अमरावती: आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में जिला उपभोक्ता आयोग ने दक्षिण मध्य रेलवे (SCR) को तिरुमाला एक्सप्रेस में यात्रा करने वाली एक यात्री को 25,000 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है. इस यात्री को और उसके परिवार को तिरुमाला एक्सप्रेस में यात्रा के दौरान समस्याओं का सामना करना पड़ा था.
टाइम्स ऑफ इंडिया ने बुधवार को बताया कि यह मुआवजा यात्री और उसके परिवार द्वारा अनुभव की गई फिजिकल और मेंटल परेशानी के चलते दिया जा रहा है, जिसने ट्रेन के शौचालयों में पानी की कमी और खराब एयर कंडीशनिंग से पीड़ित होने की सूचना दी थी.
जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग-I (विशाखापत्तनम) ने फैसला सुनाया कि चूंकि रेलवे सुरक्षित और आरामदायक यात्रा की प्रतिबद्धता के साथ किराया वसूलता है, इसलिए उनका यह दायित्व है कि वह शौचालय में पानी, एयर कंडीशन और उचित वातावरण जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करे.
शिकायत क्या थी?
बता दें कि 5 जून 2023 को 55 साल के वी मूर्ति और उनका परिवार तिरुपति से ट्रेन में सवार हुए. उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि उन्होंने तिरुपति से विशाखापत्तनम तक तिरुमाला एक्सप्रेस में चार 3AC टिकट बुक किए थे, ताकि एक आरामदायक और तनाव मुक्त यात्रा की जा सके.
विजाग शहर के मूर्ति ने कहा कि उन्हें अपर्याप्त पानी की सप्लाई, एयर कंडीशनिंग की कमी और कोच में अस्वच्छ वातावरण के कारण शौचालय का उपयोग करते समय समस्याओं का सामना करना पड़ा. परिवार को शुरू में बी-7 कोच में बर्थ आवंटित की गई थी, लेकिन बाद में मूर्ति को रेलवे अधिकारियों से एक मैसेज मिला, जिसमें कहा गया था कि उन्हें 3ए के बजाय 3ई कोच में ट्रांसफर कर दिया गया है.
उन्होंने बताया कि दुव्वाडा में संबंधित कार्यालय में असुविधा के बारे में शिकायत दर्ज कराने के बावजूद, इस मुद्दे को हल करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसके परिणामस्वरूप उनके परिवार को पूरी यात्रा में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.
हालांकि, रेलवे ने इन दावों का खंडन करते हुए तर्क दिया कि मूर्ति ने सरकारी खजाने का दोहन करने के लिए झूठे आरोप लगाए हैं और वह और उनका परिवार रेलवे सेवाओं का उपयोग करके सुरक्षित रूप से पहुंचे हैं.
तकनीकी समस्या के कारण एयर-लॉक
आयोग ने रेलवे के बचाव की समीक्षा की और पाया कि रेलवे (विपरीत पक्ष) ने स्वीकार किया कि मूर्ति की शिकायत प्राप्त करने के बाद, रेलवे कर्मचारियों ने मामले का निरीक्षण किया और पाया कि तकनीकी समस्या के कारण एयर-लॉक हुआ, जिससे पानी का फ्लो बाधित हुआ.
रेलवे द्वारा की गई इस स्वीकारोक्ति से यह संकेत मिलता है कि ट्रेन को बुनियादी सुविधाओं की जांच किए बिना ही प्लेटफॉर्म पर खड़ा कर दिया गया था.इसके बाद आयोग ने रेलवे को आदेश दिया कि वह तिरुपति से दुव्वाडा (विजाग जिला) तक की यात्रा के दौरान मूर्ति को हुई असुविधा के लिए 25,000 रुपये का मुआवजा दे, साथ ही कानूनी लागतों को कवर करने के लिए 5,000 रुपये अतिरिक्त दे.