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कोरबा में टीबी से तूफानी जंग, जनजाति वाले पंचायतों पर खास फोकस, जानिए कैसे मिलेगी बीमारी से मुक्ति ? - TB free Korba tribal panchayat

कोरबा में टीबी उन्मूलन पखवाड़ा का आयोजन किया गया है. इसके तहत जिले के 110 पिछड़ी जनजाति वाले पंचायतों पर स्वास्थ्य विभाग का फोकस है. आइए जानते हैं कोरबा को टीबी मुक्त करने को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने क्या योजना बना रखी है.

TB free Korba tribal panchayat
कोरबा में टीबी उन्मूलन पखवाड़ा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 26, 2024, 10:27 PM IST

पिछड़ी जनजाति वाले पंचायतों पर खास फोकस (ETV Bharat)

कोरबा: कोरबा में टीबी उन्मूलन पखवाड़ा मनाया जा रहा है. इस अभियान के तहत कोरबा जिला के 110 ऐसी पंचायतों को चिन्हित किया गया है, जो कि पिछड़ी जनजातियों का निवास है. ऐसे पंचायत को टीबी मुक्त पंचायत बनाने का लक्ष्य स्वास्थ्य विभाग की ओर से तय किया गया है. हालांकि देश को टीबी से मुक्त करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2025 तक का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है. बात अगर कोरबा जिले की करें तो पिछले आठ साल में 13 हजार 573 मरीज सामने आए हैं. वर्तमान में कोरबा जिले में 997 एक्टिव मैरिज मौजूद हैं.

धूल, गंदगी और प्रदूषण टीबी का बड़ा कारण: क्षय रोग प्रदूषण, गदंगी और एक व्यक्ति के ग्रसित होने पर दूसरे व्यक्ति के बार-बार संपर्क में आने से होता है. क्षय रोग होने का पर अधिक खतरा ऐसे लोगों को होता है, जिनमें रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता कम होती है. इसलिए इसे हवा में फैलने वाली बीमारी भी कहा जाता है. स्वास्थ्य विभाग में आठ सालों का आंकड़ा देखें तो हर साल औसतन दो हजार के आसपास क्षय से ग्रसित मरीज सामने आ रहे हैं.

शुरुआत में डायग्नोज हुआ तो इलाज संभव: टीबी माइक्रोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु के कारण होता है. यह आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों पर भी इसका प्रभाव देखने को मिलता है. इसका इलाज संभव है. कई बार खून के साथ खांसी और सीने में दर्द, कमजोरी इसके प्रमुख लक्षण हैं. टीबी की जांच किसी भी व्यक्ति के बलगम से की जाती है. टीबी के तीन चरण होते हैं. एक्स्पोजर, लेटेंट और सक्रिय या एक्टिव रोग. पहले दो चरण में कई बार लक्षण का पता नहीं चलता, लेकिन सक्रिय टीबी मरीज को लक्षण दिखते हैं.

यह स्किन टेस्ट और छाती के एक्स-रे से भी पता लगाया जाता है. नियमित तौर पर दवा लेने से टीबी पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है. दवा नहीं मिलने पर बीमारी बढ़ती है, तब यह जानलेवा साबित हो सकता है. पिछड़े इलाकों में कई बार लोगों को इसकी जानकारी नहीं मिलती. टेस्ट नहीं करवाने के कारण उन्हें अपने सक्रिय मरीज होने का पता नहीं चलता. मरीज जब अस्पताल आते हैं, तब टीबी खतरनाक स्टेज पर होता है. ऐसे में मरीजों की जान भी चली जाती है.

स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिले को क्षयमुक्त के लिए समय-समय पर टीबी अभियान चलाया जा रहा है. फिलहाल जिले के 110 पंचायत पर खास फोकस है. टीबी के लक्षण वाले मरीजों की जांच की जा रही है. इसके अलावा टीम की ओर से दूषित और पिछड़े क्षेत्रों में लोगों की जांच की जा रहा है. ऐसे में विभाग अब धीरे-धीरे अभियान को विस्तार करते हुए टीबी से ग्रसित मरीज के साथ रहने वाले परिवार के सदस्यों को भी दवाई देने की शुरूआत की गई है.इससे संक्रमण के फैलने में कमी आएगी. गांव में सघन जांच अभियान के साथ ही कैंप लगाया जाएगा. -एसएन केसरी, सीएमएचओ, कोरबा

