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ICMR ने BHU की कोवैक्सीन रिपोर्ट पर उठाए सवाल, दी कानूनी कार्रवाई की चेतावनी - BANARAS HINDU UNIVERSITY COVAXIN - BANARAS HINDU UNIVERSITY COVAXIN

BANARAS HINDU UNIVERSITY COVAXIN : भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कोवैक्सिन के 'सुरक्षा विश्लेषण' के संबंध में प्रकाशित एक जर्नल पर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ राजीव बहल ने कहा है कि पेपर में आईसीएमआर की बात गलत और भ्रामक तरीके से कही गई है.

BANARAS HINDU UNIVERSITY COVAXIN
कोवैक्सीन (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 20, 2024, 1:55 PM IST

नई दिल्ली: कोविडशील्ड की तरह कोवैक्सिन से भी गंभीर बीमारियों का दावा करने वाले बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के वैज्ञानिकों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने शोधकर्ताओं के शोध पर कड़ी आपत्ति जताई है. इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे गलत बताया है. ICMR ने रिसर्च करने वाले दो BHU के शोधकर्ताओं को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है.

आईसीएमआर ने BHU को जो नोटिस भेजा है उसमें कहा गया है कि परिषद किसी भी रूप में इस रिसर्च से या इसकी रिपोर्ट से नहीं जुड़ा हुआ है. रिसर्च करने वालों से पूछा गया है कि क्यों ना इस मामले में उनके खिलाफ कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई की जाए.

न्यूजीलैंड स्थित ड्रग सेफ्टी जर्नल के एडिटर और इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (बीएचयू) के निदेशक प्रोफेसर संखवार को कड़े शब्दों में भेजे गए पत्र में आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा कि जिस रिसर्च में यह दावा किया गया है कि वैक्सीन लेने वाले लोगों पर गंभीर साइड्स इफेक्ट्स देखे गए, वह रिसर्च पूरी तरह भ्रामक और गलत तथ्यों पर आधारित है. इसका आईसीएमआर से कोई लेना-देना नहीं है. आईसीएमआर ने इसके लिए कोई मदद नहीं दी है. रिसर्च पेपर से आईसीएमआर का नाम हटाया जाए और एक माफीनामा छापा जाए.

आईसीएमआर ने अध्ययन के दोनों शोधकर्ताओं डॉ. उपिंदर कौर और डॉ. संखा शुभ्रा चक्रवर्ती पर आरोप लगाया कि उन्होंने आईसीएमआर की पूर्व मंजूरी या सूचना के बिना अनुसंधान किया है. इसलिए इस रिसर्च को आईसीएमआर स्वीकार कर इसे अनुचित करार देता है.

दरअसल, हाल ही में कोवैक्सिन के साइड इफेक्ट्स को लेकर BHU में एक शोध किया गया था और उस शोध को एक विदेशी जर्नल में पब्लिश किया था, उसके बाद कोवेक्सिन के साइड इफेक्ट्स को लेकर मीडिया में कई खबरें आई थी. उन खबरों में कहा गया था कि भारत वायोटेक द्वारा निर्मित कोवेक्सिन के गंभीर साइड इफेक्ट्स सामने आ रहे हैं.

नई स्टडी में दावा किया गया था कि जिन लोगों ने कोवेक्सिन टिका लगवाया है, उन लोगों में 30 फीसदी को किसी ना किसी तरह के साइड इफेक्ट्स देखे गए. वहीं महिलाओं में इस वजह से मासिक धर्म संबंधी बड़ी दिक्कतें भी देखी जा रही हैं. इस रिसर्च पर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.

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आईसीएमआर ने BHU को जो नोटिस भेजा है उसमें कहा गया है कि परिषद किसी भी रूप में इस रिसर्च से या इसकी रिपोर्ट से नहीं जुड़ा हुआ है. रिसर्च करने वालों से पूछा गया है कि क्यों ना इस मामले में उनके खिलाफ कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई की जाए.

न्यूजीलैंड स्थित ड्रग सेफ्टी जर्नल के एडिटर और इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (बीएचयू) के निदेशक प्रोफेसर संखवार को कड़े शब्दों में भेजे गए पत्र में आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा कि जिस रिसर्च में यह दावा किया गया है कि वैक्सीन लेने वाले लोगों पर गंभीर साइड्स इफेक्ट्स देखे गए, वह रिसर्च पूरी तरह भ्रामक और गलत तथ्यों पर आधारित है. इसका आईसीएमआर से कोई लेना-देना नहीं है. आईसीएमआर ने इसके लिए कोई मदद नहीं दी है. रिसर्च पेपर से आईसीएमआर का नाम हटाया जाए और एक माफीनामा छापा जाए.

आईसीएमआर ने अध्ययन के दोनों शोधकर्ताओं डॉ. उपिंदर कौर और डॉ. संखा शुभ्रा चक्रवर्ती पर आरोप लगाया कि उन्होंने आईसीएमआर की पूर्व मंजूरी या सूचना के बिना अनुसंधान किया है. इसलिए इस रिसर्च को आईसीएमआर स्वीकार कर इसे अनुचित करार देता है.

दरअसल, हाल ही में कोवैक्सिन के साइड इफेक्ट्स को लेकर BHU में एक शोध किया गया था और उस शोध को एक विदेशी जर्नल में पब्लिश किया था, उसके बाद कोवेक्सिन के साइड इफेक्ट्स को लेकर मीडिया में कई खबरें आई थी. उन खबरों में कहा गया था कि भारत वायोटेक द्वारा निर्मित कोवेक्सिन के गंभीर साइड इफेक्ट्स सामने आ रहे हैं.

नई स्टडी में दावा किया गया था कि जिन लोगों ने कोवेक्सिन टिका लगवाया है, उन लोगों में 30 फीसदी को किसी ना किसी तरह के साइड इफेक्ट्स देखे गए. वहीं महिलाओं में इस वजह से मासिक धर्म संबंधी बड़ी दिक्कतें भी देखी जा रही हैं. इस रिसर्च पर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.

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