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हिमाचल में विधानसभा सदस्यता से अयोग्य घोषित विधायकों की पेंशन बंद, विपक्ष के विरोध के बीच पारित हुआ संशोधन बिल - MLAs Pension Amendment Bill 2024

Himachal MLAs Allowances and Pension Amendment Bill 2024: हिमाचल प्रदेश विधानसभा में मानसून सत्र के दौरान विधानसभा सदस्यता से अयोग्य घोषित विधायकों की पेंशन बंद को लेकर लाया गया संशोधन बिल पारित हो गया. अब इस बिल पर राज्यपाल की मंजूरी लेने के लिए राजभवन भेजा जाएगा. पढ़िए पूरी खबर....

हिमाचल विधानसभा सदस्य पेंशन संसोधन बिल पारित
हिमाचल विधानसभा सदस्य पेंशन संसोधन बिल पारित (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 4, 2024, 8:25 PM IST

Updated : Sep 4, 2024, 10:29 PM IST

हिमाचल विधायक संशोधन बिल पर सीएम सुक्खू की प्रतिक्रिया (Etv Bharat)

शिमला: हिमाचल प्रदेश में सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित विधायकों की पेंशन बंद होगी. इस संदर्भ में विधानसभा में लाया गया संशोधन विधेयक विपक्ष के विरोध के बावजूद पारित हो गया. विपक्ष ने बिल को वापिस लेने या फिर सिलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग उठाई थी. चर्चा का जवाब देते हुए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राजनीति में नैतिक मूल्यों और दलबदल को हतोत्साहित करने के मकसद से ये संशोधन बिल लाया गया है.

सीएम की तरफ से चर्चा का जवाब देने के बाद वाइस वोट से ये संशोधन बिल सदन में पास हो गया. अब ये बिल राज्यपाल की मंजूरी के लिए राजभवन भेजा जाएगा. इस बिल के पास होने से हिमाचल में फिलहाल दो पूर्व विधायकों चैतन्य शर्मा व देवेंद्र भुट्टो को नुकसान होगा. संशोधन बिल के अनुसार जो विधायक सदन की सदस्यता से अयोग्य होंगे, उन्हें पेंशन व अन्य भत्ते नहीं मिलेंगे.

ये बिल मंगलवार को सदन में पेश किया गया था. बुधवार को लंच अवकाश के बाद सदन में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बिल को पारित करने के लिए रखा. विपक्ष की तरफ से नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, रणधीर शर्मा, विपिन सिंह परमार व राकेश जम्वाल ने चर्चा में भाग लिया. रणधीर शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार इस बिल को द्वेष की भावना से लेकर आई है. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि विधेयक में संशोधन लाने के पीछे राजनीतिक प्रतिशोध की भावना है. विपिन परमार व आशीष शर्मा ने भी इसी बिंदु पर अपनी बात कही.

सत्ता पक्ष की तरफ से संजय अवस्थी ने बिल में संशोधन का समर्थन किया. चर्चा का जवाब देते हुए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्यसभा चुनाव के दौरान जो कुछ हुआ वो हिमाचल के इतिहास में पहली बार देखने को मिला. बिल में संशोधन लाने के पीछे कोई द्वेष भावना नहीं है. सीएम ने कहा कि राजनीति में सत्ता सदा किसी की नहीं रहती है. यह इस सरकार की तरफ से लाया गया लैंडमार्क बिल है. निजी सियासी स्वार्थ के लिए दलबदल जैसी प्रवृत्ति को हतोत्साहित करने के मकसद से ये संशोधन बिल लाया गया है. जिस परंपरा को राजीव गांधी ने मजबूत किया था, उसे हिमाचल सरकार और आगे बढ़ा रही है.

सीएम सुक्खू ने कहा जो नेता जिस पार्टी से चुनाव जीते, उसी में रहे तो उसकी पेंशन कौन काटेगा? कांग्रेस सरकार ने संशोधन किया है कि टेंथ शेड्यूल के हिसाब से जो सदन की सदस्यता से डिस्क्वालीफाई होगा, पार्टी विरोधी गतिविधियों में उसकी प्रिविलेज व पेंशन बंद की जाएगी. सीएम सुक्खू ने कहा कि संशोधन बिल का यही मकसद है कि निकट भविष्य में धनबल के बूते राजनीतिक मूल्यों को कमजोर न किया जा सके. सीएम के जवाब के बाद सदन में बिल पारित हो गया.

क्यों आई ऐसी परिस्थितियां: दरअसल, हिमाचल में 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के छह विधायकों सहित तीन निर्दलीय विधायकों ने भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन के पक्ष में वोट डाला था. बाद में सभी नौ नेता भाजपा में शामिल हो गए थे. वहीं, सदन में उस दौरान बजट भी पास होना था. बजट पास करने के लिए संसदीय कार्य मंत्री ने व्हिप जारी किया हुआ था. कांग्रेस के छह विधायकों ने व्हिप का उल्लंघन किया. उसके बाद स्पीकर ने उन्हें सदन की सदस्यता से अयोग्य करार दिया था. बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. कांग्रेस के छह विधायकों के अयोग्य होने से सदन में छह सीटें खाली हो गई. उन पर उपचुनाव हुआ था. छह बागी नेताओं में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था. उनमें से सुधीर शर्मा और इंद्रदत्त लखनपाल फिर जीतकर सदन में आ गए. तीन निर्दलीयों ने भी भाजपा ज्वाइन की थी. उनमें से केवल आशीष शर्मा उपचुनाव जीतकर सदन में वापिस आ गए. मानसून सेशन में कांग्रेस सरकार ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन)संशोधन विधेयक, 2024 लाया. अब सदन में संशोधन बिल पारित हो गया है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में कड़े फैसले लेने की तैयारी, सीएम ने कहा- फ्री बिजली नहीं देंगे, खजाना लुटाते रहे तो बिगड़ेंगे हालात