इन बिंदुओं पर पंचायत में चलेगा अभियान:

  • 1 लाख की जनसंख्या पर कम से कम 1000 स्लाइड बनाकर जांच की जाएगी.
  • हर पंचायत में 1000 की जनसंख्या पर एक केस से ज्यादा नहीं होने दिया जाएगा.
  • गांव में यूनिवर्सल ड्रग सेंसटिविटी टेस्ट होना चाहिए.
  • प्रत्येक माह डीबीटी के माध्यम से 500 रुपए उनके खाते में मिलना चाहिए.

वर्ष 2021 में सबसे कम मरीज मिले: कोरबा में साल 2021 में सबसे कम मरीज सामने आए थे. इसकी वजह कोरोना को भी बताया गया. कोरोना की वजह से कई मरीज टीबी की जांच कराने अस्पताल नहीं पहुंच पाए थे. इस कारण 8741 लोगों का ही जांच हो सका. इसमें से 1336 मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. हालांकि इन आंकड़ों में अगले साल बढ़ोतरी हो गई थी.

फैक्ट फाइल:

वर्षसैंपलमरीज
2016 18938 2055
2017 156711759
2018 169161835
2019155172013
202077341417
202187411336
2022216271786
2023157031375

ये हैं टीबी के लक्षण:-

  • भूख नहीं लगना
  • रात में पसीना आना
  • वजन कम होना
  • दो सप्ताह से खासी बुखार आना
  • तीन सप्ताह से ज्यादा कफ
  • छाती में दर्द
  • खांसी में खून आना
  • बुखार आना

कोरबा में मिलती है नि:शुल्क दवा: जानकारों की मानें तो कोरबा में प्रदूषण की समस्या अधिक है. ये लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानीकारक है. इस कारण टीबी के केस अधिक सामने आ रहे हैं. हालांकि इस बीमारी की रोकथाम के लिए सरकारी अस्पताल में नि:शुल्क दवा उपलब्ध की जाती है. लक्षण मिलने पर तत्काल चिकित्सकीय सलाह लेने से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है.

इस गंभीर बीमारी के मरीजों को नहीं मिल रही दवाइयां ! कई मरीजों की हालत नाजुक - TB disease
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पिछड़ी जनजाति वाले पंचायतों पर खास फोकस (ETV Bharat)

कोरबा: कोरबा में टीबी उन्मूलन पखवाड़ा मनाया जा रहा है. इस अभियान के तहत कोरबा जिला के 110 ऐसी पंचायतों को चिन्हित किया गया है, जो कि पिछड़ी जनजातियों का निवास है. ऐसे पंचायत को टीबी मुक्त पंचायत बनाने का लक्ष्य स्वास्थ्य विभाग की ओर से तय किया गया है. हालांकि देश को टीबी से मुक्त करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2025 तक का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है. बात अगर कोरबा जिले की करें तो पिछले आठ साल में 13 हजार 573 मरीज सामने आए हैं. वर्तमान में कोरबा जिले में 997 एक्टिव मैरिज मौजूद हैं.

धूल, गंदगी और प्रदूषण टीबी का बड़ा कारण: क्षय रोग प्रदूषण, गदंगी और एक व्यक्ति के ग्रसित होने पर दूसरे व्यक्ति के बार-बार संपर्क में आने से होता है. क्षय रोग होने का पर अधिक खतरा ऐसे लोगों को होता है, जिनमें रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता कम होती है. इसलिए इसे हवा में फैलने वाली बीमारी भी कहा जाता है. स्वास्थ्य विभाग में आठ सालों का आंकड़ा देखें तो हर साल औसतन दो हजार के आसपास क्षय से ग्रसित मरीज सामने आ रहे हैं.

शुरुआत में डायग्नोज हुआ तो इलाज संभव: टीबी माइक्रोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु के कारण होता है. यह आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों पर भी इसका प्रभाव देखने को मिलता है. इसका इलाज संभव है. कई बार खून के साथ खांसी और सीने में दर्द, कमजोरी इसके प्रमुख लक्षण हैं. टीबी की जांच किसी भी व्यक्ति के बलगम से की जाती है. टीबी के तीन चरण होते हैं. एक्स्पोजर, लेटेंट और सक्रिय या एक्टिव रोग. पहले दो चरण में कई बार लक्षण का पता नहीं चलता, लेकिन सक्रिय टीबी मरीज को लक्षण दिखते हैं.

