हैक फ्री हाइड्रो प्लांट कंट्रोल सिस्टम डेवलप किया है, ये टीएचडीसी (टिहरी हाइड्रो डेवलेपमेंट कॉरपोरेशन) स्पॉन्सर्ड है. टीएचडीसी की ओर से आईआईटी रुड़की को ये बताया गया कि वो एजीसी (Automatic generation control) में पार्टिसिपेट करते हैं. यानी दिल्ली स्थित एनएलडीसी, देश में मौजूद सभी हाइड्रो पावर प्लांट को एजीसी सिग्नल भेजते हैं कि किस हाइड्रो पावर प्लांट को कितना विद्युत उत्पादन करना है. ऐसे में एनएलडीसी जो एजीसी सिग्नल सभी पावर प्लांट्स को भेजता है, उसको ऑप्टिकल फाइबर केबल नेटवर्क के जरिए भेजता है. ऐसे में अगर यह नेटवर्क हैक हो जाता है, तो विद्युत जेनरेशन के लिए भेजे जाने वाले सिग्नल से गलत जानकारी मिलेगी. इसको देखते हुए आईआईटी रुड़की ने हैक फ्री हाइड्रो प्लांट कंट्रोल सिस्टम को डेवलप किया है.
-डॉ पुलकराज आर्यन, रिसर्च एसोसिएट, आईआईटी रुड़की-
आईआईटी रुड़की ने डेवलप किया हैक फ्री हाइड्रो प्लांट कंट्रोल सिस्टम: आईआईटी रुड़की ने जो सिस्टम डेवलप किया है, उसका काम जो सिग्नल एनएलडीसी से पावर प्लांट में आ रही है, उसको यह स्टडी करना है.
अगर स्टडी के दौरान इस सिस्टम को यह पता चलेगा कि सिग्नल हैक है, तो ये सिस्टम पावर प्लांट को सूचना देगा कि एजीसी में पार्टिसिपेट ना करें, बल्कि लोकल मोड ऑफ ऑपरेशन में काम करें, जब तक कि सिग्नल को ट्रेस और डिटेक्ट करके आइसोलेट नहीं कर दिया जाता है.
इस पूरे सिस्टम के लिए आईआईटी रुड़की ने एक हार्डवेयर डेवलप किया है. इसके अलावा एक सॉफ्टवेयर भी डेवलप किया गया है, जो डायरेक्ट टीएचडीसी में इंटीग्रेटेड हो सकता है.
आईआईटी रुड़की के एसोसिएट रिसर्चर पुलकराज आर्यन ने बताया कि-
हैकिंग पावर सेक्टर के क्षेत्र में बिल्कुल नया है. लेकिन टेलीकॉम सेक्टर में अमूमन, हैकिंग के मामले सामने आते रहते हैं. यूरोप, यूक्रेन और चीन में इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं. इसके अलावा अमेरिका से भी इस तरह के कुछ मामले सामने आ चुके हैं. लिहाजा, इन चुनौतियों को देखते हुए टीएचडीसी ने आईआईटी रुड़की से ये कहा था कि उनके कम्युनिकेशन चैनल को सिक्योर किए जाने को लेकर हैक फ्री सिस्टम डेवलप करें. इसके बाद आईआईटी रुड़की ने ये डिवाइस तैयार किया है. यह प्रोजेक्ट अब अंतिम चरण में है. संभवत अप्रैल 2025 में प्रोजेक्ट का काम पूरा कर लिया जाएगा.
-डॉ पुलकराज आर्यन, रिसर्च एसोसिएट, आईआईटी रुड़की-
डॉ पुलकराज आर्यन ने साथ ही बताया कि आईआईटी रुड़की ने ये प्रोजेक्ट साल 2023 में शुरू किया था. यह पूरा प्रोजेक्ट लगभग डेढ़ करोड़ रुपए का है. जिसका सारा खर्च आईआईटी रुड़की के इनक्यूबेशन सेंटर, आई हब, दिव्य संपर्क और टीएचडीसी ने उठाया है.
इस पूरे प्रोजेक्ट की स्टडी करने में टीम को लगभग एक साल का वक्त लगा. हमने रिसर्च की कि किस तरह से सिग्नल ट्रांसमिट होती है और हैक होने की क्या-क्या संभावना हैं. लिहाजा, एक गहन अध्ययन के बाद एक हार्डवेयर और एक सॉफ्टवेयर डेवलप कर लिया गया है. जिसके मैथड को आईआईटी रुड़की ने पेटेंट भी करवा लिया है.
-डॉ पुलकराज आर्यन, रिसर्च एसोसिएट, आईआईटी रुड़की-
टेक्नोलॉजी ट्रांसफर पर चली कवायद: वर्तमान समय में आईआईटी रुड़की की ओर से तैयार किए गए इस सिस्टम की टेक्नोलॉजी को ट्रांसफर करने की बात चल रही है. दरअसल, टीएचडीसी का इंडस्ट्री पार्टनर सीमेंस इंडिया लिमिटेड है. इसी कंपनी से ही टीएचडीसी प्रोडक्ट खरीद सकती है. जबकि, आईआईटी रुड़की ने जो सिस्टम डेवलप किया है, उसको पेटेंट करवा चुकी है.
लिहाजा टीएचडीसी के इंडस्ट्री पार्टनर सीमेंस इंडिया लिमिटेड को इस तरह का प्रोडक्ट डेवलप करने के लिए आईआईटी रुड़की से प्रिक्योर करना होगा. इसके बाद अपनी इंडस्ट्री में हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर डेवलप करेंगे.
उत्तराखंड के सरकारी विभागों में हो चुका है साइबर अटैक: गौरतलब है कि पिछले साल अक्टूबर में उत्तराखंड में साइबर अटैक से सरकारी कामकाज ठप हो गया था. साइबर अटैक इतना तगड़ा था कि इसने CM हेल्पलाइन समेत 186 वेबसाइट को हैक कर दिया था.
साइबर अटैक से प्रदेश का पूरा आईटी सिस्टम ठप हो गया था. सचिवालय समेत सभी दफ्तरों कामकाज ठप हो गया था.
यह साइबर हमला इतना जबदस्त था कि इससे न केवल यूके स्वान (UK SWAN) जैसी सुरक्षित इंटरनेट सेवाएं प्रभावित हुईं थी, बल्कि उत्तराखंड का सबसे महत्वपूर्ण स्टेट डेटा सेंटर भी इसकी चपेट में आ गया था. इस साइबर हमले से निपटने में आईटी तकनीशियन को पसीने छूट गए थे.
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