ये भी पढ़ें: "हिमाचल ने ऐसा दिन पहले कभी नहीं देखा, कर्मचारी सैलरी को तरस रहे, राजनीतिक नियुक्तियों वालों को लाखों की तनख्वाह"

हिमाचल विधायक संशोधन बिल पर सीएम सुक्खू की प्रतिक्रिया (Etv Bharat)

शिमला: हिमाचल प्रदेश में सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित विधायकों की पेंशन बंद होगी. इस संदर्भ में विधानसभा में लाया गया संशोधन विधेयक विपक्ष के विरोध के बावजूद पारित हो गया. विपक्ष ने बिल को वापिस लेने या फिर सिलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग उठाई थी. चर्चा का जवाब देते हुए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राजनीति में नैतिक मूल्यों और दलबदल को हतोत्साहित करने के मकसद से ये संशोधन बिल लाया गया है.

सीएम की तरफ से चर्चा का जवाब देने के बाद वाइस वोट से ये संशोधन बिल सदन में पास हो गया. अब ये बिल राज्यपाल की मंजूरी के लिए राजभवन भेजा जाएगा. इस बिल के पास होने से हिमाचल में फिलहाल दो पूर्व विधायकों चैतन्य शर्मा व देवेंद्र भुट्टो को नुकसान होगा. संशोधन बिल के अनुसार जो विधायक सदन की सदस्यता से अयोग्य होंगे, उन्हें पेंशन व अन्य भत्ते नहीं मिलेंगे.

ये बिल मंगलवार को सदन में पेश किया गया था. बुधवार को लंच अवकाश के बाद सदन में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बिल को पारित करने के लिए रखा. विपक्ष की तरफ से नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, रणधीर शर्मा, विपिन सिंह परमार व राकेश जम्वाल ने चर्चा में भाग लिया. रणधीर शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार इस बिल को द्वेष की भावना से लेकर आई है. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि विधेयक में संशोधन लाने के पीछे राजनीतिक प्रतिशोध की भावना है. विपिन परमार व आशीष शर्मा ने भी इसी बिंदु पर अपनी बात कही.

सत्ता पक्ष की तरफ से संजय अवस्थी ने बिल में संशोधन का समर्थन किया. चर्चा का जवाब देते हुए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्यसभा चुनाव के दौरान जो कुछ हुआ वो हिमाचल के इतिहास में पहली बार देखने को मिला. बिल में संशोधन लाने के पीछे कोई द्वेष भावना नहीं है. सीएम ने कहा कि राजनीति में सत्ता सदा किसी की नहीं रहती है. यह इस सरकार की तरफ से लाया गया लैंडमार्क बिल है. निजी सियासी स्वार्थ के लिए दलबदल जैसी प्रवृत्ति को हतोत्साहित करने के मकसद से ये संशोधन बिल लाया गया है. जिस परंपरा को राजीव गांधी ने मजबूत किया था, उसे हिमाचल सरकार और आगे बढ़ा रही है.

सीएम सुक्खू ने कहा जो नेता जिस पार्टी से चुनाव जीते, उसी में रहे तो उसकी पेंशन कौन काटेगा? कांग्रेस सरकार ने संशोधन किया है कि टेंथ शेड्यूल के हिसाब से जो सदन की सदस्यता से डिस्क्वालीफाई होगा, पार्टी विरोधी गतिविधियों में उसकी प्रिविलेज व पेंशन बंद की जाएगी. सीएम सुक्खू ने कहा कि संशोधन बिल का यही मकसद है कि निकट भविष्य में धनबल के बूते राजनीतिक मूल्यों को कमजोर न किया जा सके. सीएम के जवाब के बाद सदन में बिल पारित हो गया.

क्यों आई ऐसी परिस्थितियां: दरअसल, हिमाचल में 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के छह विधायकों सहित तीन निर्दलीय विधायकों ने भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन के पक्ष में वोट डाला था. बाद में सभी नौ नेता भाजपा में शामिल हो गए थे. वहीं, सदन में उस दौरान बजट भी पास होना था. बजट पास करने के लिए संसदीय कार्य मंत्री ने व्हिप जारी किया हुआ था. कांग्रेस के छह विधायकों ने व्हिप का उल्लंघन किया. उसके बाद स्पीकर ने उन्हें सदन की सदस्यता से अयोग्य करार दिया था. बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. कांग्रेस के छह विधायकों के अयोग्य होने से सदन में छह सीटें खाली हो गई. उन पर उपचुनाव हुआ था. छह बागी नेताओं में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था. उनमें से सुधीर शर्मा और इंद्रदत्त लखनपाल फिर जीतकर सदन में आ गए. तीन निर्दलीयों ने भी भाजपा ज्वाइन की थी. उनमें से केवल आशीष शर्मा उपचुनाव जीतकर सदन में वापिस आ गए. मानसून सेशन में कांग्रेस सरकार ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन)संशोधन विधेयक, 2024 लाया. अब सदन में संशोधन बिल पारित हो गया है.

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Last Updated : Sep 4, 2024, 10:29 PM IST
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