यह स्किन टेस्ट और छाती के एक्स-रे से भी पता लगाया जाता है. नियमित तौर पर दवा लेने से टीबी पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है. दवा नहीं मिलने पर बीमारी बढ़ती है, तब यह जानलेवा साबित हो सकता है. पिछड़े इलाकों में कई बार लोगों को इसकी जानकारी नहीं मिलती. टेस्ट नहीं करवाने के कारण उन्हें अपने सक्रिय मरीज होने का पता नहीं चलता. मरीज जब अस्पताल आते हैं, तब टीबी खतरनाक स्टेज पर होता है. ऐसे में मरीजों की जान भी चली जाती है.

स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिले को क्षयमुक्त के लिए समय-समय पर टीबी अभियान चलाया जा रहा है. फिलहाल जिले के 110 पंचायत पर खास फोकस है. टीबी के लक्षण वाले मरीजों की जांच की जा रही है. इसके अलावा टीम की ओर से दूषित और पिछड़े क्षेत्रों में लोगों की जांच की जा रहा है. ऐसे में विभाग अब धीरे-धीरे अभियान को विस्तार करते हुए टीबी से ग्रसित मरीज के साथ रहने वाले परिवार के सदस्यों को भी दवाई देने की शुरूआत की गई है.इससे संक्रमण के फैलने में कमी आएगी. गांव में सघन जांच अभियान के साथ ही कैंप लगाया जाएगा. -एसएन केसरी, सीएमएचओ, कोरबा

इन बिंदुओं पर पंचायत में चलेगा अभियान:

  • 1 लाख की जनसंख्या पर कम से कम 1000 स्लाइड बनाकर जांच की जाएगी.
  • हर पंचायत में 1000 की जनसंख्या पर एक केस से ज्यादा नहीं होने दिया जाएगा.
  • गांव में यूनिवर्सल ड्रग सेंसटिविटी टेस्ट होना चाहिए.
  • प्रत्येक माह डीबीटी के माध्यम से 500 रुपए उनके खाते में मिलना चाहिए.

वर्ष 2021 में सबसे कम मरीज मिले: कोरबा में साल 2021 में सबसे कम मरीज सामने आए थे. इसकी वजह कोरोना को भी बताया गया. कोरोना की वजह से कई मरीज टीबी की जांच कराने अस्पताल नहीं पहुंच पाए थे. इस कारण 8741 लोगों का ही जांच हो सका. इसमें से 1336 मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. हालांकि इन आंकड़ों में अगले साल बढ़ोतरी हो गई थी.

फैक्ट फाइल:

वर्षसैंपलमरीज
2016 18938 2055
2017 156711759
2018 169161835
2019155172013
202077341417
202187411336
2022216271786
2023157031375

ये हैं टीबी के लक्षण:-

  • भूख नहीं लगना
  • रात में पसीना आना
  • वजन कम होना
  • दो सप्ताह से खासी बुखार आना
  • तीन सप्ताह से ज्यादा कफ
  • छाती में दर्द
  • खांसी में खून आना
  • बुखार आना

कोरबा में मिलती है नि:शुल्क दवा: जानकारों की मानें तो कोरबा में प्रदूषण की समस्या अधिक है. ये लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानीकारक है. इस कारण टीबी के केस अधिक सामने आ रहे हैं. हालांकि इस बीमारी की रोकथाम के लिए सरकारी अस्पताल में नि:शुल्क दवा उपलब्ध की जाती है. लक्षण मिलने पर तत्काल चिकित्सकीय सलाह लेने से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है.

इस गंभीर बीमारी के मरीजों को नहीं मिल रही दवाइयां ! कई मरीजों की हालत नाजुक - TB disease
अब घर पर चंद मिनट में हो सकेगा एक्स रे, जानिए डिजिटल पोर्टेबल एक्स रे मशीन की खासियत - Digital portable X ray machine
सरगुजा में टीबी मरीजों की जांच होगी आसान, ICMR की मदद से लगी पहली पैथोडिटेक्ट RTPCR मशीन - Pathodetect RTPCR
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