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'शराबबंदी से गरीबों पर अत्याचार..मिल रहा तस्करी को बढ़ावा'.. पटना हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

पटना हाईकोर्ट ने बिहार में शराबबंदी को लेकर हुई सुनवाई में बड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि शराबबंदी में कई खामियां हैं-

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पटना हाईकोर्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 3 hours ago

Updated : 3 hours ago

पटना : बिहार की पटना हाईकोर्ट ने राज्य में लागू शराबबंदी कानून के नकारात्मक पक्ष को सामने रखते हुए कहा कि इससे काफी अन्य समस्याएं उत्पन्न हुई हैं. जस्टिस पूर्णेन्दु सिंह ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि ''बिहार में शराबबंदी कानून की कमियां सामने आयी हैं.'' पुलिस अधिकारी मुकेश कुमार की याचिका पर पटना हाईकोर्ट ने शराबबंदी कानून की कमियां और खामिया बताईं.

'शराबबंदी में आ गई कई कमियां' : कोर्ट ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 47 में राज्य का कर्तव्य नागरिकों के जीवन स्तर को उठाना है. व्यापक रूप से सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करना है. कोर्ट ने कहा कि राज्य ने इसी उद्देश्य के लिए बिहार मद्य निषेध व उत्पाद शुल्क अधिनियम 2016 को लागू किया, लेकिन कई कारणों से इसमें कमियां आ गयी.

'शराबबंदी से तस्करी को मिला बढ़ावा' : कोर्ट ने स्पष्ट करते हुए कहा कि वास्तव में शराबबंदी ने शराब व अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं के अनाधिकृत व्यापार (तस्करी) को बढ़ावा दिया. कानून लागू करने वाली एजेंसियों को धोखा देने के लिए नये-नये तरीके विकसित किये गए. जिससे न सिर्फ तस्करी करने में सुगमता हो, बल्कि इसे रोकने वाली संस्थाओं को भी ध्वस्त किया जा सके.

'मोटी कमाई..अधिकारी भी पसंद करते हैं शराबबंदी' : कोर्ट ने ये स्पष्ट किया कि पुलिस अधिकारी, उत्पाद शुल्क अधिकारी ही नहीं, बल्कि राज्य कर विभाग व परिवहन विभाग के अधिकारी भी मोटी कमाई के मद्देनज़र शराबबंदी को पसंद करते हैं. शराबबंदी कानून के विरुद्ध कार्य करने वालों के खिलाफ दर्ज मामले काफी कम हैं.

'शराबबंदी से गरीबों पर अत्याचार' : शराब पीने वाले गरीबों व अवैध त्रासदी के विरुद्ध दर्ज मामलों की तुलना में किंगपिन/सिंडिकेट संचालकों की तुलना में कहीं अधिक है. इस कानून का दंश राज्य के अधिकांश गरीब लोग झेल रहे हैं, उनके जीवनयापन का सहारा दिहाड़ी मजदूरी है और अधिकांश अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य हैं.

जानें पूरा मामला : पटना बाय पास थाना में मुकेश कुमार पासवान पुलिस अधिकारी थे. उनके थाना से मात्र पांच सौ मीटर की दूरी पर शराब बरामदगी हुई. उत्पाद विभाग के अधिकारियों ने छापा मारकर कर 4 लाख रुपए की शराब बरामद किया. पुलिस अधिकारी मुकेश कुमार पासवान को इस मामले में निलंबित कर दिया गया. उन्होंने इस आदेश को पटना हाईकोर्ट याचिका दायर कर चुनौती दी. इसी मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार पर शराबबंदी कानून की कमियां और समस्याएं बताईं.

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पटना : बिहार की पटना हाईकोर्ट ने राज्य में लागू शराबबंदी कानून के नकारात्मक पक्ष को सामने रखते हुए कहा कि इससे काफी अन्य समस्याएं उत्पन्न हुई हैं. जस्टिस पूर्णेन्दु सिंह ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि ''बिहार में शराबबंदी कानून की कमियां सामने आयी हैं.'' पुलिस अधिकारी मुकेश कुमार की याचिका पर पटना हाईकोर्ट ने शराबबंदी कानून की कमियां और खामिया बताईं.

'शराबबंदी में आ गई कई कमियां' : कोर्ट ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 47 में राज्य का कर्तव्य नागरिकों के जीवन स्तर को उठाना है. व्यापक रूप से सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करना है. कोर्ट ने कहा कि राज्य ने इसी उद्देश्य के लिए बिहार मद्य निषेध व उत्पाद शुल्क अधिनियम 2016 को लागू किया, लेकिन कई कारणों से इसमें कमियां आ गयी.

'शराबबंदी से तस्करी को मिला बढ़ावा' : कोर्ट ने स्पष्ट करते हुए कहा कि वास्तव में शराबबंदी ने शराब व अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं के अनाधिकृत व्यापार (तस्करी) को बढ़ावा दिया. कानून लागू करने वाली एजेंसियों को धोखा देने के लिए नये-नये तरीके विकसित किये गए. जिससे न सिर्फ तस्करी करने में सुगमता हो, बल्कि इसे रोकने वाली संस्थाओं को भी ध्वस्त किया जा सके.

'मोटी कमाई..अधिकारी भी पसंद करते हैं शराबबंदी' : कोर्ट ने ये स्पष्ट किया कि पुलिस अधिकारी, उत्पाद शुल्क अधिकारी ही नहीं, बल्कि राज्य कर विभाग व परिवहन विभाग के अधिकारी भी मोटी कमाई के मद्देनज़र शराबबंदी को पसंद करते हैं. शराबबंदी कानून के विरुद्ध कार्य करने वालों के खिलाफ दर्ज मामले काफी कम हैं.

'शराबबंदी से गरीबों पर अत्याचार' : शराब पीने वाले गरीबों व अवैध त्रासदी के विरुद्ध दर्ज मामलों की तुलना में किंगपिन/सिंडिकेट संचालकों की तुलना में कहीं अधिक है. इस कानून का दंश राज्य के अधिकांश गरीब लोग झेल रहे हैं, उनके जीवनयापन का सहारा दिहाड़ी मजदूरी है और अधिकांश अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य हैं.

जानें पूरा मामला : पटना बाय पास थाना में मुकेश कुमार पासवान पुलिस अधिकारी थे. उनके थाना से मात्र पांच सौ मीटर की दूरी पर शराब बरामदगी हुई. उत्पाद विभाग के अधिकारियों ने छापा मारकर कर 4 लाख रुपए की शराब बरामद किया. पुलिस अधिकारी मुकेश कुमार पासवान को इस मामले में निलंबित कर दिया गया. उन्होंने इस आदेश को पटना हाईकोर्ट याचिका दायर कर चुनौती दी. इसी मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार पर शराबबंदी कानून की कमियां और समस्याएं बताईं.

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