नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि अगर उसे लगता है कि गुजरात के अधिकारियों ने ढांचे गिराने के मामले में उसके आदेश की अवमानना की है तो वह अधिकारियों से ढांचे बहाल करने को कहेगा. यह मामला न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष आया. याचिकाकर्ता सुम्मास्त पत्नी मुस्लिम जमात का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष दलील दी कि उसके आदेश के बावजूद गुजरात के अधिकारियों ने ढांचे गिरा दिए हैं.
वहीं गुजरात के अधिकारियों का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि ढांचे समुद्र से सटे हुए थे और सोमनाथ मंदिर से करीब 340 मीटर दूर थे. मेहता ने कहा कि यह आपके द्वारा बनाए गए अपवाद के अंतर्गत आता है.
पीठ ने कहा, 'अगर हमें लगता है कि वे हमारे आदेश की अवमानना कर रहे हैं तो हम न केवल उन्हें जेल भेजेंगे बल्कि हम उनसे यह सब बहाल करने को कहेंगे.' सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में नोटिस जारी नहीं किया, लेकिन मेहता से जवाब दाखिल करने को कहा. सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को निर्धारित की है.
याचिकाकर्ता सुम्मास्त ने सर्वोच्च न्यायालय के 17 सितंबर के आदेश के कथित उल्लंघन के लिए अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. तब सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि देश भर में बिना अनुमति के अपराधों के आरोपियों सहित किसी भी संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जाएगा.
1 अक्टूबर को सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यदि ध्वस्तीकरण अवैध पाया जाता है तो संपत्ति को वापस करना होगा और कहा कि वह संपत्तियों के विध्वंस के मुद्दे पर सभी नागरिकों के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित करेगा, किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं.
इससे पहले 17 सितंबर को पारित एक आदेश में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि हम आगे स्पष्ट करते हैं कि हमारा आदेश उन मामलों पर लागू नहीं होगा, जहां सड़क, गली, फुटपाथ, रेलवे लाइन या किसी नदी या जल निकायों जैसे किसी सार्वजनिक स्थान पर कोई अनधिकृत संरचना है और साथ ही, ऐसे मामलों में भी जहां न्यायालय द्वारा ध्वस्तीकरण का आदेश दिया गया है.
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